आगरा। भूकंप के झटके का असर एसएन की डैमेज हुई बिल्डिंग पर भी पड़ा। हालांकि बिल्डिंग में कोई असर न हुआ हो लेकिन बिल्डिंग में रहने वालों की रूह कांप गई। भूकंप के झटके बेशक कुछ पल के लिए आए, मगर इस बिल्डिंग में अपनों का इलाज करवा रहे हैं तीमारदार भारी दहशत में आ गए हैं। कुछ लोगों का कहना था कि इस घटना के बाद उनकी रातों की नींद उड़ चुकी है। हर पर उन्हें जरा सी आहट भी भूकंप दिखाई देती है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि ऐसी जर्जर बिल्डिंग में आखिर वह अपनों को क्यों मरने के लिए रखे हुए हैं तो इस पर उनका यही कहना था कि मरता क्या न करता

बाहर मंहगाई, अंदर भूकंप की त्राहि-त्राहि

एसएन में आए तीमारदारों का यही कहना था कि एसएन से बाहर इलाज करवाना उनके जेब के लिए भारी है। ऐसे में मजबूरन उन्हें बाहर की महंगाई से कम खतरा प्रकृति का लगता है। यही कारण है कि वह अपने परिजनों को ईश्वर के भरोसे एसएन में ही रखना उचित समझते हैं। हालाकि एसएन के मेडिसिन विभाग की जर्जर बिल्डिंग का डर उन्हें हमेशा सताता रहता है। उसके बावजूद भी वह अपने परिजनों का इलाज करवा रहे हैं।

भूकंप के भय ने दे दी मौत

भूकंप के भय से एसएन की मेडिसिन विभाग के आईसीयू में एक महिला की मृत्यु हो गई। सूत्रों की मानें तो दो दिन पूर्व जब भूकंप का पहला झटका आया तो डर की वजह से सभी बाहर की ओर भाग खड़े हुए। ऐसे में वृद्धा जिसे ऑक्सीजन लगी थी उसके तीमारदार उसे भी बाहर लेकर भाग खड़े हुए। ऐसे में वह लोग साथ में ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना भूल गए। जब तक उसे वापस अंदर ले जाया गया तब तक वह दुनिया को अलविदा कह चुकी थी।

एसएन की सभी बिल्डिंगों में मेडिसिन विभाग की हालत सबसे ज्यादा जर्जर है। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो इस बिल्डिंग को चार साल पहले ही कभी भी गिरने की बात कही जा चुकी है। उसके बावजूद भी इसमें राम भरोसे ही इलाज चल रहा है।

कुछ लोग एसएन की बिल्डिंग की सीढि़यों से यही कहते हुए जा रहे थे कि वह एसएन में नहीं मरना चाहते। घर पहुंच जाएं, उसके बाद भले ही कुछ भी हो जाए।