बात फैमिली कोर्ट की हो या परामर्श केन्द्र की, तक इस तरह की छोटी-छोटी वजह तलाक का कारण बन रही हैं।

बंद हो गई बातचीत
दिनेश और पूनम का मामला कुछ ऐसा ही था। पूनम दिनेश से तलाक चाहती हैं। पूनम का कहना है कि दिनेश बहुत खर्राटे लेते हैं जिसकी वजह से पूनम सो ही नहीं पाती हैं। पूनम ने ये भी आरोप लगाया कि जब पति को ये सलाह दी कि वो डॉक्टर को दिखाएं तो दिनेश ने झगड़ा किया और पूनम से बातचीत करना बंद कर दिया। परेशान हो पूनम अपने मायके आ गई।
स्ठ्ठशह्म्द्बठ्ठद्द श्चह्म्शड्ढद्यद्गद्व
स्नोरिंग प्रॉब्लम का मेन रिजन नाक या मुंह से हवा के आने-जाने में किसी भी तरह की बाधा होना। ये बाधा नाक की हड्डी का टेढ़ी होना, टर्बिनेट्स में सूजन आना, नेजल पौलिप्स, गले की मसल्स कमजोर होना, जीभ मोटी होना, टॉन्सिल फूलने या एडीनॉयड की समस्या भी खर्राटों का सबब बन सकती है।

एडजस्टमेंट की प्रॉब्लम
समाजशास्त्री डॉ। दिप्ती कौशिक की मानें तो शादीशुदा रिश्तों में मामूली सी बातों पर झगड़े और तलाक की डिमांड इसलिए हो रही है कि दोनों में से कोई भी एडजस्ट नहीं करना चाहता। जबकि एक रिश्ता तभी स्मूदली चलता है जब उसे निभाने वाले एक-दूसरे की फीलिंग्स और आदतों के साथ एडजस्ट करना सीखें। इवन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ों को बढ़ाने की जगह उन्हें खत्म करने की कोशिश नहीं की जाती। इसलिए जरा सा झगड़ा बहुत बड़ा हो जाता है और तलाक की वजह तक पहुंच जाता है।

खर्राटे रोकने के लिए डिलाइस भी अवेलेवल
स्नोरिंग से पीछा छुड़ाने के लिए स्नोर स्टॉपर नाम का एक यंत्र तैयार किया गया है। घड़ी की तरह दिखने वाले इस डिवाइस को कलाई पर बांधा जाता है। जैसे ही खर्राटे शुरू होते हैं, डिवाइस में लगे माइक्रो साउंड डिटेक्टर्स हरकत में आते हैं और हल्का इलेक्ट्रिक सिग्नल पैदा करते हैं। करंट इतना हल्का होता है कि नींद में खलल नहीं पड़ता और खर्राटे रूक जाते हैं।

"हमारे पास अब तक कई ऐसे मामले आ चुके हैं जिनमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर बहुत छोटे-छोटे आरोप लगाते हैं। यही छोटे आरोप झगड़ा के रूप में बड़े हो जाते हैं और लोग इन्हीं को आधार बनाकर तलाक की मांग करते हैं."
-मुकेश कुमार, काउंसलर परामर्श केन्द्र