शोधकर्ताओं का कहना है कि इसकी वजह से बच्चों में बड़े होने पर जरूरत से ज्यादा सक्रियता जैसे लक्षण उभर सकते हैं। ये अध्ययन अमरीकी जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें ब्रिटेन में रहने वाले 11,000 बच्चों की पड़ताल की गई है।

रात में खर्राटें, दिन में सुस्ती

मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर केरीन बोनुक का कहना है कि नींद संबंधी दिक्कतों की वजह से बच्चे के मस्तिष्क के विकास पर बुरा असर पड़ सकता है। एक अनुमान इस ओर इशारा करता है कि प्रत्येक दस में से एक बच्चा खर्राटे भरता है और इनमें से दो से चार प्रतिशत बच्चें ठीक से सो नहीं पाते हैं।

इसका मतलब ये है कि सोने के दौरान बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है। वैसे बढ़े हुए टांसिल्स को इसके लिए जिम्मेदार बताया जाता है। वयस्कों में इसके नतीजे कहीं ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। रात में खर्राटे भरने वाले वयस्कों को दिन में सुस्ती का सामना करना पड़ सकता है।

कुछ अध्ययनों में ये भी सुझाया गया है कि इसकी वजह से ध्यान में कमीं, असामान्य रूप से जरूरत से ज्यादा सक्रियता जैसी गंभीर व्यावहारपरक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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