04 बजे शुरू हुई बारिश

1.8 एमएम बारिश हुई

2014 में भी गिरे थे इतने ओले

32.4 डिग्री दर्ज हुआ मैक्सिमम टेम्प्रेचर

11.5 डिग्री मिनिमम टेम्प्रेचर था

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- आधे शहर में हुई बारिश और आधे में जमकर गिरे ओले, सड़कों और मैदानों में बिछ गई सफेद चादर

- गाडि़यां लेकर सड़क पर निकले लोग, बच्चे ओलो के साथ खेलते नजर आए, किसानों को नुकसान

बरेली। सिटी में वेडनेसडे शाम जो हुआ, उसने लोगों को चौंका दिया। हवाओं के साथ आसमान से बर्फ को गिरता देखकर बरेलियंस हैरान रह गए। सड़क पर चल रहे लोग शिमला का मजा लेते दिख रहे थे। बारिश के साथ इतने ओले गिरे कि देखते ही देखते सिटी के बाहरी इलाकों में सड़कों पर सफेद चादर बिछ गई। हालांकि बाहरी इलाकों के मुकाबले शहर में कम ओले गिरे।

यहां हुई बारिश

दिन में धूप खिलने के बाद शाम करीब चार बजे मौसम ने पलटी मार दी। अचानक तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई। पीलीभीत रोड, कटरा चांद खां, सिविल लाइंस, श्यामगंज, आदि इलाकों में बारिश ने लोगों घर में दुबके रहने को मजबूर कर दिया। बारिश से इन इलाकों में जलभराव हो गया।

100-100 ग्राम के ओले

शहर के सुभाष नगर, बदायूं रोड, करगैना, जंक्शन, शाहजहांपुर रोड, आदि जगहों पर बारिश के साथ ओले गिरे। यहां सड़कों, मैदानों और घर की छतों पर ओलो से सफेद चादर सी बिछ गई। जब ओले गिरना बंद हुए तो मौज मस्ती के लिए घरों से बाहर निकल आए। कई लोग तो गाड़ी लेकर शाहजहांपुर रोड पर निकल पड़े। यहां स्थित इंवर्टिस यूनिवर्सिटी और लोटस इंस्टीट्यूट के ग्राउंड पूरी तरह ओलो से पट गया। फरीदपुर के रहने वाले सुशील का कहना था कि करीब 100-100 ग्राम के ओले गिरे।

इसलिए गड़बड़ाया मौसम

लखनऊ में मौसम विभाग के डायरेक्टर जेपी गुप्ता के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम का में यह बदलाव आया। इस वजह से बारिश और ओले पड़े।

दो दिन साफ रहेगा मौसम

अब आने वाले दो दिनों तक मौसम साफ रहेगा। दो मार्च को एक बार फिर बारिश की संभावना है। वेडनेसडे को हुई बारिश से टेम्प्रेचर में भी दो डिग्री तक गिर सकता है।

फसलों को नुकसान

ओले गिरने से सरसों, गेहूं, आलू जैसी कई फसलों का नुकसान हुआ है। कई किसानों की सरसों इस समय खेतों में कटी पड़ी हुई है। ओले गिरने से सरसों की फली झड़ गई। वहीं गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है।

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वर्जन

इतनी मात्रा में ओलो का गिरना हमारे लिए आश्चर्यजनक था। बरेली में भी ऐसा हो सकता है, हमने सोचा नहीं था। ऐसा लग रहा था कि मानों हम किसी हिल स्टेशन पर आ गए हों। बहुत एन्जॉय किया।

सत्यम पांडे

मेरी एक फ्रेंड रूस में है। वह रोज बर्फ में मौज मस्ती करती हुई अपनी फोटो मुझे भेजती है। लेकिन अभी तक मुझे ऐसा मौका नहीं मिला था। वेडनेसडे को वो मौका मिला तो बहुत मजा आया।

श्रुति गौड़

मैं कॉलेज में था। पहले बादल बने तो मौसम सुहाना लगने लगा। लेकिन इसी बीच अचानक ओले गिरने लगे। और जरा सी देर में ही कॉलेज की पूरी फील्ड ओलों से भर गई।

अलमास, सूफी टोला

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इसलिए गिरते हैं ओले

- नदियों, समुद्र आदि का पानी भाप बनकर ऊपर उठता रहता है, जिससे बादल बनते हैं। यही बादल समय-समय पर बरसते हैं।

- जब आसमान में करीब 3 किलोमीटर ऊपर तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है, तो वहां मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदें जमने लगती हैं।

-जमी हुई बूंदों पर धीरे-धीरे और पानी जमने लगता है जो बर्फ के गोल टुकड़ों का रूप ले लेते हैं।

- इन टुकड़ों का वजन अधिक हो जाता है तो नीचे गिरने लगते हैं। ये बड़े बर्फ के टुकड़े नीचे आते आते छोटा रूप ले लेते हैं, जिन्हें ओला कहा जाता है।