Parking के पैसे देते हैं पर

अक्सर हम सभी रेलवे स्टेशन पर अपने प्रियजनों को रिसीव या सीऑफ करने के लिए जाते हैं। स्टेशन पर गाड़ी खड़ी करने के लिए 15 से 20 रुपए पार्किंग पर देते हैं। प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार करते वक्त 20 रुपए पानी की बोतल लेने पर खर्च करते हैं। अगर हमारे साथ कोई बच्चा है तो उसको चॉकलेट भी दिलाते हैं। यानि कुल मिलाकर हम जमकर खर्च करते हैं.  पर पांच रुपए प्लेटफॉर्म टिकट पर खर्च नहीं करते हैं। आखिर क्यों हम प्लेटफॉर्म टिकट नहीं लेते हैं?

नहीं है अलग counter

हर स्टेशन पर प्लेटफॉर्म टिकट के लिए अलग से काउंटर होता है। जिससे उस काउंटर पर प्लेटफॉर्म टिकट लेने वालों की ही भीड़ रहती है। दूसरे टिकट्स लेने वालों की भीड़ नहीं होती है। पर मेरठ स्टेशन पर ऐसा नहीं है। लेकिन सिटी रेलवे स्टेशन इस तरह की कोई अलग विंडो नहीं है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो स्टेशन रिसीव और सीऑफ करने तो जाते हैं पर टिकट विंडो में भीड़ की वजह से प्लेटफॉर्म टिकट नहीं लेते हैं।

लंबी लाइन, टाइम ज्यादा

हाल ये है कि अगर कोई प्लेटफॉर्म टिकट लेना भी चाहे तो उसे जनरल टिकट की लाइन में खड़ा होकर इंतजार करना पड़ता है। जब तक वो टिकट लेकर बाहर आएगा इतनी देर में उसके साथ वाले की ट्रेन मिस हो जाएगी या जिसको रिसीव करने आएं हैं वो इंतजार करके अपने आप घर पहुंच जाएगा। इसलिए भी लोग प्लेटफॉर्म टिकट को इग्नोर करते हैं।

कोई चेक नहीं करता

लोगों के प्लेटफॉर्म टिकट न लेने की वजह से रेलवे को रेवेन्यू का तो नुकसान होता ही है साथ ही सिक्योरिटी में भी बड़ी चूक हो सकती है। मेरठ सिटी रेलवे स्टेशन के गेट पर कोई प्लेटफॉर्म टिकट नहीं चेक करता है। हाल ये है कि कोई भी आराम से स्टेशन के अंदर जा सकता है। ऐसे में वहां कोई भी घटना घट सकती है। स्टेशन के गेट पर न तो टीसी और न ही आरपीएफ और जीआरपी के सिपाही रहते हैं।

कोई फाइन नहीं लगता

आपको बता दें कि प्लेटफॉर्म टिकट के बिना प्लेटफॉर्म पर पकड़े जाने पर क्रिमिनल ऑफेंस बनता है। पकड़े जाने 250 रुपए फाइन और प्लेटफॉर्म पर खड़ी टे्रन या आने वाली ट्रेन के आखिरी स्टॉपेज तक का फेयर फाइन के रूप में देना पड़ता है। फाइन न देने पर एक महीने की सजा का प्रावधान है। रेलवे ऑफिसर्स खुद भी मानते हैं कि प्लेटफॉर्म टिकट की वजह से रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है। पर स्टाफ की कमी की वजह से वो कुछ कर नहीं पा रहे हैं।

'प्लेटफॉर्म टिकट लेना काफी जरूरी है। टिकट के बिना पकड़े जाने पर एक तरह से क्रिमिनल ऑफेंस माना जाता है। लेकिन क्या किया जाए। स्टॉफ की काफी कमी है। अब वो प्लेटफॉर्म टिकट चेक करें या दूसरे जरूरी काम करें.'

- आरपी त्रिपाठी, स्टेशन सुपरिटेंडेंट, सिटी रेलवे स्टेशन

Figures Speak

एक दिन में स्टेशन पर आते हैं कुल - 12 हजार लोग

रिसीव या सी ऑफ करने आते है - 3 हजार लोग

प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत है - 5 रुपए

प्रतिदिन प्लेटफॉर्म टिकट की बिक्री - 3

रेलवे को हो रहा रेवन्यू लॉस - 4.50 लाख (मंथली)