जांचने के लिए टीचर नहीं

सोर्सेज से मिली जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के ग्राउंड फ्लोर पर बने इवैल्यूएशन सेंटर में सोसियोलॉजी की अभी लगभग 25 हजार कॉपीज चेक होनी बाकी हैं। लगभग इतनी ही कॉपी कोठार में भी बची हुई हैं। वहीं फस्र्ट फ्लोर पर बने इवैल्यूएशन सेंटर पर इसी सब्जेक्ट की लगभग 50 हजार कॉपी चेक होना बाकी हैं। इन कॉपियों को जांचने के लिए पर्याप्त संख्या में टीचर नहीं मिल पा रहे हैं।

लिमिट पूरी कर चुके हैं टीचर

एक टीचर को कॉपीज के मूल्यांकन के लिए मैक्सिमम 40,000 रुपए तक की लिमिट सैंक्शन है। जो टीचर पहले इन कॉपीज का इवैल्यूएशन कर रहे थे वह इस लिमिट को पूरा कर चुके हैं। बाहर के टीचर अब इसलिए यहां नहीं आ रहे क्योंकि स्टेट की अन्य यूनिवर्सिटीज में भी इस समय इवैल्यूएशन चल रहा है। डीडीयू में एक टीचर को पर डे मैक्सिमम 100 कॉपीज चेक करने के लिए दी जाती हैं, जबकि कुछ अन्य यूनिवर्सिटीज ऐसी भी हैं जो एक दिन में 150 या इससे भी अधिक कॉपी चेक करने के लिए देती हैं।

हर साल आती है प्रॉब्लम

सोसियोलॉजी की कॉपीज को लेकर 2010 में भी यही समस्या आई थी। तब यूनिवर्सिटी के मानदेय टीचर्स ने इस सब्जेक्ट की कॉपियां फ्री में चेक करके डीडीयू को संकट से बाहर निकाला था। 2011 में भी सोसियोलॉजी के टीचर्स की लिमिट खत्म हो गई थी। इसके बाद इनकी लिमिट को शासन की परमीशन लेकर बढ़ाया गया था। इस बार भी यह प्रयास किया जा रहा है कि लिमिट को 40 से बढ़ाकर 70 हजार रुपए कर दिया जाए, हालांकि अभी तक शासन से इसकी अनुमति नहीं मिली है।

कब आएगा रिजल्ट, पता नहीं

उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटीज को अपने सारे रिजल्ट डिक्लेयर करने के लिए 30 जून तक का टाइम दिया जाता है। लास्ट इयर यूनिवर्सिटी ने 12 अप्रैल को पहला रिजल्ट डिक्लेयर किया था। लेकिन फिर भी प्रॉब्लम होने के चलते शासन ने समय सीमा बढ़ाकर 31 जुलाई की थी। इस बार तो यह कंडीशन है कि जून के तीन वीक बीत चुके हैं लेकिन अभी यूनिवर्सिटी रिजल्ट डिक्लेयर नहीं कर पाई है। ऐसे में तो सारे रिजल्ट अगस्त लास्ट तक भी निकल पाना बहुत मुश्किल है।