पहियों और सख्त लंबे पावों वाले रोबोटों की तुलना में यह रोबोट आसानी से कहीं से भी निकल सकता है। इसकी परिकल्पना ऑक्टोपस और स्टार फ़िश को ध्यान में रख कर की गई है।

समुद्री प्राणियों को ध्यान में रख कर बनाए गए इस रोबोट को बनाने में नर्म तत्वों का इस्तेमाल किया गया है और इसे चलाने के लिए हवा का इस्तेमाल किया जाता है। प्रोफ़ेसर जॉर्ज व्हाईटसाइड्स, रोबेर्ट शेपर्ड्स और उनके साथियों का कहना है कि उनकी प्रेरणा बिना सख्त हड्डियों के ढाँचे वाले समुद्री जीव थे।

वैज्ञानिकों ने इस रोबोट को एक ख़ास किस्म के लचीले तत्व "इलास्टोमर" का इस्तेमाल करके बनाया है। इलास्टोमर को कई तहों में बनाया गया है और इसमें छोटे छोटे कक्ष हैं जो आगे बढ़ने के लिए बारी-बारी से फूल जाते हैं।

इसे बनाने वाले इंजीनियरों का कहना है कि उन्होंने अपने रोबोट को कई ऐसी जगहों से गुज़ारा जहाँ से सख्त रोबोटों का गुज़रना मुश्किल है। मसलन अपने नर्म रोबोट को उन्होंने सिकुड़ कर एक कांच की पट्टी के नीचे से महज़ दो सेंटीमीटर ऊँची जगह से निकाला।

इसे बनाने वालों का कहना है कि उनका रोबोट गिरने, टकराने और छिलने के बावजूद अधिक सुरक्षित तरीके से निकल सकता है.पर इसके निर्माताओं ने यह कुबूला कि उनका रोबोट अपनी नर्म त्वचा की वजह से काँच के टुकड़ों और काँटों के ऊपर से नहीं निकल सकता।

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