आईआईटी के फॉर्मर डायरेक्टर प्रोफेसर संजय गोविन्द धांडे ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट को तवज्जो दी थी. करीब 3 साल पहले प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह इंस्टीट्यूट के कनवोकेशन में शिरकत करने आए थे. पीएम को इस प्रोजेक्ट के बारे में डिटेल से जानकारी देकर इसका शिलान्यास कराया गया था. हालांकि उस टाइम इस प्रोजेक्ट से इंस्टीट्यूट के आसपास के विलेज में भी पॉवर सप्लाई की बात कही गयी थी. इसके लिए बारासिरोही के पास आईआईटी की लैैंड, जो नहर के पास है वहां पर प्रोजेक्ट लगाने का प्लान बनाया गया था.

आईआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. आर एस आनंद व डीन आरएंडडी प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने सोलर एनर्जी रिसर्च इन्क्लेव डेवलप करने की दिशा में काफी तेजी से वर्क किया. यह रिसर्च इन्क्लेव आईआईटी कैंपस में बारासिरोही की साइड में डेवलप किया गया है. इसमें स्माल साइज से सोलर पैनल के साथ ही बड़े पैनल भी लगाए गए हैैं. यह पैनल ऐसे प्वाइंट पर लगाए गए कि उनपर लगभग पूरे दिन सन रेज पड़ती हैं. सबसे मजेदार चीज ये कि विभाग के सैकड़ों स्टूडेंट्स को इस इनक्लेव और प्रोजेक्ट से पढ़ाई में जोरदार मदद मिल रही है. वहीं रिसर्चर्स को भी खूब हैल्प मिल रही है. ये सभी स्टूडेंट्स के लिए बेहतरीन फस्ट हैंड एक्सपीरिएंस है.

कई कंपनी पर चल रहा ट्रायल

रिसर्च इन्क्लेव में करीब 50 किलोवॉट पॉवर जनरेट की जा रही है. इसमें कई कंपनी के पैनल का यूज किया जा रहा है. रिसर्च इन्क्लेव में इस बात पर फोकस किया जाएगा कि किसका पैनल ज्यादा बेहतर रिजल्ट दे रहा है. टाटा बीपी, गौतम पालीमर के साथ साथ नव वर्जी के पैनल सोलर एनर्जी के लिए यूज किए जा रहे हैैं.

यहां सोलर इनर्जी का जलवा

सोर्सेस से मिली जानकारी के अनुसार अभी स्टूडेंट्स के हास्टल हाल 10 एव हाल 8 में इन्क्लेव से बनने वाली बिजली दी जा रही है. अभी ट्रायल सुबह 6.30 से शाम 6.30 बजे तक किया जा रहा है. इसमें अभी बैट्री बैकअप नहीं दिया गया है. सिर्फ 5 किलोवॉट के सिस्टम पर बैट्री बैकअप दिया जा रहा है. इन हास्टल में दिन की सप्लाई रिसर्च इन्क्लेव से की जा रही है. इसमें स्टूडेंट्स के रूम की लाइट व फैन आसानी से चल रहा है.

हास्टल्स खाली है

हालांकि समर वैकेशन होने की वजह से हास्टल में अभी स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम है. इंस्टीट्यूट में सिर्फ वहीं स्टूडेंट्स नजर आ रहे हैं जो कि प्रोफेसर के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट पर वर्क कर रहे हैैं. आमतौर पर सभी हास्टल खाली है. इंस्टीट्यूट में जहां रौनक होती थी वहां पर सन्नाटा नजर आ रहा है.

ट्रायल सक्सेस तो हर हॉस्टल में

रिसर्च लेवल पर अगर यह ट्रायल सक्सेस फुल रहा तो आने वाले टाइम में इंस्टीट्यूट इस नेचुरल एनर्जी रिसोर्स पर फोकस करेगा. सोलर एनर्जी रिसर्च इन्क्लेव की वर्किंग को इंस्टीट्यूट कसौटी पर कसने के लिए कमर कस चुका है. कोई बड़ी बात नहीं है कि आने वाले टाइम में सभी हास्टल की छत पर सोलर पैनल लगा दिए जाएं. सोलर एनर्जी से करीब 15 मेगावॉट बिजली जनरेट करने की प्लानिंग बनायी गयी है.

नीड के एकार्डिंग वर्क करें

पॉवर क्राइसिस से बचने के लिए रिसर्च की फील्ड में वर्क करने वालों के इस तरह के प्रयोग करना चाहिए. बस देखने की बात यह है कि आपके एरिया में कौन सा नेचुरल रिसोर्स इजी गोइंग अवलेवल है. उसी को बेस बनाकर वर्क करना चाहिए. आईआईटी के रजिस्ट्रार आर के सचान ने कहा कि हमें अपनी नीड के एकार्डिंग वर्क करना पड़ेगा. पॉवर क्राइसिस से बचने का बेहतर उपाय सोलर एनर्जी है.

इंस्टीट्यूट के सोलर एनर्जी रिसर्च इन्क्लेव का इनॉग्र्रेशन पहले प्रेसीडेंट प्रणव मुखर्जी से कराने का प्लान बनाया गया था. लेकिन कुछ कारणों से यह संभव नहीं हो पाया. अब इसका इनाग्र्रेशन 4 जुलाई को कराने की तैयारी की जा रही है. इनॉग्र्रेशन की चीफ गेस्ट बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन प्रो. एम आनंद कृष्णन हो सकते हैैं.

सोलर एनर्जी रिसर्च इन्क्लेव पर वर्क किया गया है. इस इन्क्लेव की क्षमता  करीब 50 किलोवॉट बिजली जनरेट करने की है. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर्स की टीम  ने इस रिसर्च इन्क्लेव में काफी अच्छा वर्क किया है.

-प्रो. एससी श्रीवास्तव, डिप्टी डायरेक्टर