आगरा. स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में ताज नगरी में अभियान की तैयारी तो जोर- शोर से की गई, लेकिन शहर में कूड़ा उठान व उसके निस्तारण की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सका. यही कारण रहा है कि हम टॉप-टेन की उम्मीद लगाने के बाद 85वें स्थान पर पहुंच गए. हमें पहले पायदान पर अपने आप को स्थापित करने वाले इंदौर से सीख लेनी होगी. सॉलिड वेस्ट की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना होगा.

हम इंदौर से सॉलिड वेस्ट निस्तारण में कैसे पीछे हैं, जानिए

इंदौर की व्यवस्थाएं

- डोर-टू-डोर कचरा कलैक्ट किया जाता है. वेस्ट-टू-कंपोस्ट और वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट में भेजा जाता है.

- इंदौर डस्टबिन फ्री जोन है, क्योंकि पूर्ण रूप से डोर-टू-डोर कचरा कलैक्ट किया जाता है.

- इंदौर में सफाई के बाद सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में रिसाइकल वाटर छिड़का जाता है.

- सफाई के लिए शहर को दो चरणों में बांटा गया है.

- रात के 9 बजे से एक बजे तक मुख्य बाजारों में सफाई की जाती है.

- इंदौर में दूसरे चरण में आवासीय और ओद्यौगिक क्षेत्रों में सफाई की जाती है.

-सफाईकर्मियों की मैनुअल कमी नहीं है.

- सफाई कर्मचारी प्रशिक्षित हैं.

- इंदौर में सफाई में लगे वाहनों के डीजल पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं.

- डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन के समय स्वच्छता का गाना बजता है, लोग कूड़ा बाहर लेकर खड़े रहते हैं.

-कूड़ा कलैक्शन में लगे वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा है.

- चौराहे पर स्क्रीन लगी हुई हैं.

आगरा में सफाई व्यवस्था पर एक नजर

- आगरा में सफाई के बाद पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है.

- सफाई कर्मचारी पर्याप्त संख्या में नहीं है, न ही वे प्रशिक्षित हैं

- डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन 100 वार्डो की बजाय 80 में होने का दावा है.

- आगरा में एक भी क्षेत्र डस्टबिन फ्री जोन नहीं है. न ही कोई मार्केट डस्टबिन फ्री है.

- कूड़ा कलैक्शन के लिए चार जोन में पांच कंपनियां काम कर रही हैं, लेकिन स्वच्छता का गाना नहीं बजता है.

- मशीनें तो हैं, लेकिन रात में सफाई व्यवस्था की औपचारिकता ही होती है.

- सड़कों की सफाई मशीनें तो हैं, लेकिन उनसे सफाई नहीं की जाती हैं.

- शहर में चौराहों पर स्क्रीन तो लगाई गई है, लेकिन व्यवसायिक प्रचार-प्रसार के लिए

- शहर में हर रोज 785 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, लेकिन निस्तारण 15-20 मीट्रिक टन है

- सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट मैनेजमेंट की मॉनीटरिंग के लिए कोई कंट्रोल रूम नहीं है.

इनके दावे हवा-हवाई

नगर निगम ने कचरे की सूचना देने के लिए एक मोबाइल एप बनाया था, उसका प्रचार-प्रसार न होने के कारण यह एप आम लोगों की पहुंच से दूर हो गया. डिवाइस की हेल्प से कचरा उठाने का प्लान भी बनाया गया था, जो अभी फाइलों में ही है. शहर के तकरीबन चार हजार सफाईकर्मियों को बैंड देने की बात कही गई थी. जो आवास पर लगी बैंड से टच करते ही लोगों को कचरा उठान की जानकारी हो जाने की बात कही थी. कचरा डंप वाले स्पॉट पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक ये योजनाएं फाइलों में ही कैद हैं. ये अभी धरातल पर नहीं उतर सकी हैं.

ये है कुबेरपुर लैंडफिल साइट की हकीकत

शहर के 100 वार्डो से जो पांच कंपनियां कचरे का कलैक्शन कर रही हैं. उस कचरे को कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर डंप किया जाता है. सूत्रों की मानें तो शहर में 750 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा कलैक्शन होता है. हालांकि नगर निगम की फाइलों में 712 से 720 मीट्रिक टन कूड़ा ही शहर में निकलता है. हकीकत में वर्तमान सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में हर 15 से 20 मीट्रिक टन कचरे का ही निस्तारण किया जा रहा है, जबकि अन्य कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है.

निगम के अफसरों का ये है दावा

नगर निगम के अफसरों का दावा है कि 100 वार्डो से जो कूड़ा कलैक्शन किया जा रहा है. उसे कुबेरपुर के सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में भेजा जाता है. कुबेरपुर में 20 एमटीडी का ही प्लांट काम कर रहा है. इससे से गीले कूड़े से 3.5 एमटीडी मीट्रिक टन कंपोस्ट कर तैयार किया जा रहा है. वहीं दूसरे प्लांट जो राजनगर में काम कर रहे हैं. इसमें फूलों से प्रतिदिन 0.3 एमटीडी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. ऐसा नगर निगम के अफसरों का दावा है.

फैक्ट फाइल

328 कुल वाहन कचरा उठाने वाले

122 बड़े वाहनों से उठाया जाता है कचरा

12 जेसीबी की मदद से उठाया जाता है कचरा

280 बड़े डंफर वाले डस्टबिन

540 छोटे साइज के डस्टबिन

तो ऐसे तो यमुना साफ नहीं हो पाएगी

जब जल संस्थान का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. शहर में मौजूद आठ एसटीपी 143.50 एमलडी वेस्ट वाटर का ही शोधन कर पा रही हैं, आठ एसटीपी की वेस्ट वाटर शोधन की क्षमता 220.75 एमएलडी है. ऐसे में बड़ा सवाल ये हैं, कि शहर में हर रोज 286 एमएलडी वेस्ट वाटर उत्पन्न हो रहा है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर पा रहे हैं. सीवर ट्रीटमेंट के लिए 1476.99 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था.

मशीनों से सड़कों की सफाई हो रही है. रात को बाजारों में सफाई भी नियमित रूप से चल रही है. हर रोज इसकी मॉनीटरिंग होती है.

केबी सिंह, अपर नगरायुक्त