शिल्पा सिंह, मिस यूनिवर्स फाइनलिस्ट

समस्तीपुर की शिल्पा सिंह ने मिस यूनिवर्स के फाइनल में एंट्री कर तहलका मचा दिया था। 18 वर्षीय शिल्पा स्टेट की पहली लड़की है, जिसने मिस यूनिवर्स में एंट्री की। क्लास टू तक की पढ़ाई उसने मुजफ्फरपुर से की। शिल्पा ने जब पार्ट टाइम मॉडल के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया था, तभी से फेमस हो गई। भले ही वह मिस यूनिवर्स का ताज बिहार को नहीं दिला सकी, पर स्टेट को मॉडलिंग के प्रति एक नजरिया जरूर दे दिया।

'शिल्पा में अच्छे मॉडल की सारे गुण मौजूद हैं। मुझे तो इस बात पर आश्चर्य है कि वह टाइटल जीतने से कैसे चूक गई। उसका कम्युनिकेशन स्किल और प्रेजेंटेशन तो लाजवाब था। पार्ट टाइम मॉडलिंग करने के बाद भी उसने मिस यूनिवर्स के फाइनल में एंट्री की, जो उसके टैलेंट को बताता है.'

-नीतीश चंद्रा, फैशन डिजाइनर।

एम अखलाक, रंगकर्मी व सोशल एक्टिविस्ट।

मुजफ्फरपुर के एम अखलाक ने अबतक एक हजार ग्रामीण कलाकार को मंच प्रदान किया है। उनकी इस पहल से गांव के दर्जनों कलाकार अपनी कला का जादू बिखेर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पत्रकारिता से इतर जाकर 'गांव जवार जनसंगठन' बनाया। इसमें लोक गीत गाने वाले, भजन-कीर्तन गाने वाले, नाच पार्टियों में काम करने वाले आदि कलाकारों को शामिल किया। मुजफ्फरपुर के 16 प्रखंडों में संगठन इकाई के रूप में काम करती है और वहां की प्रतिभा को शहर तक लाती है। एम अखलाक के इस प्रयास से मुजफ्फरपुर के कलाकारों में एक उत्साह जगा है। संगठन जनभागीदारी से पैसा इकट्ठा कर कलाकारों के लिए 'लोक जमघट' कार्यक्रम आयोजित करता है।

'एम अखलाक जुझारू व्यक्तित्व के मालिक हैं। पत्रकारिता तो अपनी जगह, उससे समय निकालकर उन्होंने ग्रामीण कला को पहचान दिलाई। उनके प्रयास से दर्जनों कला विलुप्त होने से बच गई। ऐसी कला को न सिर्फ नया आयाम मिला, बल्कि कलाकारों की आर्थिक स्थिति भी ठीक हुई.'

-स्वाधीन दास, रंग निदेशक।

कंचन प्रिया, जादूगरनी।

पीसी सरकार का नाम सभी जानते हैं। उनके जैसा जादू दिखाने वाली कंचन प्रिया की कला गांव में दबकर रह गई थी। मुजफ्फरपुर के सकरा सुस्ता मोहम्मदपुर गांव की कंचन ने अपने चाचा से जादू सीखी। वह आंख पर पट्टी बांधकर स्कूटी चलाती है, आरी से सिर को धड़ से अलग कर देती है, लड़की को गायब कर देती है, लड़का को जानवर बना देती है, खुली हाथों से हवा में पैसों की बारिश करती है। कंचन के माता पिता उसे शहर में जादू दिखाने की इजाजत नहीं दे रहे थे। बावजूद उसने कर्ज लेकर मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े ऑडिटोरियम आम्रपाली में एक महीने जादू का शो किया। इस शो ने उसे शोहरत के साथ पैसे भी दिलाए।

'कंचन प्रिया में बड़े जादूगर के सभी गुण हैं। शहरों में कंचन का जादू देखने के लिए तांता लगा रहता है। उसने कर्ज लेकर शहर में पहला शो किया था। ऐसी प्रतिभा राज्य ही नहीं देश की धरोहर है.'

-डॉ। कौशल किशोर चौधरी, अध्यक्ष, जवार जनसंगठन।

सुशांत सिंह राजपूत, एक्टर

महज 27 साल की उम्र में डांसर से टीवी एक्टर और अब बॉलीवुड स्टार का सफर पूरा किया है सुशांत सिंह राजपूत ने। फिल्म 'काय पो चे' ने सुशांत को रातों रात स्टार जरूर बना दिया लेकिन सफर आसान नहीं रहा। हालांकि बॉलीवुड में आने से पहले टीवी पर भी सुशांत अपने हर सीरियल के फेस रहे हैं और हिट्स उनकी साथी। पटना के सुशांत की बॉलीवुड में एंट्री जितनी सरप्राइजिंग थी, हिट उतनी ही ऑब्वियस रही। प्रोमोज रिलीज होने से पहले ही फिल्म में सुशांत पहचाने और पसंद किए जाने लगे और रिलीज के बाद तो स्टारडम भी मिल गया।

'पहली मूवी में ही सुशांत एक प्रॉमिसिंग एक्टर बनकर उभरे हैं। डेली सोप के व्यूअर्स में उनकी एक फैन फॉलोइंग पहले से भी रही है और अब काय पो चे के बाद यूथ भी उनके फैन हो गए हैं। ऐसा रिस्पांस उनकी काबिलियत और मेहनत को दिखाता है.'

-विनोद अनुपम, फिल्म क्रिटिक।

रवि भूषण भारतीय, एक्टर

थिएटर से फिल्में और नेशनल अवार्ड का रैंप, रवि भूषण भारतीय की रियल स्टोरी है। बिहार के छोटे से जिले से निकलकर मुंबइया इंडस्ट्री पर अपनी धाक जमाने की शुरूआत कर दी है रवि ने। नेशनल अवार्ड विनर मूवी पान सिंह तोमर में सेकेंड लीड में दिखे रवि के पास आज बॉलीवुड में प्रोजेक्ट्स की कमी नहीं है। रवि अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके हैं और उनकी एक्टिंग का ही दम रहा कि कई ऐसी फिल्में रवि ने साइन की हैं जिसमें वो लीड रोल में है। ठेठ बिहारी अंदाज और खुद को बिहारीपन से प्रेजेंट करना रवि की खासियत है।

'रवि की एक्टिंग में स्कोप दिखता है। लीड रोल में ना होने के बावजूद उन्होंने प्रभावित किया है। बिहार के आर्टिस्ट हैं और मेरे हिसाब से वे नेक्स्ट मनोज वाजपेई हैं.'

-विजय खरे, फिल्म क्रिटिक।

राजेश कुमार, यूनिसेफ

एक बैंकिंग प्रोफेशनल से सोशल वर्कर, ऐसा करते बहुत कम ही लोग हैं। सभी को एक अ'छी जॉब चाहिए लेकिन राजेश कुमार सिर्फ जॉब से सैटिस्फाई नहीं थे। आईसीआईसीआई बैंक में सीनियर एग्जीक्यूटिव होने के बाद राजेश ने जॉब छोड़ दी और जब बिहार में बाढ़ आया तो सोशल वर्क की ओर मुड़ गए। यूनिसेफ के साथ काम करते हुए राजेश आज 12 डिस्ट्रिक्ट के इंचार्ज हैं। इस बीच राजेश ने कोसी रीजन में पोलियो टीम के साथ काफी दिनों तक काम किया है।

'राजेश की मेहनत और लगनशीलता इसी से झलकती है कि उन्हें जो भी टारगेट दे दें, काम पूरा होगा। यह राजेश का बेस्ट पार्ट है.'

-अनूप, सीनियर एसटीएफ, सीवीएम प्रोग्राम, बिहार यूनिसेफ।

समर कादरी, झारखंड से रणजी प्लेयर

पटना के समर कादरी फिलहाल झारखंड रणजी क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं और ईस्ट जोन की ओर से दिलीप ट्राफी में भी खेलते हैं। इस बार ईस्ट जोन दिलीप ट्राफी चैंपियन भी बना है। 23 साल के समर दो विकेट लेकर सेमीफाइनल में टर्निंग प्वाइंट साबित हुए थे। दाएं हाथ के लेग स्पिनर समर ने पटना में ही किक्रेट की शुरुआती बारीकियां सीखीं। बारहवीं तक की पढ़ाई समर ने पटना में की है। जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी जाने के बाद समर यूनिवर्सिटी टीम के कप्तान भी बने। अंडर-22 में लगातार दो साल तक झारखंड को रिप्रजेंट करने के बाद चार सीजन से झारखंड के लिये रणजी खेल रहे हैं।

'समर बहुत ही हार्ड वर्किंग और टैलेंटेड क्रिकेटर है। वह नेट्स पर लगातार 03 घंटे तक बॉलिंग प्रैक्टिस करता है और सभी तरह की गेंदें फेंकता है। यह ऐसी बेसिक खूबियां हैं जो किसी बॉलर को ऊंचाइयों तक ले जाती हैं। अगर उसे प्रॉपर गाइडेंस, ट्रेनिंग और मौके मिले तो जल्द ही इंडियन टीम में होगा.'

-मनिंदर सिंह, फॉर्मर इंडियन क्रिकेटर।

श्वेता, गूगल स्टूडेंट एम्बेसडर

पटना की 21 साल की श्वेता 2012 में गूगल स्टूडेंट एम्बेसडर (जीएसए) चुनी गईं। श्वेता बीआईटी, पटना में कंप्यूटर साइंस की सेकेंड ईयर की स्टूडेंट हैं। उसने सितंबर, 2012 में बेंगलुरु में जीएसए समिट में हिस्सा लिया था। दुनिया भर में टफ कांटीशन के बाद जीएसए का सेलेक्सन होता है। जीएसए गूगल और अपनी यूनिवर्सिटी के बीच लाइजनिंग का काम करता है। साथ ही कैंपस में फन इवेंट्स को प्लान और होस्ट भी करते हंै। जीएसए के रूप में जुडऩे से स्टूडेंट को न्यू टेक्नोलोजी और प्रोफेशलन डेवलपमेंट से अपगे्रड होने का मौका मिलता है। साथ ही जीएसए को प्लेसमेंट में भी मदद मिलती है।

'श्वेता एक सिनसियर, इंटेलीजेंट और हार्डवर्किंग स्टूडेंट है। गूगल स्टूडेंट एम्बेसडर बनकर उसने न केवल अपने लिये एक अचीवमेंट हासिल की है बल्कि  संस्थान का भी नाम बढ़ाया है.'

-डा। एसएल गुप्ता, डायरेक्टर, बीआईटी।

धीरज वशिष्ठ, योगाचार्य

धीरज वशिष्ठ भागलपुर से ग्रेजुएशन के बाद आईआईएमसी से रेडियो एंड टेलिवीजन जर्नलिज्म का कोर्स किया। लगभग पांच साल तक डिफरेंट नेशनल न्यूज चैनलों में काम किया। अचानक ध्यान योग की ओर गया और उन्होंने अपना जीवन योग का समर्पित कर दिया। कई प्रतिष्ठित योग संस्थान में अध्ययन करने के बाद योग फांउडेशन की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम से वो गुजरात, दिल्ली और बिहार में हेल्थ अवेयरनेस फैला रहे हैं। कैसे लोग पूर्ण स्वस्थ रहें और संपूर्ण जीवन एक उत्सव बन जाए, यही उनकी कोशिश है। उनका कहना है कि योग दुखों को खत्म करता है।

'धीरज वशिष्ठ को जर्नलिज्म के समय से ही जानते हैं। वो एक तपस्वी की तरह अपने कार्य में लगे हैं। उनके सान्निध्य में मैंने योग का अभ्यास किया है, जिससे मुझे काफी लाभ पहुंचा है.'

-पवन तिवारी, सीनियर जर्नलिस्ट।

रिंकू कुमारी, 'अप्पन समाचार चिट्ठा'

गांव, किसान और महिलाओं की प्रॉब्लम्स को खबर बनाने के लिए 26 वर्षीय रिंकू कुमारी 2008 में वीडियो न्यूज बुलेटिन अप्पन समाचार का हिस्सा बनीं। शुरुआत में रिंकू के फैसले पर ढेरों सवाल उठे। जैसे-जैसे अप्पन समाचार का असर दिखा लोगों का भरोसा बढऩे लगा। अब महिलाएं बुला-बुला कर रिंकू को खबरें देती हैं। आज रिंकु अप्पन समाचार की प्रोड्यूसर और 'अप्पन समाचार चिट्ठा' की संपादक हैं। रिंकू  का मानना है कि महिलाओं के लिए सबसे जरूरी है उनका एजुकेटेड होना। शुक्रवार को 19वें पटना बुक फेयर में रिंकू को एसपी सिंह जर्नलिज्म अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।

'रिंकू में बहुत पोटेंशियल है, जज्बा है। सीमित ट्रेनिंग के बावजूद उन्होंने अप्पन समाचार को उन सामाजिक बंधनों को तोडऩे का माध्यम बनाया है, जिसमें महिलाएं आज जकड़ी हुई हैं.'

-संजय कुमार, एशिया ब्यूरो, 1एआरडी-फस्र्ट जर्मन टीवी।

मनीष मनोहर, सोशल वर्कर

सुपौल के रहने वाले मनीष मनोहर 2004 से ही सोशियो डेवलपमेंट सेक्टर में काम कर रहे हैं। उन्होंने ज्यादातर कोसी रीजन में काम किया है। एल्डर्ली पीपुल का इनकम कैसे बढ़े इसपर भी काम किया। 'निदान' के साथ कोसी में हो रहे पलायन को रोकने के लिए मनीष काफी काम किया है। अभी वे हेल्पेज इंडिया के साथ काम कर रहे हैं। 'डिजास्टर रिस्क रिडक्शन' प्रोजेक्ट के तहत मधुबनी, दरभंगा व सुपौल के 40 गांवों में काम कर रहे हैं। मनीष यहां के लोगों के लिए इनकम का स्रोत जेनरेट करने तथा उनके रहन-सहन के तरीकों को डेलवप कर रहे हैं।

'Manish always demonstrates a very positive attitude to the team and makes them feel like they can accomplish their stated goals.'

-Girish Chandra Mishra, State Head, Helpage India

संतोष कुमार, आरटीआई एक्टिविस्ट

भागलपुर, मिरजानहाट के कुमार संतोष ने आरटीआई को एक हथियार के रूप में लिया। इन्होंने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना से कई बड़े ऑफिसर्स के साथ-साथ कई घोटालों और बड़े कारनामों का पर्दाफाश किया। 2010 में इन्होंने सिद्धो कान्हू मुर्मू यूनिवर्सिटी ऑफिस से वित्त रहित कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति से संबंधित सूचना मांगी थी। इस मामले में प्रथम व द्वितीय अपील की कार्रवाई में यूनिवर्सिटी पर 25 व 40 हजार रुपए का दंड लगाया गया। वर्तमान में केस रांची हाईकोर्ट में चल रहा है। इसी तरह इलेक्ट्रिसिटी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, भागलपुर ने बिजली चोरी के संबंध में टीचर उदय चौरसिया पर एफआईआर दर्ज करवाया था। इस मामले में आरटीआई से मांगी गई इंफॉर्मेशन से उदय चौरसिया पर से एफआईआर हटा लिया गया। इस तरह संतोष ने दर्जनों लोगों को राहत दिलाई।

'कुमार संतोष जरूरतमंद, शोषित व प्रताडि़त लोगों की सहायता व मदद के लिए हमेशा ही आगे रहते हैं.'

-डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह, सीएमओ, भागलपुर