आगरा। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में आखिरकार हम क्यों पिछड़ गए, इस सवाल का जवाब जिम्मेदारों को तलाशना होगा। स्वच्छता के पहले चरण में ताजनगरी प्रदेश में अव्वल रहने के बाद फिर अचानक स्वच्छता का ग्राफ नीचे गिरता गया। हकीकत में स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान जिस तरीके से फाइलों में दौड़ा, उस हिसाब से धरातल पर खड़ा होने से पहले ही लड़खड़ाता नजर आया। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में धरातल की स्थितियों से रूबरू कराती ये रिपोर्ट

300 स्वच्छता दूतों ने संभाली थी बागडोर

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के अभियान की बागडोर इस बार 300 स्वच्छता दूतों ने संभाली थी। इन स्वच्छता दूतों का काम शहर के लोगों को जागरूक कर स्वच्छता के लिए प्रेरित करना था। हालांकि अफसरों का दावा है कि स्वच्छता रैली, प्रभात फेरियां निकाली गई, जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक भी किए गए, लेकिन हकीकत में स्वच्छता दूतों की भूमिका फाइलों में ज्यादा नजर आई। धरातल पर कम ही दिखी।

हर वार्ड में बनाई गई थी स्वच्छता प्रोत्साहन समिति

नगर निगम के 100 वार्डो में स्वच्छता प्रोत्साहन समिति बनाई गई थीं। इन समितियों में रिटायर्ड कर्मचारियों को, जनप्रतिनिधियों को, समाज सेवियों को जोड़ा गया था। इनको पैदल मार्च कर वार्ड के लोगों को प्रोत्साहन करना था। सूत्रों की मानें तो ये समितियां भी केवल फाइलों में संचालित होती रहीं। जिम्मेदार अफसरों ने इसकी मॉनीटरिंग करने तक की जरूरत नहीं समझी। बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार प्रचार-प्रसार के लिए शासन द्वारा करोड़ों का बजट मुहैया कराया गया। नगर निगम को वर्ष 2018-19 में 37 करोड़ बजट मुहैया कराया गया। गत वर्ष ये 40 करोड़ था।

इनकी की गई अनदेखी

- डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन का काम अंजाम तक नहीं पहुंच पाया

- कूड़ा निस्तारण में गड़बड़झाला, कूड़ा उठाने की बजाय आग लगा दी जाती है

- महिलाओं के 30 पिंक टॉयलेट बनाए गए थे। इन पर अभी ताला लटका हुआ है

- एसटीपी से जल शोधन का काम ठीक नहीं हो रहा।

- यमुना में गंदे नाले गिर रहे हैं। इनको रोकने का कोई अरेंजमेंट नहीं है

- कूड़ा उठाने को डस्टबिन में जीपीपीए लगाने का काम हवा-हवाई

- पॉलीथिन अभियान में रश्म अदायगी की गई

- जल स्रोतों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

- कहने को शहर डबल ओडीएफ है, लेकिन कई इलाके ऐसे हैं, जहां खुले में आज भी शौच किया जा रहा है।

कटरा फुलेल वार्ड को प्रदेश का सबसे स्वच्छ वार्ड

विगत महीने ताजनगरी के कटरा फुलेल वार्ड को प्रदेश में सबसे स्वच्छ वार्ड घोषित किया गया था। वार्ड 44 का कटरा फुलेल को प्रथम, वार्ड 94 का बाग फरजाना दूसरे स्थान पर और वार्ड 91 का रावतपाड़ा तीसरे स्थान पर आया। इस दौरान साढ़े 11 लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया। इस दौरान कचरा प्रबंधन, उपकरण, सफाई, सीवर व्यवस्था आदि से सम्बन्धित 60 सवाल पूछे गए थे। बड़ा सवाल ये है जब हम प्रदेश में पहले स्थान पर रहे, तो स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में टॉप-टेन में भी स्थान क्यों नहीं बना पाए।

आंकड़े

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019

आगरा का प्रदेश में 5वां स्थान

आगरा का देश में 85वां स्थान

स्वच्छता सर्वेक्षण में 4237 शहरों ने प्रतिभाग किया

ताज नगरी को 5 हजार पूर्णाक में से 2970 अंक मिले