आगरा। हर रोज की तरह से कलेक्ट्रेट में लोगों का आवागमन जारी था, आई नेक्स्ट रिपोर्टर भी हर रोज की तरह कलेक्ट्रेट प्रांगण में पहुंच गया, यकायक रिपोर्टर की नजर एक 93 वर्ष के एक वृद्ध दंपति पर पड़ी, जो अपने सिर पर कुछ कपड़ों की पोटली रखकर बोझिल कदमों से बाहर जाने के लिए गेट की ओर बढ़ा रहा था। पहली नजर में रिपोर्टर ने उन्हें समाजवादी श्रवण यात्रा के लाभार्थी समझा। इसी जिज्ञासावश रिपोर्टर उस वयोवृद्ध दंपति से मुखातिब होकर पूछा कि क्या बाबा यात्रा पर जा रहे हो, रिपोर्टर का इतना कहना भर था, उस वृद्ध का दर्द झुर्रियों के बीच से कातर नयनों से अश्रुधारा का सैलाब उमड़ पड़ा। उसके बाद उस वृद्ध ने जो बयां किया वह वेदना की पराकाष्ठा थी, उस वृद्ध ने ऐसा क्या कहा, वो आपको सुनाते हैं।

रिपोर्टर: बाबा क्या यात्रा पर जा रहे हो।

वृद्ध: सुबकते हुए, नहीें डीएम साहब से मिलने आए थे।

रिपोर्टर: बाबा क्या डीएम साहब से मुलाकात हुई।

वृद्ध: रोते हुए अपने सिर से कपड़ों की पोटली उतारते हुए, नहीं मिले, अब हमारा दुनिया में कोई नहीं है,आकाश की ओर दोनों हाथ जोड़कर अब बस नीली छतरी वारे, तोई ते आस ऐ। तेंने सुदामा कीउ सुनी हमारीउ सुनिओ।

रिपोर्टर: बाबा आपका नाम क्या है कहां से आए हो?

वृद्ध: बाबूजी मेयो नाम गयाप्रसाद है, लादूखेड़ा सैंया तें आए एैं। सवाल-जबाव के बीच वृद्ध की आंखों से आंसू की धारा जारी थी।

वृद्ध की कहानी उसी की जुबानी

93 वर्षीय गयाप्रसाद ने रोते हुए बताया कि वह लादूखेड़ा सैंया का रहने वाला है। उसके तीन बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़ा दम्मो, दो छोटे छत्रसाल और रनवीर हैं। बड़े बेटे दम्मो ने 18 बीघा खेत, घर, सबकुछ छीन लिया, दोनों छोटे बेटे गांव छोड़कर जा चुके हैं, मैं और मेरी पत्नी शिवदेवी को घर से निकाल दिया है, इस बारे में सैंया पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने गालीगलौज कर भगा दिया। कहीं सुनवाई नहीं हो रही, आज आखिरी आशा लेकर डीएम साहब से मिलने आए थे, लेकिन वो भी नहीं मिले। वृद्ध ने बताया कि मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं, दूसरे साहब ने कागज पर कुछ लिख दिया है, कह दिया है कि दरोगाजी के पास चले जाना। सुनवाई नहीं हो तो फिर आ जाना। अब पता नहीं क्या होगा, अब कहीं जाकर भीख मांगेंगे।

बेटे के जन्म पर बहुत खुश थे

किसी भी मां बाप के लिए उसकी संतान बुढ़ापे की लाठी होती है, यही सोच कर उसके जन्म पर पूरे गांव में लड्डू बांटे थे। तकरीबन 45 वर्ष पूर्व बड़े बेटे का जन्म हुआ था, तो हम दोनों बहुत खुश हुए थे। घर के आंगन में जब उसकी किलकारियां गूंजती थी, तो मां शिवदेवी की खुशी के मारे फूली नहीं समाती। उसे अपने अपने आंचल की छांव में सींचकर पाल-पोस कर बड़ा किया। इसके बाद में पुत्री निर्मला, छत्रसाल, श्यामलता, रनवीर और सुनैना का जन्म हुआ। गयाप्रसाद जब भी बाजार से फल मिठाई लेकर आते तो सबसे ज्यादा हिस्सा बड़े बेटे को ही देते। कभी- कभी वह कुछ भी लेने की जिद पर अड़ जाता, तो कर्ज लेकर उसकी जिद पूरी करते। मां शिवदेवी उसे नजर से बचाने के लिए तमाम इंतजामात करती।

मजदूरी कर किया सभी का विवाह

गयाप्रसाद ने अपनी पत्नी के साथ मेहनत मजदूरी और खेतीबाड़ी कर अपने बेटे-बेटियों का विवाह किया।

आधी-आधी कचौड़ी ही हुई नसीब

वृद्ध ने बताया कि सुबह से दोनों ने एक कचौड़ी में से दो हिस्से कर आधी-आधी कर खाई है, इसके अलावा सुबह से कुछ नहीं खाया।

पत्रकारों ने दिए पैसे

कलेक्ट्रेट में उस वृद्ध की आपबीती सुनकर उसके पास मीडिया का जमावड़ा लग गया। हर कोई उसकी आपबीती सुनकर दृवित हो गया। इस दौरान पत्रकारों ने उस वृद्ध को पैसे दिए, लेकिन रोते हुए उस वृद्ध ने पैसे लेने से इंकार कर दिया, इस दौरान पत्रकारों ने वृद्ध को समझाते हुए कहा कि बाबा हम तुम्हारे बेटे जैसे ही हैं, बहुत समझाने पर उसने पैसे हाथ में पकड़े।

नौ करोड़ का मालिक बना भिखारी

गयाप्रसाद के पास लादूखेड़ा में 18 बीघा जमीन है, मौजूदा समय में वहां जमीन की कीमत 50 लाख रुपये प्रति बीघा है। ऐसे में वह नौ करोड़ का मालिक है, लेकिन कलयुगी बेटे ने उसे भिखारी बना दिया।

डीएम की जगह प्रशासनिक अधिकारी सुन रहे थे जन समस्या

मंगलवार को कलेक्ट्रेट स्थित डीएम पंकज कुमार के चैम्बर में डीएम के स्थान पर एडीएम एलए नागेन्द्र शर्मा और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नाहर सिंह जन समस्याएं सुन रहे थे, जब वृद्ध अपनी समस्याएं लेकर पहुंचा तो एडीएम एलए तो जा चुके थे, केवल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नाहर सिंह ही मौजूद थे।

एडीएम सिटी ने सुनी फरियाद

वृद्ध की फरियाद एडीएम सिटी राजेश श्रीवास्तव ने सुनी, उन्होंने एसओ सैंया सुधीर कुमार को फोन कर तुरन्त समस्या निस्तारण के निर्देश दिए।