बजट सत्र के दौरान रणनीति के तहत काम करने वाली मोदी सरकार की छवि तोडऩे में जुटी कांग्रेस खासी उत्साहित है. सरकार के भूमि अधिग्रहण व रीयल स्टेट से जुड़े बिलों में पेंच फंसाने के बाद कांग्रेस बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में अपनी पूरी ताकत झोंकने जा रही है. इसकी अगुवाई मां और बेटे यानी सोनिया और राहुल खुद करेंगे. इसके तहत बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में ‘संस्थागत तंत्र की असफलता’ पर सरकार को घेरेंगी.

 

संसद में बोलने से पहले सोनिया कांग्रेस पार्टी संसदीय दल की बैठक में भी अपनी बात रखेंगी. कांग्रेस अध्यक्ष के संसदीय दल में दिए जाने वाले भाषण को पार्टी भावी दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है. इसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को रियल स्टेट बिल पर सरकार से दो-दो हाथ करेंगे. बजट सत्र के अंतिम सप्ताह सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मैदान में उतरकर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं पूरे विपक्ष को लामबंद करने की भूमिका में आएंगी. दरअसल, राहुल गांधी हमलावर तो हैं, लेकिन क्षेत्रीय दलों को अपने पीछे खड़ा करने में अभी तक सफल नहीं हो सके हैं. इसीलिए, बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सरकार को मुख्य सतर्कता आयुक्त, लोकपाल, मुख्य नियंत्रक व महालेखा परीक्षक जैसे पदों पर नियुक्ति को लेकर सरकार की ओर से की जा रही देरी पर सवाल खड़े करेंगी. पार्टी इसको लेकर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव लेकर आएगी. ध्यान रहे कि संप्रग सरकार के समय सीवीसी की नियुक्ति के समय तत्कालीन लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने विरोध दर्ज किया था. इस मुद्दे पर संप्रग की अदालत से लेकर जनता के बीच तक खासी फजीहत हुई थी.

 

इससे पहले सोनिया भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर संयुक्त विपक्ष के मोर्चे का नेतृत्व कर चुकी हैं। सोनिया की ताजा कोशिश को सत्र के अंतिम दिनों में मोदी सरकार को कुछ हासिल करने से रोकने के साथ विपक्ष के मजबूत होने का संकेत देने की कवायद माना जा रहा है. लोकसभा में कांग्रेस के महज 44 सदस्य हैं. जबकि, राज्यसभा में पार्टी सहयोगियों के साथ बहुमत में है.

Hindi News from India News Desk

National News inextlive from India News Desk