Lucknow: चार साल पहले लिया बीस हजार का कर्ज और कर चुके हैं 19 लाख की अदायगी। इसके बाद भी कर्जदार। जी हां यह हैं लालबाग के मशहूर शर्मा जी चाय वाले। दीपक शर्मा ने चार साल पहले जुगनू वालिया से बीस हजार रुपये कर्ज लिये थे। एक परसेंट के डेली ब्याज दर पर.
यानी बीस हजार रुपये के कर्ज का डेली दो सौ रुपये ब्याज अदा करने की शर्त पर और मूल धन जस का तस। धीरे-धीरे ब्याज दर बढऩे लगा। और कर्ज बढ़ते बढ़ते दो लाख पहुंच गया लेकिन दीपक लगातार पैसे अदा कर रहे थे.
 चार साल में कुल दो लाख रुपये के कर्ज पर दीपक 11 लाख रुपये अदा कर चुके थे। इसके बाद भी कर्ज दो लाख रुपये जस का तस बना रहा। इसी दौरान जुगनू वालिया ने सोनू वालिया से दीपक शर्मा की मुलाकात करायी और सोनू वालिया से अपना ही कर्ज अदा करने के लिए 70 हजार रुपये का कर्ज दिलवा दिए। दीपक दोनों का कर्ज अदा करते रहे.
जुगनू वालिया के दो लाख रुपये के कर्ज पर दीपक शर्मा 11 लाख और सोनू वालिया के 70 हजार रुपये के कर्ज पर आठ लाख रुपये अदा कर चुके थे इसके बाद भी मूलधन अदा करने के लिए सूदखोर दबाव बनाने लगे। इसी दौरान नये डीआईजी आशुतोष पाण्डेय ने सूदखोरों के खिलाफ अभियान छेड़ा। दीपक ने डीआईजी से शिकायत की और डीआईजी ने मामले की जांच हजरतगंज पुलिस को दी.
हजरतगंज पुलिस ने सूदखोर रघुवीर वालिया को आलमबाग से अरेस्ट कर लिया। जबकि जुगनू वालिया फरार हो गया। डीआईजी ने बताया कि जुगनू वालिया आलमबाग का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ आलमबाग में एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं.
दोनों हैं सगे भाई
डीआईजी ने बताया कि रघुवीर वालिया उर्फ सोनू वालिया और हरविंदर सिंह वालिया उर्फ जुगनू वालिया दोनों सगे भाई हैं और काफी समय से सूदखोरी का धंधा कर रहे हैं.
कई गुना ज्यादा वसूलते हैं
डीआईजी आशुतोष पाण्डेय ने बताया कि पकड़ा गया सूदखोर सोनू वालिया और जुगनू वालिया चार सौ प्रतिशत सालाना ब्याज की दर से ब्याज वसूल रहा था। जबकि आरबीआई के नॉम्र्स के अनुसार किसी भी कंडीशन में इंट्रेस्ट रेट सरकारी इंट्रेस्ट रेट से ज्यादा नहीं हो सकता और मूलधन के दोगुना नहीं हो सकता।
लिखेंगे जांच के लिए
सूदखोरी से वसूले गये पैसों में कालेधन की बात भी सामने आ रही है। डीआईजी का कहना है इसमें अपराधियों और माफियाओं का पैसा लगे होने की बात सामने आ रही है। जिसकी जांच के लिए वह इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट को लेटर लिखेंगे। साथ ही सोनू वालिया के रिवाल्वर के लाइसेंस के निरस्तीकरण के लिए भी लेटर लिखा गया है।