बेजबरुआ पैनल की सिफारिशों पर मंथन

नार्थ ईस्ट के लोगों पर तरह तरह के नामों से बुलाने के मामले में एम. के. बेजबरुआ पैनल ने गृहमंत्रालय को सिफारिशें भेजीं हैं. सिफारिशों के मुताबिक आईपीसी में बदलाव लाकर नस्लीय भेदभाव का विरोध किया गया. इसके लिए कड़े कानून बनाए जाने की वकालत की गई है. ऐसे में अब अगर गृहमंत्रालय इन सिफारिशों को मान लेगा तो मोमोज और चाइनीज जैसे नामों से बुलाना मंहगा पड़ जाएगा. हालांकि फरवरी 2014 में गठित बेजबरुआ पैनल की सिफारिशों पर अभी केंद्र सरकार का फैसला लेना बाकी है. बेजबरुआ पैनल ने चिंकी के अलावा चाइनीज, चीचीचूचू, मोमोज आदि को भी पूर्वोत्तर के लोगों के लिए नस्लीय टिप्पणी के तौर पर यूज किए जाने वाले शब्दों में शरीक किया है.

नस्लीय टिप्पणी करना जुर्म होगा

इस संबंध में कल एक सवांददाता सम्मेलन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सिफारिश पर मंथन किया जा रहा है. केंद्र सरकार आईपीसी में दो नए सेक्शन (सेक्शन 153-C और सेक्शन 509-A) शामिल करने पर विचार कर रही है. जिसमें सेक्शन 153-C के तहत लिखित या बोले गए शब्दों से किसी इंसान पर नस्लीय टिप्पणी करना गैर-जमानती जुर्म होगा. इसके अलावा इसमें 5 साल की कैद के साथ-साथ जुर्माना भी लगेगा. वहीं सेक्शन 509-A के तहत किसी शब्द के इशारों में बोलने, मुंह बनाने, चिढ़ाने या सिर्फ इशारे करके नस्लीय टिप्पणी करना में तीन साल तक जेल होगी. इस सेक्शन के तहत सजा के साथ-साथ जुर्माना भी देना होगा.

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