- खतरनाक होता जा रहा शहर में ध्वनि प्रदूषण का लेवल

- दिवाली में पटाखों का शोर और खराब कर देता है स्थिति

GORAKHPUR: ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने की तमाम कवायदों के बाद भी इसका लेवल दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। गोरखपुर शहर में भी बीते वर्षो में ये समस्या घातक रूप ले चुकी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में पता चला है कि शहर के प्रमुख एरियाज में तो मानक से डेढ़ गुना ज्यादा शोर हो रहा है। वहीं, करीब आ रही दिवाली पर पटाखों के शोर के चलते तो ये स्थिति और भी गंभीर लेवल पर पहुंच सकती है।

खतरे में साइलेंस जोन

बता दें, शासन ने जिला व महिला अस्पताल के आसपास के क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित किया है। शहर की बात करें तो विभिन्न एरियाज के साथ ही इस जोन में भी शोर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आलम यह है कि अस्पताल परिसर के आसपास मानक से डेढ़ गुना ज्यादा शोर हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने पिछले तीन महीने में जिला अस्पताल व महिला अस्पताल परिसर में ध्वनि प्रदूषण की जांच की थी। टीम ने दिन में व्यस्ततम समय और रात में भी जांच की। दोनों ही समय में ध्वनि प्रदूषण मानक से अधिक मिला।

पटाखे बढ़ा देते हैं मुसीबत

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक टीएन सिंह ने बताया कि शासन ने साइलेंस जोन के लिए दिन में अधिकतम 50 डेसीबल व रात में अधिकतम 40 डेसीबल ध्वनि को ही मानक तय किया है। सर्वे के दौरान जिला अस्पताल के आसपास करीब 100 मीटर क्षेत्र में ध्वनि मानक से तेज मिली। बीते तीन महीने में दिन में औसत ध्वनि 72 डेसीबल रही जो कि मानक से 22 डेसीबल अधिक है। जबकि रात में औसतन ध्वनि 57 डेसीबल रही जो कि सामान्य से 17 डेसीबल अधिक है। दिवाली के समय तो पटाखों के शोर के चलते यह आंकड़ा काफी ऊपर चला जाएगा।

नहीं पूरी होगी मरीजों की नींद

जिला अस्पताल एवं महिला अस्पताल में करीब पांच सौ मरीज भर्ती हैं। तेज आवाज का सबसे ज्यादा असर इन्हीं पर पड़ता है। नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ। पीएन सिंह ने बताया कि मानक के 10 डेसीबल से अधिक ध्वनि मरीजों को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण रात में मरीजों की नींद नहीं पूरी होती, वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। वह कानों में हमेशा आवाज गूंजने की शिकायत करते हैं।

सेहत के लिए खतरनाक

कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ। एके श्रीवास्तव ने बताया कि तेज आवाज से सबसे ज्यादा खतरा हार्ट पेशेंट्स को है। उन्हें तेज आवाज के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। महिला अस्पताल की डॉ। पूनम पांडेय ने बताया कि तेज आवाज के चलते गर्भवती महिलाओं को समय पूर्व प्रसव हो सकता है। तेज आवाज के कारण नवजात बच्चों की भी नींद नहीं हो पाती और वे हर समय रोते रहते हैं। इसका असर उनके विकास पर भी पड़ता है।

वर्जन

पटाखों की तेज आवाज से सबसे ज्यादा खतरा हार्ट पेशेंट्स को है। उन्हें तेज आवाज के कारण दिल का दौरा तक पड़ सकता है।

- डॉ। एके श्रीवास्तव, कॉर्डियोलॉजिस्ट