ARF की बैठक में चीन हुआ अकेला

दक्षिण चीन सागर विवाद में चीन यहां अलग-थलग पड़ गया है. रविवार को पहले पूर्वी एशियाई देशों के शिखर सम्मेलन (ईएएस) और फिर आसियान क्षेत्रीय फोरम (एआरएफ) की बैठक में भारत सहित लगभग सभी ने दक्षिण चीन सागर में उसकी नीति की खिलाफत की. इस विवाद में आसियान देशों की चिंता को साझा करते हुये भारत ने साफ कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुद्र में किसी तरह के बल का प्रयोग या उसकी धमकी दिये जाने के सख्त खिलाफ है.

सुषमा स्वराज ने दिये कड़ें संकेत

इस मुद्दे पर बात करते हुये भारत ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतो के अनुरूप नौवाहन व समुद्र में मौजूद संसाधनों के उपयोग की स्वतंत्रता का समर्थन करता है. म्यांमार की नई राजधानी में रविवार को ईएएस और एआरएफ बैठक को संबोधित करते हुये विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने काफी कड़े शब्दों में चीन को दक्षिण चीन सागर में उसके रवैये के प्रति आग्रह किया. स्वराज का कहना था कि समुद्री सीमाओं में विवाद व्यापक सुरक्षा माहौल और आपसी विश्वास के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि दक्षिण चीन सागर में विवाद के निपटारे के लिये 2002 के घोषणा पत्र तथा दिशानिर्देशों के अमल में सभी पक्षों की सहमति से अमल होगा.

कंबोडिया ने दिया धोखा

दोनों महत्वपूर्ण बैठकों में लगभग सभी देशों ने विवाद का सहमति से समाधान निकालने तथा जब तक समाधान न हो तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों से बचने की सलाह दी है. हालांकि चीन को कंबोडिया से समर्थन की उम्मीद थी लेकिन, सूत्रों का कहना है कि कंबोडिया ने भी बाकी आसियान देशों का ही साथ दिया. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने समुद्री विवाद हल करने में भारत-बांग्लादेश व इंडोनेशिया-फिलीपींस का उदाहरण दिया. इन बैठकों में विपरीत माहौल के मद्देनजर चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की. चीन ने कहा वह ऐसे सभी सुझावों का स्वागत करेगा जो सकारात्मक होंगे.

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