देश की राजधानी जूबा में मौजूद संवाददाता ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया है कि सुरक्षा बलों ने 200 से ज़्यादा लोगों को गोली मार दी. ये सभी नुएर जातीय समूह के थे.

जूबा में मौजूद एक दूसरे प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक डिंका जनजातीय समुदाय के लोग भी न्यूर ज़िला में उन लोगों पर गोलियां बरसाते दिखें जो जो डिंका भाषा नहीं बोलते.

दक्षिण सूडान की सरकार ने किसी भी  जातीय हिंसा को समर्थन देने से इनकार किया है.

ज़्यादा सैनिकों की तैनाती

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने सुरक्षा परिषद से देश में 5500 संयुक्त राष्ट्र सैनिक तैनात करने को कहा है. दक्षिण सूडान में पहले से ही 7000 संयुक्त राष्ट्र सैनिक तैनात हैं.

विद्रोही लड़ाके पूर्व उपराष्ट्रपति रिक माचार का समर्थन कर रहे हैं और इन लोगों ने पिछले एक सप्ताह में प्रमुख शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है.

इस लड़ाई के चलते दस हज़ार लोग देश छोड़ चुके हैं.

दक्षिण सूडान में 'क़त्ले आम,' सैकड़ों पर गोलीबारी

जूबा में मौजूद पत्रकार हना मैकनेश ने बीबीसी को बाताया कि उन्होंने सिमोन नामक शख़्स का इंटरव्यू किया है जिसे चार गोली दागी गई, लेकिन वे बचने में कामयाब रहे.

मैकनेश ने बताया, "उस शख़्स ने बताया कि उसे करीब 250 लोगों के साथ पकड़ कर जूबा के एक पुलिस स्टेशन ले जाया गया. दो दिन उनके लिए काफी मुश्किल भरे रहे उसके बाद जिस कमरे में उन्हें रखा गया था उसकी खिड़कियों से सुरक्षाकर्मियों ने गोलियों की बरसात कर दी. इससे कमरे में मौजूद एक को छोड़कर सभी 12 लोग मारे गए."

मैकनेश ने ये भी बताया है कि दो अन्य  प्रत्यक्षदर्शियों ने भी ऐसी घटना की तस्दीक़ की है.

'भयावह मंजर'

जूबा के संयुक्त राष्ट्र कैंप में मौजूद एक शख्स ने बताया कि नुएर ज़िले में डिंका जनजाति के लोग गोलीबारी कर रहे थे.

उत्तरी जूबा में स्थित बोर में मौजूद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संयोजक टोबी लैंजर ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने इतना भयावह मंजर देखा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.

बोर शहर को विद्रोही लड़ाकों ने कब्जा कर रखा है. हालांकि इस गोलीबारी और हत्याकांड की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पाई है.

दक्षिण सूडान में जारी हिंसा में अब तक एक हज़ार लोगों के मारे जाने की ख़बर है और संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी कैंपों में 40 हज़ार नागरिकों ने शरण ली हुई है.

जूबा में हिंसा तबसे शुरू हो गई जब राष्ट्रपति सल्वा कीर ने कहा कि उन्होंने तख़्तापलट की कोशिशों को नाकाम कर दिया है.

सूत्रों के अनुसार यह संघर्ष दक्षिणी सूडान की दो सबसे बड़ी जातीय समूहों नुएर और डिन्का के बीच गहरे मतभेद के कारण हो रहे हैं.

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