- बीजेपी, कांग्रेस की लेटलतीफी, सपा की अंदरूनी तकरार से जनता थाम सकती है बसपा का दामन

BAREILLY: समाजवादी पार्टी में चल रही पिता-पुत्र की तकरार का फायदा बसपा को होता नजर आ रहा है। क्योंकि इस तकरार की वजह से समाजवादी पार्टी के वोटर्स भी दो गुटों में बंट गए हैं। वहीं, बार-बार टिकट की अदला-बदली करना भी सपा को भारी पड़ सकता है। जबकि बसपा ने करीब माह भर पहले से ही घोषित प्रत्याशियों को फ्राइडे को जारी दूसरी सूची में शामिल कर उनका टिकट फाइनल कर दिया है। ऐसे में बसपा के प्रत्याशी पूरी ताकत के साथ प्रचार प्रसार में लग गए हैं। जबकि सपा प्रत्याशियों के टिकट फाइनल होने में संशय बरकरार है।

दो सीटों पर अभी बसपा भारी

टिकट फाइनल होने के बाद अगर राजनीतिक समीकरणों पर ध्यान दिया जाए तो बरेली के 9 विधानसभा क्षेत्रों में से 3 सीटें बसपा की झोली में गिरने की संभावना हैं। जिलाध्यक्ष नरेंद्र सागर यूं तो सभी 9 सीटों पर बसपा का परचम लहराने की संभावना जता रहे हैं, लेकिन आंकड़े दो सीटों पर 90 परसेंट, एक सीट 60 परसेंट जबकि अन्य सीटों पर परचम लहराने के लिए काफी मेहनत करने की तरफ इशारा कर रहे हैं। क्योंकि दो सीटों पर बसपा विधायक पहले से ही मौजूद हैं। जिनको सपा खेमे में चल रही तकरार का फायदा मिलता नजर आ रहा है। वहीं, कैंट में बसपा के अलावा अन्य किसी पार्टी का कोई प्रबल दावेदार नहीं दिख्ा रहा है।

जनता भी असमंजस में

कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों की घोषणा न होना और गुटों में बंटे सपा खेमे से जनता का रुख बसपा की ओर माना जा रहा है। हालांकि, मीरगंज में सपा ने पहले सरफराज और फिर हाजी गुड्डू को टिकट दिया। यहां जनता सपा के रवैया से असमंजस में है जिसका फायदा बसपा विधायक और प्रत्याशी सुल्तान बेग को होने के संकेत मिल रहे हैं। बिथरी में सपा जिलाध्यक्ष वीरपाल का टिकट कंफर्म नहीं हुआ, यहां भी संशय बरकरार है। ऐसे में यहां से विधायक और प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह भारी नजर आ रहे हैं। कैंट विधानसभा क्षेत्र से पहली बार प्रत्याशी बने राजेंद्र गुप्ता फिलहाल अभी मजबूत नजर आ रहे हैं। क्योंकि यहां सपा के अंदरूनी कलह और कांग्रेस व बीजेपी के प्रत्याशी की घोषणा नहीं होने का फायदा मिलता नजर आ रहा है।