10.30 बजे बात, 11.11 बजे सस्पेंशन ऑर्डर

दुर्गा का सस्पेंशन यूपी सरकार के गले की फांस बन गई है. यूपी के सीएम अखिलेश सिंह यादव एक मस्जिद गिराकर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का हवाला देकर इस सस्पेंशन को जायज ठहरा रहे हैं. जबकि डीएम की रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद गांव वालों ने खुद गिराई थी. वहीं स्थानीय सपा नेता नरेंद्र भाटी ने चुटकी बजाते हुए कहा कि दुर्गा का सस्पेंड कराने में महज 41 मिनट लगे. हम उस ऑफिसर को लोकतंत्र की ताकत दिखाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि 10.30 बजे पर उनकी मुलायम सिंह यादव और यूपी के सीएम अखिलेश सिंह यादव बात हुई और कलेक्टर के दफ्तर में एसडीएम दुर्गा का सस्पेंशन ऑर्डर छपकर फैक्स के माध्यम से 11.11 बजे आ गया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

आईपीएस दुर्गा शक्ति के संस्पेंशन से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को नोटिस दिया है. हाईकोर्ट ने सरकार से अवैध रेत खनन पर जवाब दाखिल करने को कहा है. हालांकि कोर्ट ने दुर्गा के सस्पेंशन पर सरकार को कोई नोटिस नहीं दिया है.

दुर्गा दाखिल करें याचिका तब विचार

हाईकोर्ट ने कहा कि दुर्गा के निलंबन रद करने संबंधी किसी मामले पर तभी विचार किया जा सकता है जब वे खुद कोई याचिका दाखिल करें. याचिका में दुर्गा के निलंबन रद करने पर कहा. हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में यूपी सरकार से कहा है कि वह बताए कि दुर्गा के सस्पेंशन से पहले और बाद में रेत खनन के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई. साथ ही अवैध खनन रोकने के लिए सरकार क्या उपाय कर रही है.

गैरकानूनी ढंग से धार्मिक स्थलों का निर्माण समस्या

एक सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा कि गैर कानूनी ढंग से धार्मिक स्थलों का निर्माण पूरे देश में एक प्रॉब्लम बन गई है. पीआईएल में दुर्गा के सस्पेंशन की जांच आईएएस ऑफिसर्स की निगरानी करने वाली अथॉरिटी से कराने की अपील की गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि सस्पेंशन गलत पाए जाने पर दुर्गा का निलंबन रद होना चाहिए.

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