यूपी के चीफमिनिस्टर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की बैड परफार्मेंस को सीरियसली लिया है.  दो दिनों तक चली पार्टी की बैठक के बाद ट्यूजडे को पार्टी से 36 दर्जा प्राप्त मिनिस्टर्स को सस्पेंड कर दिया गया है.  इन सभी मिनिस्टर्स को हार के लिए रिस्पांसिबल ठहराते हुए पार्टी ने इनसे लाल बत्ती छीनने की डिसीजन लिया है.

इन मिनिस्टर्स पर चला सस्पेंशन का डंडा

पार्टी ने नरेन्द्र भाटी, आशु मलिक, अनुराधा चौधरी, राजा चतुर्वेदी, सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल, संदीप बंसल, केसी पाण्डेय, अनीस मंसूरी, सुरभि शुक्ला, सतीश दीक्षित, कमलेश पाठक, विद्यावती राजभर, सचिन पति गुप्ता, ओमवीर तोमर, कमरुद्दीन, रीबू श्रीवास्तव, राकेश यादव, राम सिंह राणा, रंजना बाजपेई, साहब सिंह सैनी, लीलावती कुशवाहा, राम बाबू, अंजला माहौर, बहादुर सिंह, मनोज राय, इंदु प्रकाश मिश्रा, इकबाल अली, सतेन्द्र उपाध्याय, हाजी इकराम, जगदीप यादव, मोहम्मद अब्बास, वीरेन्द्र सिंह, केपी सिंह चौहान, कुलदीप उज्जवल व जगदीश यादव से स्टेट मिनिस्टर का ओहदा ले लिया गया है.  सियासी गलियारों में अखिलेश सरकार के इस डिसीजन को ऐतिहासिक माना जा रहा है.  

मायावती ने भंग की बीएसपी की सभी कमेटियां

लोकसभा चुनाव में बीएसपी की करारी शिकस्त से खफा पार्टी चीफ मायावती ने सभी समितियों को भंग कर दिया है.  बसपा सुप्रीमो ने आज समीक्षा बैठक बुलाई थी. इसी बैठक में यह डिसीजन लिया गया है.  इसमें देशभर से पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ ही राज्य के जिला स्तर तक के पदाधिकारियों को बुलाया गया.

सेंट्रल पॉलिटिक्स में 'बैलेंस-ऑफ- पावर' होने का दावा करने वाली बसपा सुप्रीमो के लिए पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाना किसी सदमे से कम नहीं है.  अपने गुस्से का इजहार मायावती सार्वजनिक तौर पर भी कर चुकी हैं.  पूर्वांचल व पश्चिम यूपी में फेवरेबल सिचुएशन होने के बावजूद पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया.  यह शायद इसी का रिजल्ट था कि मायावती को एंग्री वुमेन के रोल में आना पड़ा. प्रीवियस लोकसभा और विधानसभा के इलेक्शन्स में इन्हीं क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति सैटिस्फैक्ट्री रही थी. साउथ यूपी में दलित मुस्लिम समीकरण ध्वस्त हो गया तो वहीं पूर्वांचल में सोशल इंजीनियरिंग का जादू पार्टी के लिए हेल्पफुल साबित नहीं हुआ.

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