-फ्रंट नेताओं की तरफदारी और किशोर उपाध्याय पर निशाने को लेकर कांग्रेस नेताओं ने खोला अपने ही स्पीकर के खिलाफ मोर्चा, कुंजवाल का जवाब, जो कहा, सही कहा

-कांग्रेस का हूं कार्यकर्ता, राय रखने का मुझे भी हक: कुंजवाल

DEHRADUN: प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी पीडीएफ की आग हर रोज किसी न किसी को झुलसा रही है। गठबंधन के दोस्तों के बीच जिस हिसाब से दुश्मनी की इबारत लिखी जा चुकी है, उसका अंजाम क्या होगा, कहा नहीं जा सकता, मगर इसने कांग्रेस के भीतर उथल-पुथल जरूर मचाई हुई है। पीडीएफ की आग में अब स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल झुलस गए हैं। उनके खिलाफ उनकी अपनी ही पार्टी के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है। पदाधिकारियों ने कहा है कि स्पीकर को अपने पार्टी संगठन पर अंगुली नहीं उठानी चाहिए। जवाब में स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है।

कुंजवाल का था किशोर पर निशाना

स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने पहली बार पीडीएफ की तरफदारी करते हुए प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर निशाना साधा था। मीडिया के सवाल के जवाब में कुंजवाल ने कहा था कि पीडीएफ के सहारे ही सरकार चल रही है। ऐसे में किशोर उपाध्याय स्थिति साफ करें कि उन्हें सरकार चलानी है या नहीं। यदि नहीं चलानी, तो पीडीएफ से गठबंधन तोड़ लें।

अब पार्टी के निशाने पर कुंजवाल

कांग्रेस के प्रदेश स्तर के दस पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान जारी करके स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल पर हमले किए हैं। पार्टी नेताओं ने कहा है कि स्पीकर ये भी भूल रहे हैं कि वे संवैधानिक पद पर हैं। उन्हें अपनी पार्टी संगठन और सरकार के बीच तालमेल बनाने का कार्य करना चाहिए, न कि पार्टी संगठन पर अंगुली उठाने का। पार्टी संगठन पर अंगुली उठाने के दूरगामी परिणाम होंगे। संयुक्त बयान प्रदेश उपाध्यक्ष एसपी सिंह, डा आनंद सुमन सिंह, महामंत्री तरुण पंत, हरिकृष्ण भट्ट, मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी, प्रवक्ता डा। आरपी रतूड़ी, मनीष कर्णवाल, दीपक बलूटिया, सुरेश गौरी, सरिता नेगी की ओर से जारी किया गया है।

-मैं स्पीकर होने के साथ ही कांग्रेस का कार्यकर्ता भी हूं। मुझे बहुत जल्द चुनाव में भी जाना है। ऐसे में जो कुछ चल रहा है, उसमें मैं कैसे चुप रह सकता हूं। उत्तराखंड का नागरिक और कांग्रेस कार्यकर्ता बतौर मुझे अपनी राय रखने का पूरा हक है। पीडीएफ ने हमारा साथ दिया है। उसी की बदौलत सरकार चल रही है। सरकार चलानी है, तो हमें उन्हें साथ रखना पडे़गा। नहीं चलानी, तो अध्यक्ष गठबंधन तोड़ दें।

-गोविंद सिंह कुंजवाल, स्पीकर, उत्तराखंड।

अब पर्दे के पीछे से चल रहे तीर

समन्वय समिति की बैठक में पीडीएफ को लेकर हाईकमान ने जो नसीहत दी है, उसका दबाव सीएम हरीश रावत और कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के ऊपर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। इसलिए दोनों नेता तो बयानों को लेकर संयम बरतने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके इशारे पर समर्थक नेता सीधे मोर्चे पर आ डटे हैं। कुल मिलाकर इससे कांग्रेस की स्थिति ही खराब हो रही है।

स्पीकर के सीएम प्रेम के कई उदाहरण

स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल पर सीएम प्रेम के कई बार आरोप लगे हैं। विजय बहुगुणा के सीएम रहते हुए स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल की कई मुद्दों पर तीखी टिप्पणी आती थी। मगर हरीश रावत के सीएम बनने के बाद इसका सिलसिला लगभग खत्म हो गया। सियासी संग्राम के कारण सीएम हरीश रावत के साथ स्पीकर की जुगलबंदी ने ही सरकार बहाली में खास योगदान दिया। हरीश रावत के सीएम बनने के बाद कई बार ये चर्चाएं भी चलीं कि उन्हें कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है और सरकार में नंबर टू की पोजीशन दी जा सकती है।