अक्सर ड्रग बेचने के लिए जगह बदल दी जाती है, लेकिन इसका सेंटर है मछेरान। इस इलाके में एक ड्रग्स माफिया रहता है, जो इलाके का सबसे अमीर बताया जाता है। कभी उस पर कई मुकदमें दर्ज थे। अपनी पहुंच से वो छूट जाता है। नशे के इस कारोबार में 19 लोगों का गैंग है। फैमिली मेंबर्स भी इसी से जुड़े हैं।

अमन कमेटी आगे आई

पूर्वा हाफिज अब्दुल करीम माहिगिरान केसरगंज की माहिगीर अमन कमेटी ने इस नशे के सौदागर और उसके साथियों के खिलाफ कदम उठाया है। कमेटी ने एक लिस्ट तैयार की, जिसमें ड्रग्स माफिया तसलीम का सबसे ऊपर नाम है। तसलीम के साथ उसका भाई, भाभी, बहन, जीजा, साला और कई अन्य साथी हैं। सभी स्मैक, हेरोइन, चरस, गांजा, अफीम सब कुछ बेचते हैं। माहिगीर कमेटी के लोगों ने दी शिकायत में साफ कहा कि ये लोग नई पीढ़ी को बेखौफ नशे की राह पर धकेल रहे हैं। इनसे युवाओं को बचाना होगा नहीं तो घर-घर तक नशे करने वालों का समाज हो जाएगा। प्रमुख 19 लोगों में तसलीम, नसीम बानो, सलीम, मोबीन, बानो, फरीद, सलीम, वहीद, अफजाल, अय्यूब, ईमान, सलमान, मुनतियाज, इकबाल, अफजाल, आलम, फरीद, ग्यासुद्दीन, खिजरे हयात हैं।

युवा पीढ़ी को बचाओ

कमेटी का कहना है कि पूर्वा हाफिज अब्दुल करीम, मछेरान, केसरगंज, थाना रेलवे रोड और थाना सदर बाजार के कुछ असामाजिक तत्व तसलीम और उसके परिवार के लोग स्मैक बेचने का बड़े स्तर पर काम करते हैं। इनके यहां बड़े-बड़े घरों के बच्चे, कॉलेज के स्टूडेंट्स बड़ी गाडिय़ों में आते हैं। जिस कारण माहौल काफी खराब हो गया है। हर सप्ताह एक-दो आदमी नशे से मर जाता है। सलीम जिला बदर है लेकिन फिर भी यहां नशे का काम कर रहा है। एक-एक आदमी पर कई- कई मुकदमे कायम हैं।

इंटरनेशनल कीमत अधिक

इनके द्वारा बेची जाने वाली स्मैक, कोकीन, हेरोइन, चरस, गांजे की इंटरनेशनल मार्केट में कीमत करोड़ों रुपए में होती है। जबकि यह नशा बहुत कम कीमत पर खरीदा जाता है। फिर इससे लाखों कमाए जाते हैं। माल नेपाल से होते बिहार और फिर यहां तक पहुंचता है। इस कारोबार में पड़ोसी देश के भी कुछ लोग शामिल हैं।

शक के घेरे में पुलिस

कमेटी के लोग बताते हैं कि सदर और रेलवे रोड थाना पुलिस को इसकी भनक भी नहीं दी गई थी। अगर उन्हें पता चल जाता तो वे पहले ही इन्हें भगा देते। ये जेल से छूटकर बाहर आ गए। इसके बाद इनका नेटवर्क और भी तेज हो गया। नशे की करोड़ों रुपए की डील करते हैं। रेलवे रोड पुलिस, सदर बाजार पुलिस की भूमिका पर भी शक उठाया जा रहा है।

अगर धंधा नहीं करता तो जेल में होता

 हैलो, तसलीम हां बोल रहा हूं। तुम स्मैक का कारोबार क्यों करते हो? इस धंधे को बंद क्यों नहीं कर देते। लोगों की जिंदगियां क्यों खराब कर रहे हो?  ‘मैं अगर यह धंधा नहीं करूंगा तो कोई और करेगा। स्मैक मैं ही नहीं बेच रहा हूं पूरे हिंदुस्तान में बिक रही है। कांच के पुल पर, अहाता, भुमियापुल और मकसूद अली चौक में बिक रही है। उन्हें रोक लो। मुझ पर पच्चीस मुकदमे लगाए थे। अगर यह धंधा नहीं करता तो जेल में पड़ा रहता। एक-एक मुकदमे के लिए डेढ़-डेढ़ दो-दो लाख रुपए दिए हैं। छूटने के लिए इससे कम रुपए नहीं लगते। जो लोग मेरे खिलाफ हैं और वो सौ दरख्वास्त देंगे तो मैं इनके खिलाफ पुलिस को दो सौ दरख्वास्त दूंगा।

(नोट : जैसा कमेटी के लोगों ने नशा कारोबारी तसलीम से फोन पर बात की। रिकार्डिंग आई नेक्स्ट के पास है.)

"कुछ असामाजिक तत्व तसलीम और उसके परिवार के लोग स्मैक बेचने का बड़े स्तर पर काम करते हैं। इनके यहां बड़े-बड़े घरों के बच्चे, कॉलेज के छात्र-छात्राएं बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में आकर माल ले जाते हैं, जिससे माहौल खराब होता जा रहा है। शहर के लोगों को आगे आकर इसके खिलाफ खड़े होना चाहिए। नहीं तो ये जहर पूरे शहर के युवाओं को बर्बाद कर देगा."

- हाजी सईद, प्रेसीडेंट माहिगीर अमन कमेटी