आरोप पत्र से पहले जमानत अर्जी दाखिल करके सवालों में घिरे

कोर्ट ने किया कमेंट आपने कोर्ट को धोखा दिया, यह है गंभीर मामला

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विशेष कोर्ट एमपी/एमएलए में अपने मुकदमे में बुधवार को पेश हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह कोर्ट के एक सवाल पर उलझ गए। इस पर कोर्ट ने सख्त कमेंट भी किया। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों से हेराफेर कोर्ट को धोखा देने जैसा होता है और यह गंभीर मामला है।

मैं पत्रावली वाला संजय नहीं

कोर्ट में बेहद विनम्र तरीके से श्री सिंह ने अपने को प्रस्तुत किया। विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी से निवेदन किया कि मैं वो संजय सिंह नहीं हूं जो अदालत की पत्रावली में दर्ज है। इसमें दर्ज न तो नाम मेरा है और न ही मेरे पिता का नाम इससे मैच करता है। वह कोई और संजय सिंह है। कोर्ट ने सांसद संजय सिंह के शब्दों के जवाब में पूछ लिया, पहले मुकदमे में आरोप पत्र आया है या पहले आपने जमानत अर्जी दाखिल की है। जवाब मिला जमानत अर्जी पहले आई। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने जमानत अर्जी उसी नाम से दिया जो पत्रावली के रिकार्ड में है और उसी नाम से जमानत कराई। इसका मतलब है कि आपने कोर्ट को धोखा दिया है जो गंभीर अपराध है। बता दें कि संजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने साथियों के साथ हनुमानगढ़ी थाना कोतवाली नगर में सड़क जामकर धरना प्रदर्शन किया। इससे पब्लिक को परेशानी उठानी पड़ी। इसमें संजय सिंह सहित नौ आरोपित हैं।

क्षेत्राधिकार पर वरुण गांधी को नहीं मिली राहत

28 जनवरी को कोर्ट में पेश होंगे सांसद

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विशेष कोर्ट एमपी/ एमएलए के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने सांसद वरुण गांधी को 28 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है। न्यायाधीश ने उनके विरुद्ध दाखिल राज्य सरकार की अपील में बुधवार को सुनवाई करते हुए हाजिरी माफी की अर्जी को सशर्त स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया है।

बता दें कि सांसद के खिलाफ सीजेएम पीलीभीत की कोर्ट में दो आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। इसमें सीजेएम ने बरी कर दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार की ओर से अपील प्रस्तुत की गई। बुधवार को सुनवाई के समय वरुण गांधी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क रखा कि इस न्यायालय को अपील की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। इसे वापस किया जाय। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नोटिफिकेशन के तहत इस न्यायालय को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। वे चाहें तो वरिष्ठ न्यायालय के जरिए पत्रावली ट्रांसफर करा सकते हैं। जब तक ऐसा नहीं होता पत्रावली पर सुनवाई इसी कोर्ट में होगी।

वन मंत्री ने किया सरेंडर, जमानत मंजूर

वन मंत्री उपेंद्र तिवारी ने बुधवार को विशेष कोर्ट एमपी/एमएलए के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी के समक्ष थाना फेकना जिला बलिया में कायम मुकदमे में सरेंडर किया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद 20 हजार रुपए की दो जमानत व इसी धनराशि का मुचलका पेश करने पर रिहा किए जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने अग्रिम सुनवाई की तिथि सात जनवरी मुकर्रर की है।

विशेष कोर्ट में बुधवार को उपेंद्र तिवारी के विरुद्ध चल रहे पांच मुकदमों में सुनवाई की गई। इसमें तीन मुकदमे प्रयागराज के थाना कर्नलगंज में कायम हैं। इन तीनों में सफाई साक्ष्य की कार्यवाही कोर्ट ने की। इसके अलावा दो मुकदमे बलिया जिले के फेकना थाने में दर्ज हैं। एक मुकदमे में जमानत कराई गयी तथा दूसरे में 50,000 रुपए का मुचलका पेश करने का आदेश दिया गया। इस केस में वारंट था कोर्ट ने उसे रिकाल किया।

पेशी पर आए होमगार्ड मंत्री

PRAYAGRAJ विशेष कोर्ट एमपी/ एमएलए में होमगार्ड मंत्री अनिल कुमार राजभर दो मुकदमे की पैरवी में आए। मुकदमों में गवाही होनी थी किन्तु गवाह मौजूद नहीं थे। इसके चलते कोर्ट ने अग्रिम सुनवाई तिथि मुकर्रर की। कोर्ट में इनके विरुद्ध दो मामले चल रहे हैं। इसमें थाना कोतवाली चंदौली के प्रभारी माया प्रसाद ने 23 जनवरी 2002 को इस आरोप के साथ रपट दर्ज किया था कि वे मंसूर आलम की हत्या को लेकर मुआवजा की मांग करते हुए रोड जाम किए थे। दूसरा मामला नौ अगस्त 2001 को इस आरोप के साथ कायम किया गया कि रेल पटरी पर धरना प्रदर्शन करते हुए रेल मार्ग अवरुद्ध किया था।