GORAKHPUR : सिटी के एक पॉश एरिया में बने एक घर में कपिल और अर्पिता बैठे कुछ चर्चा कर रहे हैं। चर्चाओं के बीच कई टॉपिक आए। उनकी चर्चाओं में आई नेक्स्ट का जिक्र आया। जैसे ही आई नेक्स्ट का जिक्र आया तो अर्पिता चौंक उठी। कपिल से पूछने के अंदाज में बोला कि आज 5 अप्रैल है ना? कपिल बोला, हां, तो। 'कपिल तुहें पता है आई नेक्स्ट को गोरखपुर में लांच हुए आज पूरे चार साल हो गए हैं.' जब अर्पिता यह कहती है तो कपिल धीरे से मुस्कुरा देता है। 'तुम मुस्कुरा क्यों रहे हो?' अर्पिता पूछती है। 'क्या तुहें लगता है कि सिटी का कोई यूथ आई नेक्स्ट को भूल सकता है.' कपिल तुरंत जवाब देता है। आई नेक्स्ट इंडिया का इकलौता बाइलिंग्वल न्यूजपेपर है, जिसे इंटरनेशनल लेवल पर वैन इफ्रा अवार्ड 2012 मिल चुका है। मैंने पहली बार आई नेक्स्ट का नाम 2006 में सुना था। उस समय आई नेक्स्ट कानपुर में पहली बार लांच हुआ था। मैं तो इसके नाम पर ही फिदा हो गया था.' 'हां-हां याद आया, जब मेरे पापा किसी काम से कानपुर गए थे। वह अपने साथ आई नेक्स्ट की कॉपी भी लाए थे.' अर्पिता कपिल का साथ देते हुए कहती है। चाय में बिस्किट डुबो कर खाते हुए कपिल कहता है, 'कानपुर से शुरू हुआ आई नेक्स्ट का सफर 10 और शहरों से होता हुआ 5 अप्रैल 2010 को गोरखपुर पहुंचा। इससे पहले गोरखपुर में इस तरह का कोई न्यूजपेपर लांच नहींहुआ था। तब लोगों ने तरह-तरह की आशंकाएं जाहिर की थी। गोरापुर मेट्रो सिटी नहीं है। यहां सिर्फ क्राइम की न्यूज ही पब्लिश होती है। सिटी लाइट्स और सॉट स्टोरीज लोगों को पसंद नहींआएंगी, मगर आई नेक्स्ट के हौसले बुलंद थे'। 'अरे भाई क्या गुतगू हो रही है। दरवाजे पर नॉक करते हुए सुनील और अंजलि पूछते हैं.' 'बहुत जल्दी आ गए तुम दोनों। कपिल शिकायत के लहजे में कहता है। 'अरे यार सॉरी। बस कुछ काम आ गया था। अच्छा ये तो बताओ ये तुम लोग आई नेक्स्ट के बारे में क्या बात कर रहे हो। यार मैंने भी बहुत सुना है इस न्यूजपेपर के बारे में। जब से घर पर आया हूं बस हर तरफ आई नेक्स्ट की चर्चा सुन रहा हूं.' अंजलि कहती हैं, 'मैंने भी आंटी को आई नेक्स्ट के सिटीलाइट्स की तारीफ करते सुना है। क्या है ये सिटीलाइट्स?' तब कपिल आई नेक्स्ट के बारे में बताना शुरू करता है।

ब्लैक एंड व्हाइट से शुरुआत

'तुम लोग जो आज का आई नेक्स्ट देख रहे हो, पहले यह ऐसा नहींथा। शुरू के छह महीने तो इसके कुछ पन्ने ब्लैक एंड व्हाइट थे। इसके बावजूद आई नेक्स्ट अपनी दमदार स्टोरीज के दम पर रीडर्स के दिलों दिमाग में जगह बनाने लगा था। इसका कालिंग पेज तो कमाल का है। आपको किसी सरकारी ऑफिस से शिकायत है, किसी न्यूज पर अपने व्यूज देने हैं, चिंता की कोई बात नहीं। आई नेक्स्ट का कालिंग पेज है न। अब तो सिटी का हर यूथ अपना सजेशन और व्यूज आई नेक्स्ट में पब्लिश कराना चाहता है.' सुनील आई नेक्स्ट का एक पुराना इश्यू पलटते हुए कहता है, 'वो तो ठीक है। ये बैक पेज पर पार्टी की पिक क्या कोई भी छपवा सकता है क्या?' अर्पिता कहती है कि यही तो खासियत है आई नेक्स्ट के बैकपेज की। कोई भी पार्टी आई नेक्स्ट बिल्कुल फ्री छापता है। पहले तो लोग झिझकते थे, लेकिन आखिरकार आई नेक्स्ट के सिटीलाइट्स ने गोरखपुराइट्स के दिल में अपनी जगह बना ही ली। आज आलम यह है कि सिटी में पार्टी कहीं भी हो, लोग आई नेक्स्ट को इनवाइट करना नहींभूलते हैं।

मैनुअल से एफबी तक

अरे अर्पिता एक कप चाय और पिला दो, कुछ स्नैक्स भी ले आना। सुनील अर्पिता से यह कहने के बाद कपिल की ओर मुड़ता है। कपिल और अंजलि उस समय फोन पर फेसबुक चेक कर रहे थे। 'अंजलि, क्या तुहें पता है, आई नेक्स्ट की हर न्यूज पर पब्लिक का सजेशन और व्यू होता है। इसके लिए आई नेक्स्ट का एक फेसबुक पर ऑफिशियल पेज भी है। स्टार्टिग में कॉलिंग पेज पूरी तरह मैनुअल था। रिपोर्टर पब्लिक के बीच जाकर अपनी न्यूज पर व्यू जानने की कोशिश करता था। मगर समय बीतने के साथ आई नेक्स्ट भी हाइटेक हुआ। अब लोग अपना व्यू देने खुद आई नेक्स्ट के पास आते हैं। फिर चाहे फेसबुक पर कमेंट करना हो या ट्विटर पर कोई मैसेज देना। ये देखो कालिंग पेज पर मेरी फोटो भी छपी है।

नेट फैमिलियर भी

चाय लाते हुए अर्पिता कहती है कि अरे कपिल यह भी तो बताओ कि किस तरह आई नेक्स्ट वेब पर छा गया है। 2012 में स्टार्ट हुए आई नेक्स्ट लाइव पोर्टल पर न्यूजपेपर पब्लिश होने के पहले ही न्यूज के बारे में जाना जा सकता है। साथ ही जो लोग गोरखपुर में नहीं है, वे भी आसानी से नेट फैमिलियर होने के कारण आई नेक्स्ट ईपेपर के जरिए गोरखपुर के बारे में सब कुछ जान सकते हैं। मैं तो जब भी कभी सिटी के बाहर जाती हूं तो सिटी की खबरों के लिए आई नेक्स्ट लाइव की वेबसाइट inextlive.com जरूर देखती हूं। यही खासियत है आई नेक्स्ट की। यह अपडेट होता रहता है। पहले इसने प्रिंट की दुनिया में धमाल मचाया। फिर वेबसाइट लांच की और अब तो इसका मोबाइल वर्जन भी लांच हो चुका है। मतलब दुनिया भर की खबरें अब है हमारी मुट्ठी में। यह सब पॉसिबल हुआ है आई नेक्स्ट की बदौलत। कपिल आगे कहता है एक बात तुम तीनों ने गौर की है कि आई नेक्स्ट खबर एक वेबपेज जैसा दिखता है। न्यूजपेपर में स्क्रॉल की तरह ट्वीट लगी रहती है तो क्रेडिट लाइन ई-मेल आईडी के रूप में होती है।

आई नेक्स्ट इज द बेस्ट

लेकिन मैंने तो सुना है कि आई नेक्स्ट यूथ बेस्ड न्यूजपेपर है। इसमें पॉलिट्कि्स की खबरें कहां होती हैं?। सुनील ने शिकायत के अंदाज में कहा। कपिल ने तुरंत उसकी शिकायत दूर की। 'अरे नही। ऐसा कुछ नहींहै। आई नेक्स्ट जितनी डेप्थ में पॉलिटिकल खबरें करता है उतना कोई अखबार नहीं करता। यह तो अंदरखाने तक की खबर देता है। स्टिंग के मामले में आई नेक्स्ट का कोई जोड़ नहींहै। पब्लिक रिलेटेड प्रॉब्लम सामने लाने और उसका सॉल्यूशन ढूंढने में आई नेक्स्ट का कोई सानी नहींहै। इसीलिए तो मैं कहता हूं कि आई नेक्स्ट इज द बेस्ट.'

वर्जन

आई नेक्स्ट प्रत्येक खबर को एक नए अंदाज में रीडर के सामने पेश करता है। इसलिए आई नेक्स्ट पढ़ना मुझे बहुत ही पसंद है। जब मैं मेयर नहीं थीं तब से इस अखबार की नियमित पाठक हूं। आज आई नेक्स्ट से ही मेरे दिन की शुरुआत होती है। इसमें मुझे फीचर का पेज सबसे ज्यादा पसंद आता है, क्योंकि इस पेज पर वुमेन के लिए बहुत कुछ है, जिसे हम डेली लाइफ में यूज कर सकते हैं। महिलाओं से जुड़े मुद्दे भी इसमें पब्लिश होते हैं। आई नेक्स्ट की यूथ से जुड़ी खबरें तो काबिले तारीफ होती हैं। चार साल सफलतापूर्वक पूरा करने पर आई नेक्स्ट की टीम को ढेर सारी शुभकामनाएं।

डॉ। सत्या पांडेय, मेयर