- मेडिटेशन, म्यूजिक, क्लब, लिटरेचर और गेट-टूगेदर कर रिफ्रेश होते हैं डॉक्टर

-रिक्रिएशन के टूल अलग-अलग, लेकिन सबका सुकून है मंजिल

PATNA: डॉक्टर ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें हमेशा ही पेशेंट की डिजीजेज व उससे जुड़ी बातों से ही दिन निकलता है। इसमें हर वक्त वे दूसरों का ही दर्द और परेशानी को समझने में लगे रहते हैं। ऐसी नीरस काम से शाम तक वे थक कर चूर हो जाते हैं। इसमें रीक्रिएशन के लिए टाइम निकालना बहुत जरूरी है, ताकि फिर से वे अगले दिन के लिए तैयार होकर पेसेंट की केयर में जुट सके। इसके लिए कोई म्यूजिक सुनता है, तो कोई अपने फ्रेंड्स के साथ क्वालिटी टाइम बिताता है। जाहिर सी बात है कि जब खुद को तरो-ताजा रखेंगे, तभी वे पेशेंट की ठीक से केयर कर सकते हैं। आई नेक्स्ट ने डॉक्टर्स डे पर शहर के कुछ ऐसे ही डॉक्टर्स से बातचीत कर उनके रिक्रिएशन के तरीकों व उससे जुड़ी बातों के बारे में जानकारी ली।

फैमिली फ‌र्स्ट, ट्रैवलिंग एंज्वॉयफुल

दिनभर पेशेंट्स के बीच रहने के बाद मैं फैमिली से मिलने से ज्यादा जरूरी कोई काम नहीं समझता हूं। इसे भरपूर एंज्वॉय करने के लिए कही जाना जबतक बहुत जरूरी न हो, मैं नहीं जाता। इस बीच अगर कभी दिन में थोड़ा पहले फुर्सत होने पर बांकीपुर क्लब में जाकर अपने दोस्तों और बैचमेट के बीच टाइम शेयर करना अच्छा लगता है। इसके साथ मैं ट्रैवल करना भी एंज्वॉय करता हूं। चार-पांच महीने के टाइम पर मैं फैमिली के साथ जम्मू, नैनीताल और डलहौजी जैसे हिल स्टेशन पर जाना पसंद करता हूं।

- डॉ राकेश कुमार ,पीएमसीएच

ये म्यूजिक है मेरी जान

पेशेंट तो हर दिन मेरी रूटीन का हिस्सा है, लेकिन मैं खुद को कभी बोर नहीं होने देती। हालांकि लाइब्रेरी में भी थोड़ा समय बिताना पसंद करती हूं। पेशेंट से शाम तक फ्री होने के बाद मैं फैमिली के साथ रहती हूं, लेकिन मुझे सबसे अधिक खुशी म्यूजिक सुनकर महसूस करती हूं। खासकर क्लासिकल म्यूजिक के क्लासेज भी ज्वाइन की हूं। इससे मुझे रिलैक्सेशन और एनर्जी मिलती है। यह मेरी आदत सी बन गई है। इसके साथ ही अपने दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिताना और नई जानकारी शेयर करना पसंद है। दूसरे दिन मैं खुद को बिलकुल फिट पाती हूं।

-डॉ सारिका रॉय

गेट-टूगेदर का आइडिया

मुझे पार्टी कल्चर पसंद नहीं है। एक नॉर्मल लाइफ जीता हूं। फैमिली तो निश्चित रूप से सबसे ज्यादा जरूरी है। मेरे लिए फिट रहने का मतलब है मेंटली और फिजिकली साउंड होना। इसके लिए मेडिटेशन करना सबसे अच्छा लगता है। इससे अपने अंदर एक रिजुवनेटिंग एनर्जी फील करता हूं। इसे मैं हर दिन करता हूं। इसके अलावा फ्रेंड्स के साथ मेडिकल कान्फ्रेंस में दोस्तों के मिलकर सोशलाइजेशन के लिए टाइम भी निकालता हूं।

-डॉ मनोज कुमार

फैमिली के साथ टाइम स्पेंड

पीएमसीएच के फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट में ट्यूटर के पद पर काम कर रहे डॉ संजय कुमार हॉस्पिटल से लौटने के बाद अपने फैमिली के साथ अधिक से अधिक समय बिताना पसंद करते है। अपने बच्चों के साथ वे कुछ समय खेलने का भी निकालते हैं। इसके अलावा उन्हें दोस्तों के साथ क्लब जाकर लोगों के साथ लाइट मोमेंट शेयर करना भी अच्छा लगता है।

डॉ संजय कुमार, ट्यूटर पीएमसीएच

हर प्रोफेशन में तैयार रखने की चुनौती

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिहार ब्रांच के अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि डॉक्टर का काम जबावदेही और तनाव से भरा हुआ है। वह इतना व्यस्त हो जाता है कि पेशेंट की परेशानी उसके जाने के बाद भी उसके जेहन में कहीं रह जाती है। कभी कभी उसे इलाज के साथ समझाना पड़ता है कि आप बिल्कुल ठीक हो जाएंगे, तो हर कोई उससे अपनी परेशानी अपना दर्द बताता है, पर कोई ये नहीं पूछता आप कैसे हैं। ऐसी दिनचर्या को लेकर इस प्रोफेशन में डॉक्टर के लिए रिक्रिएशन का बहुत महत्व है। भाषा के प्रेसिडेंट डॉ अजय कुमार का कहना है कि सिर्फ इसी में नहीं हर प्रोफेशन में इसका महत्व है। फिल्में देखना, क्लब जाना, लिटरेचर पढ़ना और कहीं टूर पर निकल जाना। इनसे रिफ्रेश तो हो जाते हैं, लेकिन मैं समझता हूं कि अधिक से अधिक पेशेंट को बचाना ही सबसे गर्व और खुशी की बात है।