बड़ी सीट:
भारतीय रेलवे के इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत 2011 में हुई थी। इनकी सीटों पर बैठने पर 'जर्क' भी कम लगेंगे। इसके आलावा ये नए कोच चौड़े होने के साथ इनके साइड बर्थ भी बड़े होंगे।
रेलिंग लगी:
भारतीय रेलवे के कोच रिहैबिलिटेशन वर्कशॉप (सीआरडब्लूएस) के इंजीनियर्स ने इन कोचों को तैयार किया है। जिसमें इन कोचों में बीच वाली बर्थ चेन की बजाय विशेष किस्म के बेल्ट से जुड़े होंगे। इसके अलावा इनमें एक रेलिंग भी लगी है। जिससे बीच वाली बर्थ पर लोग बिना किसी डर के आराम कर सकेंगे।
एसी व नॉन एसी कोच:
इस प्लान के तहत करीब 111 कोचों को तैयार किया गया है। जिसमें 87 कोच नॉन एसी, 17 कोच थर्ड एसी और 5 सेकेंड एसी ओर एक फर्स्ट एसी होगा। जिसमें एसी कोच के निर्माण में करीब 70 लाख और स्लीपर कोच की कॉस्ट 49 लाख रुपये है।
मल्टीपल चार्जर:
मॉडल कोचों में अब हर कंपार्टमेंट में अलग-अलग मोबाइल और लैपटॉप चार्जर यात्रियों को मिलेगे। इसके अलावा एलईडी लाइट लगी होगी। जिससे सफर के दौरान यात्री आराम से न्यूजपेपर आदि पढ़ सकेंगे।
बॉयो टॉयलट:
इन नए कोचों में साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा गया है। सभी कोच में बॉयो टॉयलट सिस्टम लगें होंगे। साबुन और डस्टबिन आदि भी रखने की व्यवस्था होगी। कोच की फर्श पर ऐसा पेंट होगा जो बिल्कुल कारपेट का एहसास कराएगा।
बोतल की जगह:
हर कोच में पानी की बोतल रखने की एक खास जगह बनाई गई। इसके अलावा बर्थ के साइड में स्नैक्स टेबल बनाई गई है। सारी सीटें फायर प्रूफ होंगी। इतना ही नहीं कोच के दोनों ओर फायर एक्सटिंग्विशर होंगे।
राजधानी एक्सप्रेस:
अभी इन कोच को ट्रायल के बाद रेलवे बोर्ड के क्िलयरेंस का इंतजार हैं। जब इन्हें क्लियरेंस मिल जाएगा तब आईएसओ प्रमाणित ट्रेनों और राजधानी एक्सप्रेस में लगाए जाएंगे। उसके बाद लोग इनमें सफर कर सकेंगे।
inextlive from Spark-Bites DeskImage source: GMSRailway
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