- सिटी में बिना मानक बने हैं ब्रेकर, डिजाइन से पब्लिक पहुंची रही हॉस्पिटल

- कई जगह 100 मीटर की सड़क पर 10 से अधिक ब्रेकर

GORAKHPUR: रफ्तार का कहर आए दिन लोगों की जान ले रहा है। इससे निपटने के लिए स्पीड ब्रेकर्स काफी फायदेमंद साबित हुए, मगर अब रफ्तार का वार रोकने के इरादे से बनाए गए स्पीड ब्रेकर्स सितम ढाने लगे हैं। नियमों को ताक पर रख हर गली-चौराहों पर बेरोकटोक बने यह स्पीड ब्रेकर्स, कब और किस मोड़ पर मिल जाएं, इसका अब अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। इसकी वजह से आए दिन दर्जनों लोग रफ्तार का नहीं बल्कि ब्रेकर्स का शिकार बनकर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। न साइन बोर्ड, न दूरी का कोई मानक और न ही चौड़ाई और उंचाई का माप, बस जहां चाहा, वहां स्पीड ब्रेकर बना दिया। हालत यह है कि यह ब्रेकर्स अब हड्डियां तोड़ने लगे हैं। इसकी वजह से न सिर्फ पब्लिक परेशान हैं बल्कि पिछले एक माह में इन ब्रेकर्स की वजह से 20 से अधिक लोग दुर्घटना का शिकार हुए हैं।

स्पॉट - नंदा नगर

दुर्घटना- डेली लगभग 2 से 3

नंदानगर क्रासिंग के पास छह माह पहले बना ब्रेकर, 100 से अधिक लोगों को हॉस्पिटल की राह दिखा चुका है। 26 जुलाई को इस राह पर एक बाइक सवार अपनी पत्‍‌नी और छोटे बेटे को लेकर जा रहे था। वह ब्रेकर के पास पहुंचे थे कि गाड़ी जंप कर गई और बेटा छटक कर सड़क पर जा गिरा। अभी वह कुछ समझते कि इस दौरान पीछे से आ रही तेज रफ्तार बस ने बेटे को कुचल दिया। बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। स्थानीय लोगों की मानें तो बिना सूचना के यहां ब्रेकर बना दिया गया, जिसके बाद यहां घटनाएं बढ़ गई हैं। कई बार पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा गया है, लेकिन अभी तक यहां से ब्रेकर नहीं हटाया गया।

स्पॉट - कूड़ाघाट

दुर्घटना- लगभग 1 से 2

गिरधरगंज बाजार की ओर जाने वाली यह सड़क सिटी की खतरनाक सड़कों में से एक है। यहां रूल्स को ताख पर रखकर महज 200 मीटर के दायरे में 10 ब्रेकर बना दिए गए हैं। इसकी वजह से बाजार में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। कूड़ाघाट पुलिस चौकी पर तैनात एक सिपाही ने बताया कि आए दिन हमारे पास सूचनाएं आ रही हैं कि फंला ब्रेकर के पास एक्सिडेंट हो गया है। पिछले माह एक लड़की स्कूटी से इस ब्रेकर से गुजर रही थी, तो इस दौरान वह वहा ंसे गिरकर घायल हो गई, जिससे उसका दाहिना हाथ टूट गया।

स्पॉट - यूनिवर्सिटी चौराहा

दुर्घटना- लगभग 4 से 5

यूनिवर्सिटी हॉस्टल के सामने दोनों तरफ ब्रेकर बने हुए हैं। लोग यूनिवर्सिटी चौराहे से मोहद्दीपुर जाने के लिए बनी रोड की चौड़ाई तो काफी है, लेकिन यहां भी बने ब्रेकर्स लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। मानक के विपरीत बने ब्रेकर से गुजरने वाली गाडि़यां इस कदर उछलती हैं कि पीछे बैठने वाला शख्स करीब दो से तीन फीट तक उछल जाता है। 5 अगस्त को एक बैंक कर्मचारी अपनी बेटी को बाइक से यूनिवर्सिटी छोड़ने आ रहा था, इस बीच ब्रेकर पर गाड़ी जंप कर गई और उनकी बेटी रोड पर गिर गई।

स्पॉट - गन्ना शोध संस्थान

दुर्घटना - लगभग 2 से 3

गोरखा रेजीमेंट के सामने 10 फीट चौड़ी और 100 मीटर लंबी गली है। यह गली देवरिया रोड से कुशीनगर रोड को जोड़ती है। स्थानीय लोगों के दबाव में इस गली में दो ब्रेकर बना दिए गए हैं। निर्माण विभाग की लापरवाही की हद यह है कि पूरी रोड सीसी है और ब्रेकर तारकोल से बने है, वहीं मानकों को ताक पर रखकर इसकी उंचाई इतनी कर दी गई है कि छोटी गाडि़यों के बंपर इससे टकरा जाते हैं। मुकामी लोगों की मानें तो पिछले माह में कई फोरव्हीलर्स बंपर से टकरा चुकी हैं और उन्हें काफी नुकसान हुआ है।

यहां होने चाहिए, तो नहीं है ब्रेकर

किसी भी पुल या ओवरब्रिज के दोनों ओर चढ़ाई से 10 मीटर पहले ब्रेकर होने चाहिए, लेकिन सिटी के किसी भी ओवरब्रिज के पहले ब्रेकर नहीं बने है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर एसके केसरी का कहना है कि पुल पर गाड़ी कम से कम स्पीड पर आए जाए ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न हो। स्थिति यह है कि दिन में अधिक भीड़ होने के कारण गाडि़यां स्लो चलती है, लेकिन रात को ब्रेकर न रहने के कारण फर्राटा भरते हुए नजर आती है।

क्या नियम है -

- ब्रेकर से 100 मीटर पहले रम्बलिंग स्ट्रिप लगा होना चाहिए

- ब्रेकर के 10 मीटर पहले ब्रेकर इंफॉर्मेशन बोर्ड लगा होना चाहिए

- स्कूल के गेट के दोनों तरफ कम से कम 10 मीटर पहले ब्रेकर होने चाहिए

- भीड़-भाड़ वाले एरिया की स्टार्टिग के 10 मीटर पहले

- ब्रेकर के ठीक पहले रेडियम के स्टिकर लगे होने चाहिए

यह बहुत ही गंभीर मामला है। शहर में जितने भी मानक के विपरीत ब्रेकर लगे हुए हैं, उनको हटाने के लिए तत्काल अफसर को निर्देश दिया जाएगा और जहां भी रम्बलिंग स्ट्रिप लगे हैं, वहां साइन बोर्ड लगाए जाएंगे।

रंजन कुमार, डीएम