दीपावली के दिन पूजन के लिए शाम 6.40 बजे से लेकर 7.52 बजे तक का समय है उत्तम

विघ्न विनाशक गणपति और श्री की देवी लक्ष्मी को चढ़ेंगे आस्था और श्रद्धा के फूल

VARANASI:

ज्योति पर्व दीपावली पर शहर का कोना-कोना होगा रोशन। हर घर में होगी पूजा। विघ्न विनाशक गणपति और श्री की देवी लक्ष्मी को चढ़ेंगे आस्था और श्रद्धा के फूल। लेकिन खास बात यह है कि पूजन अगर शुभ मुहूर्त और विधि- विधान से किया जायेगा तो यह विशेष तौर पर फलदायी होगा। दीपावली का पूजन अमावस्या के दिन होता है। विद्वानों के अनुसार इस बार अमावस्या बुधवार की रात ख्.फ्भ् मिनट से शुरू होकर ख्फ् अक्टूबर यानि गुरुवार की रात फ्। ख्7 बजे तक रहेगी।

प्रदोषकाल में शुभ है पूजन

ज्योतिषविद् विमल जैन कहते हैं कि स्थिर लग्न वृषभ में पूजन करने से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। दीपावली पूजन का मुख्य समय प्रदोषकाल माना गया है। गुरुवार को प्रदोष काल शाम भ्.क्9 बजे से लेकर 7.भ्ख् मिनट तक है। वहीं वृष लग्न शाम म्.भ्भ् मिनट से रात्रि 8.फ्0 बजे तक है। प्रदोषकाल तथा स्थिर लग्न वृषभ का संयुक्त समय गुरुवार को म्.ब्0 बजे से लेकर 7.भ्ख् बजे तक है। यह समय पूजा अर्चना के लिए काफी उत्तम है। इसके अलावा कुछ श्रद्धालु रात्रि में भी पूजन करते हैं। उनके लिए रात क्क्.क्7 बजे से क्ख्.08 तक पूजन का मुहूर्त शुभ है।

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बहनें मांगेंगी भाइयों की लंबी उम्र

रक्षा बंधन के साथ ही भातृद्वितीया (भैयादूज) का पर्व भाई-बहन के अटूट स्नेह का परिचायक है। कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व ख्भ् अक्टूबर दिन शनिवार को मनाया जायेगा। इस बार द्वितीया तिथि ख्ब् अक्टूबर शुक्रवार की रात्रि फ्.ब्8 मिनट से लेकर ख्भ् अक्टूबर शनिवार को रात्रि फ्.ब्0 मिनट तक रहेगी। इस दिन बहनें अपने भाइयों के कल्याण के लिए गोवर्धन पूजन करती हैं और यम से प्रार्थना करती हैं कि वे उनके भाइयों को लंबी उम्र दें। इस पर्व पर भाइयों के लिए भड़ेहर भरने की परंपरा है। लाई-चूड़े और मिठाइयों से भरे 'भड़ेहर' को ही उपहार के रूप में भाइयों को भेंट करने का रिवाज भी है। भातृ द्वितीया को बहनें गोवर्धन पूजा कर उसे कूटती हैं और पूजनोपरांत भाइयों को तिलक लगाकर मिठाई व पूजे गए चने खिलाती हैं। साथ ही उनके दीर्घजीवी होने की कामना भी करती हैं।