6 से 10 सितंबर तक हो सकती है टिकट बुक
जानकारी है कि स्पाइसजेट की इस स्कीम के अंतर्गत छह सितंबर से 10 सितंबर तक टिकट बुक कराए जा सकते हैं. इसमें पहली स्कीम 599 रुपये की है. इस स्कीम के तहत 599 रुपये में ईंधन सरचार्ज तो शामिल है, लेकिन बाकी टैक्स पैसेंजर को देने होंगे. इस स्कीम के तहत टिकट लेने वाले पैसेंजर अगले साल 16 जनवरी से 24 अक्टूबर तक के बीच की अवधि की ही टिकट बुक करा सकते हैं. दूसरी स्कीम 1999 रुपये की है. इस स्कीम में सभी तरह के टैक्स आदि शामिल हैं यानी पैसेंजर को इतने रुपये में ही टिकट मिलेगी. इस स्कीम के तहत टिकट लेने वाले पैसेंजर 7 अक्टूबर 2014 से 15 जनवरी 2015 के बीच की अवधि के लिए टिकट बुक करा सकेंगे. एविएशन सेक्टर के जानकारों का कहना है कि स्पाइसजेट की इस नई पेशकश के तहत कुछ और कंपनियां भी अपनी स्कीमें ला सकती हैं. इसकी वजह यह है कि इस कॉम्पिटिशन के तहत मार्केट शेयर बनाए रखना एयरलाइंस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इसके लिए उन्हें यह तरीका अपनाना पड़ेगा.

एयरलाइंस एक बार फिर कूद सकती हैं प्राइसवॉर में  
एविएशन सेक्टर के जानकारों की मानें तो अभी और भी एयरलाइंस फिर से प्राइसवॉर में कूद सकती हैं. इस तरह की रणनीति के जरिए एयरलाइंस को कई और फायदे भी होते हैं. गौरतलब है कि पिछले महीने भी स्पाइसजेट के साथ ही एयर इंडिया और जेट ने भी इसी तरह की स्कीमें लॉन्च की थीं. अब स्पाइसजेट ने दो और नई योजनाएं लाकर बाकी एयरलाइंस के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है.

इससे एयरलाइंस की बढ़ती है ब्रैंड वैल्यू
एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह की स्कीम लाकर एयरलाइंस चर्चा में रहती है और इससे उसकी ब्रैंड वैल्यू भी बढ़ती है. उन्हें विज्ञापनों पर कम खर्च करना पड़ता है. दूसरा फायदा यह है कि इस तरह की स्कीमों से एयरलाइंस का लोड फैक्टर बढ़ता है. दरअसल, अगर किसी विमान में 100 सीटें हैं और 20 सीट खाली रह जाती हैं तो उसे लोड फैक्टर 80 फीसदी माना जाता है.

हर तरह से है एयरलाइंस का फायदा
भले ही देखने में लगता हो कि एयरलाइंस सस्ती टिकट बेच रही है और इससे उसे घाटा हो रहा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, इस तरह की स्कीम में सभी टिकटें सस्ती नहीं बेची जातीं बल्कि कुछ टिकटें ही रखी जाती हैं और पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दी जाती हैं. मसलन, अगर किसी रूट पर पहले से ही लोड फैक्टर 80 है और वहां 20 फीसदी सीटें इस स्कीम में दी जाती हैं तो इससे एयरलाइंस को तो फायदा ही होगा, क्योंकि वे 20 फीसदी सीटें पहले खाली जा रही थीं और इस स्कीम के तहत एयरलाइंस को कुछ न कुछ पैसा तो मिल ही रहा है.

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