इन दरों पर मिल रहा है इलाज

-100 रुपये में बनता है ओपीडी का पर्चा सात दिन के लिए

- 75 से 125 रुपये प्रतिदिन फिजियोथेरेपी की फीस

-150 से 200 रुपये में होता एक्स-रे

-40 से 110 रुपये प्रति टेस्ट पैथोलॉजी की फीस

-700 से 900 रुपये आर्थोटिक्स प्रति बेल्ट

-200 रुपये जनरल वार्ड में एडमिट होने की फीस

-300 रुपये सेमी प्राइवेट वार्ड के लिए

- 550 रुपये प्राइवेट वार्ड के लिए

-15 साल पहले अस्पताल का पूर्व सीएम मुलायम सिंह ने किया था इनॉग्रेशन

-बिल्डिंग बनने के बाद सरकार की ओर से नहीं दी कोई सुविधा, सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा अस्पताल

बरेली: शहर में स्पाइनल संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए पीलीभीत बाईपास रोड पर स्पाइनल इंजरी सेंटर बनाया था, लेकिन बिल्डिंग बनाने के बाद से सरकार इसको भूल गई. मौजूदा हालात यह है कि सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल चल रहा है. वहीं अस्पताल में तैनात अन्य स्टाफ भी परमानेंट नहीं है. सरकार की ओर से कोई सुविधा न मिलने से पेशेंट से ली गई फीस से अस्पताल स्टाफ को सैलरी और मेंटीनेंस के काम किए जा रहे हैं.

70 से ज्यादा पेशेंट

डॉक्टर्स के मुताबिक, स्पाइनल इंजरी सेंटर पर डेली 70 से 80 मरीज आते हैं. उनको देखने के लिए आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. संतोष सरकारी सेवा से निवृत्त हो चुके हैं. पर डॉक्टर न होने से कुछ मानदेय पर उनकी सेवाएं अभी भी सेवाएं ली जा रही हैं. वहीं जब यह डॉक्टर एक साल पहले छुट्टी पर गए तो डॉ.संजय सिंह की तैनाती की गई.

फीस से चल रहा अस्पताल

सेंटर में वर्ष 2015 तक करीब 1.55 लाख मरीज आए. इनसे 1.53 करोड़ रुपये आय हुई. इसी से यहां के स्टॉफ को वेतन मिल रहा है. वहीं अस्पताल के बाहर खाली जमीन पर डीएम के आदेश पर एटीएम लगाकर किराए से आय के स्त्रोत बढ़ाए गए. एक दुकान को भी किराए पर देने को कहा गया, लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं पाया.

केंद्रीय मंत्री ने किया था प्रयास

अब यहां कोई दो सरकारी विभाग भी खोलने की बात चल रही है. वर्ष 2016 में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मंत्रालय को पत्र लिखा था. उन्होंने सुझाव दिया था कि इस सेंटर को केंद्र सरकार की राज्य कर्मचारी बीमा निगम की योजना से संबद्ध किया जाए. हालांकि इस पर अभी तक कोई साफ जवाब नहीं आया है. उसके बाद से कोई ऐसा प्रयास नहीं हो सका जिससे इस सेंटर को जीवनदान मिल सके.

2003 में शिफ्ट हुआ था सेंटर

यूपी स्पाइनल इंजरी सेंटर पहले जिला अस्पताल में शुरू किया गया था, लेकिन जगह कम पड़ने पर पांच एकड़ भूमि उपलब्ध कराने की मांग यूपी सरकार से की गई. इसके लिए तुलापुर गांव में जमीन मिली. 2003 से सेंटर यहां शिफ्ट हो गया. वर्ष 2003 तक केंद्र सरकार ने 86 लाख रुपये दिए. वर्ष 2004 और 2005 में कोई धनराशि नहीं आई. फिर वर्ष 2005-06 में धनराशि 20 लाख रुपये मिली, लेकिन इसके बाद धनराशि प्रदेश सरकार को उपलब्ध करानी थी.

पूर्व सीएम ने किया था इनॉग्रेशन

1250 वर्ग मीटर एरिया में बने इस सेंटर का इनॉग्रेशन पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने 14 फरवरी 2004 को किया था. लेकिन इस सेंटर पर डॉक्टर्स और स्टाफ की तैनाती नहीं हुई. जिस कारण इस सेंटर को सिर्फ मरीजों की बदौलत चलाया जा रहा है.

प्रदेश सरकार ने नहीं दिया ध्यान

प्रदेश सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और केंद्र ने भी मदद करने से मना कर दिया. इटली सरकार ने उपकरणों के लिए 20 लाख की मदद की थी. मौजूदा समय में इसकी गर्वनिंग बॉडी विकलांग कल्याण विभाग है और कार्यकारी समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त हैं.

अभी यह है टेंप्रेरी स्टाफ

एक आर्थोपेडिक सर्जन, पैथालॉजिस्ट, स्टेनो, लेखा लिपिक, फिजियोथेरेपिस्ट, नर्सिंग सहायक, नर्सिंग आर्दली लैब असिस्टेंट, शू मेकर, चार चतुर्थ श्रेणी, एक सुपरवाइजर माली, सफाई कर्मी और तीन सुरक्षा कर्मी.

इसकी है जरूरत

डॉक्टर, नर्स, वार्ड ब्वॉय, कर्मचारी, आधुनिक उपकरण, डिजीटल एक्सरे, एमआरआई मशीन, पैरालिसिस वार्ड, ऑपरेशन के लिए उपकरण आदि की जरूरत है.

वर्जन

स्पाइनल इंजरी सेंटर तो अपनी कमाई से चल रहा है. डॉक्टर से लेकर कर्मचारियों तक को वेतन यहीं से मिलता है. एक रिटायर डॉक्टर तो एक परमानेंट तैनात डॉक्टर यहां पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इस बार मीटिंग में बात रखूंगा कि वहां पर हड्डी वार्ड शुरू कर दिया जाए. इसके लिए स्टॉफ पूरा रखना होगा.

डॉ. केएस गुप्ता, निदेशक, इंजरी सेंटर