PATNA : कुछ दिन पहले जिस हॉस्पिटल के आईसीयू में मछलियों के तैरने का वीडियो वायरल हुआ था। वही, आज रिकॉर्ड बना रहा है। बजट और संसाधन की रेस में उपेक्षा का दंश झेल रहा यह अस्पताल आज पटना के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को भी पीछे छोड़ रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं नालंदा मेडिकल कॉलेज की जो रीढ़ की टेढ़ी हड्डियों को ऑपरेशन कर सीधा करने में अलग कीर्तिमान तैयार कर रहा है। संसाधन में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को कोई जोड़ नहीं है फिर भी एनएमसीएच सबको मात दे रहा है।

बजट में पीछे नहीं हुई व्यवस्था

बड़ी बिल्डिंग और आधुनिक ओपीडी बनाने की कवायद भले ही एम्स और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में की जा रही है। लेकिन हड्डी के इलाज में नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल दोनों ही अस्पतालों से आगे निकल गया है। दोनों संस्थानों में हड्डी रोग विभाग में बड़े डॉक्टरों की टीम है लेकिन वहां इससे जुड़े ऑपरेशन अधिक संख्या में एनएमसीएच में हो रहे हैं। जबकि दोनों अस्पतालों में मरीजों को पैसा खर्च करना पड़ता है लेकिन एनएमसीएच में इलाज पूरी तरह से मुफ्त होता है।

आर्थो की जटिल सर्जरी ने दी राहत

एनएमसीएच हड्डी रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ महेश प्रसाद की माने तो यहां वह सभी जटिल व बड़ी सर्जरी हो रही है जिससे मरीजों को काफी राहत मिली है। मरीज दिल्ली-मुम्बई या अन्य शहरों में जाने के बजाए पटना में इलाज करा रहे हैं। स्पाइन सर्जरी काफी जटिल है और कई सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में इसका ऑपरेशन नहीं हो पाता है लेकिन एनएमसीएच में खासकर स्पाइन सर्जरी यानी रीढ़ की हड्डी से जुड़े सभी तरह के ऑपरेशन अधिक संख्या में किए जा रहे हैं।

ऑपरेशन में बन रहा रिकॉर्ड

एनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग से जुड़े डॉक्टर का कहना है कि हड्डी रोग विभाग में कूल्हे, कंधे, पांव या रीढ़ की हड्डी टूट जाने पर यहां सभी तरह के ऑपरेशन अधिक संख्या में हो रहे हैं। सफल ऑपरेशन ने मरीजों का विश्वास बढ़ाया है जिससे ऑपरेशन की संख्या में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। गरीब मरीजों के घुटना व कूल्हे के प्रत्यारोपण के बदले मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा पैसे भी दिए जा रहे हैं जबकि एम्स व आइजीआइएमएस में रीढ़ की हड्डी में परेशानी को लेकर आए मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। हड्डी के टेढ़ेपन का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में काफी अधिक होता है। स्पाइन के टेढ़ेपन को दूर करने के लिए कोई सरकारी अस्पताल तैयार नही होता है। एनएमसीएच में आसानी से इलाज हो जाता है।