श्रीलंका की जल सीमा में जाने वाले भारतीय मछुआरों को गोली मार दी जाएगी ये दावा श्रीलंकन प्रधान मंत्री ने किया है. वो भी ऐसे समय जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाली 13 मार्च को श्रीलंकाई संसद को संबोधित करने वाले हैं. और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी श्रीलंका के दौरे पर हैं. श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भारतीय मछुआरों के जल सीमा पार करने के मुद्दे पर कहा कि मछुआरों पर गोलीबारी मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है. भारतीय मछुआरे हमारे जलक्षेत्र में दाखिल होते हैं तभी उन पर ताकत का इस्तेमाल किया जाता है, जो सही भी है. ये बात एक निजी तमिल न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में विक्रमसिंघे ने कही है. उन्हों ने कहा कि जाफना के मछुआरों को मछली पकड़ने की इजाजत मिलनी चाहिए. यहां भारतीय मछुआरे क्यों आते हैं. मछुआरों के लिए उचित बंदोबस्त की जरूरत है. लेकिन ये बंदोबस्त हमारे उत्तरी मछुआरों की आजीविका की कीमत पर नहीं होगा. कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

मछुआरों को नसीहत देते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि भारतीय मछुआरे हमारे जलक्षेत्र से मछली क्यों पकड़ रहे हैं. उन्हें भारतीय हिस्सों में ही रहना चाहिए. इसके बाद कोई समस्या नहीं होगी. कच्चातिवु श्रीलंका के लिए एक अहम मुद्दा है. कच्चातिवु श्रीलंका का हिस्सा है. इस पर दिल्ली की राय भी हमारी तरह ही है लेकिन मैं जानता हूं कि यह तमिलनाडु की सियासत का भी हिस्सा है. इसी वजह से इसका साल्यूशन नहीं निकल पाता है.

मछुवारों के मुद्दे पर दोनों तरफ से बातचीत जारी है और भारतीय प्रधानमंत्री अगले हफ्ते श्रीलंका की यात्रा पर पहुंचने वाले हैं, ऐसे में विक्रमसिंघे की बेहद सख्त टिप्पणी आई है. विक्रमसिंघे ने शुक्रवार रात थांती टीवी से इंटरव्यू में कहा कि यदि कोई उनका घर तोड़ने की कोशिश करता है तो वे उसे शूट कर सकते हैं. यदि वह मारा जाता है तो कानून उन्हें इसकी इजाजत देता है. यह हमारा जलक्षेत्र है. जाफना के मछुवारों को मछली पकड़ने की इजाजत मिलनी चाहिए. हमलोग मछली पकड़ने से रोक सकते हैं. विक्रमसिंघे ने कहा कि मछुवारों पर गोलीबारी मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है. आप हमारे जलक्षेत्र में क्यों आ रहे हैं? आप हमारे जलक्षेत्र से मछली क्यों पकड़ रहे हैं? आप भारतीय हिस्से में ही रहें. इसके बाद कोई समस्या नहीं होगी.

 

विक्रमसिंघे ने  इंडिया श्रीलंका और चीन से अपने पॉलिटिकल रिलेशंस को एक तराजू में तोलने को गलत बताते हुए कहा कि उनके लिए दोनों कंट्रीज अहम है. उन्होंतने स्पष्ट कहा कि 2009  में एलटीटीई के खिलाफ युद्ध में भारत ने श्रीलंका को मदद दी थी और पॉलिटीशियन को अपनी याददाश्त दुरुस्त रखने को कहा.

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