ओलंपिक चैंपियन को मात देकर चमके
साल 2014, चाइना ओपन का फाइनल मुकाबला। हर किसी को उम्मीद है कि दो बार का ओलंपिक चैंपियन व पांच बार का विश्व विजेता लिन डान आसानी से खिताब अपने नाम कर लेगा। दूसरी ओर गुंटूर, आंध्र प्रदेश में जन्मे किदांबी श्रीकांत के मन में कुछ और ही चल रहा है। जब मुकाबला खत्म हुआ तो बाजी पलट चुकी थी। बैडमिंटन इतिहास के सबसे बड़े उलटफेर में से एक में किदांबी ने डान को सीधे सेटों में 21-19, 21-17 से हराकर खिताब अपने नाम कर लिया था। यह खिताब जीतने वाले वह पहले भारतीय हैं।  

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भारतीय उम्मीदों का दारोमदार
किदांबी के पिता खेती करते व मां घर संभालती हैं। परिवार का बड़ा बेटा नंद गोपाल पहले से ही बैडमिंटन की दुनिया में रम गया था। देखादेखी छोटा भाई भी उसी की नक्शेकदम पर चल पड़ा। दोनों ही डबल्स में नाम कमाना चाहते थे। बहरहाल किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 2009 में किदांबी श्रीकांत ने मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की अकादमी में दाखिला लिया। 2011 में इंडिया जूनियर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में किदांबी को खेलता देखकर गोपीचंद ने उन्हें सिंगल्स पर ध्यान देने के लिए कहा। उनकी निगरानी में किदांबी कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते चले गए। अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अपने प्रदर्शन से दूसरों को अचरज में डाल दिया। मालदीव इंटरनेशनल चैलेंज 2012 के फाइनल में जूनियर वर्ल्ड चैंपियन जुल्फादी जुल्फिकली को हराकर किदांबी ने आने वाले वक्त की ओर इशारा कर दिया था। रियो ओलंपिक का टिकट कटा चुके के. श्रीकांत पर भारतीय उम्मीदों का दारोमदार है। देश क्रिकेटर के.श्रीकांत को जानने वाले बैडमिंटन प्लेयर के.श्रीकांत को जानने वालों से ज्यादा है। संभव है रियो ओलंपिक के बाद तस्वीर बदल जाए।

नोट: यह दास्तान किदांबी श्री से संबंधित विभिन्न साक्षात्कारों व समाचारों पर आधारित है।

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