भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बहुला चौथ के नाम से विख्यात है। बुधवार 29 अगस्त को सन्तान रक्षा एवं प्राप्ति हेतु स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं। चन्द्र अर्घ्य का समय रात्रि 8 बजकर 17 मिनट के उपरान्त है। 28 अगस्त मंगलवार को कजली तीज (रतजग्गा) होगी।

हलषष्ठी शनिवार 1 सितम्बर को भरणी नक्षत्र में है। यह पर्व सन्तान, जल एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु मनाया जाता है। इसमें तालाब एवं पलाश, महुआ वृक्ष के पूजन का विधान है।

3 सितम्बर सोमवार को वैष्णवी जन्माष्टमी होगी। 2 सितम्बर रविवार को सायं 5 बजकर 8 मिनट पर अष्टमी लगेगी, जो सोमवार को रात्रि 8 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। अतः वैष्णव गोकुल कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितम्बर सोमवार को होगी। रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए गोकुल विख्यात है।

3 सितम्बर को दुर्वाष्टमी भी होगी, जिसमें श्री गणेश जी को दुर्वा चढ़ाकर शुभेक्षा की जाती है।

पंडित चक्रपाणि भट्ट, वाराणसी

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