- एसआरएन हॉस्पिटल में तीसरे दिन जारी रही प्राइवेट एम्बुलेंस वालों की मनमानी

- टैंपों और रिक्शा के भरोसे ढोए जा रहे हैं मरीज

<- एसआरएन हॉस्पिटल में तीसरे दिन जारी रही प्राइवेट एम्बुलेंस वालों की मनमानी

- टैंपों और रिक्शा के भरोसे ढोए जा रहे हैं मरीज

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: मजबूरी का दूसरा नाम मरीज हो चुका है। खासतौर से एसआरएन हॉस्पिटल पहुंचने वाले मरीजों के साथ तो ऐसा ही बीत रहा है। लगातार तीसरे दिन प्राइवेट एम्बुलेंस संचालकों की मनमानी से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। उनके खिलाफ न तो हॉस्पिटल प्रशासन कोई एक्शन ले रहा है, और न ही जिला प्रशासन के कान में जूं रेंग रही है। उल्टे भुगतना मरीजों को पड़ रहा है।

रास्ते में बिगड़ रही है हालात

प्राइवेट एम्बुलेंस का संचालन बंद होने से मरीजों को मजबूरी मे रिक्शा और टैंपो से ढोया जा रहा है। जिसके चलते हॉस्पिटल पहुंचते-पहुंचते मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है। बुधवार को रसूलाबाद के देवेश जायसवाल को सीने में दर्द होने पर परिजनों ने टैंपों में हॉस्पिटल पहुंचाया। परिजनों ने बताया कि खराब रास्तों और जाम की वजह से रास्ते में मरीज की हालत खराब होने लगी थी। करछना से आए मरीज सरदार सिंह को घर ले जाने के लिए परिजनों को एक घंटे इंतजार करना पड़ा। प्राइवेट एम्बुलेंस नहीं मिलने से परिजन मरीज को रिक्शे पर लादकर बस स्टैंड तक ले गए।

बिना सेटिंग नहीं मिलती सरकारी एम्बुलेंस

कहने को एसआरएन हॉस्पिटल के पास पांच एम्बुलेंस हैं। इनमें से एक चिल्ड्रेन हॉस्पिटल तो दूसरी ट्रामा सेंटर में अटैच है। बाकी बची एक कंडम हो चुकी है और इसमें सामान ढोया जाता है। दो एम्बुलेंस ठीक हालत हैं लेकिन ये केवल पहुंच वालों को ही मिलती हैं। इनका उपयोग करने के लिए परिजनों को काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। बिना हॉस्पिटल एसआईसी के आदेश के ये एम्बुलेंस टस से मस नहीं होती हैं। यही कारण है कि हॉस्पिटल कैंपस में प्राइवेट एम्बुलेंस संचालकों की मनमानी चलती है।

कौन करेगा कार्रवाई

एसआरएन हॉस्पिटल में ख्8 प्राइवेट एम्बुलेंस का संचालन होता है। इनमे से चार को आरटीओ ने पांच दिन पहले कार्रवाई कर जब्त कर लिया था। इसके विरोध में बाकी संचालक हड़ताल पर चले गए हैं। सरकारी एम्बुलेंस की सुविधा नहीं होने पर मरीजों को मजबूरी में इनमें ले जाया जाता है। फिलहाल इनके हड़ताल पर होने से मरीजों और परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रहा है।

प्राइवेट में कराइए एक्सरे

हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर्स की मनमानी भी चरम पर है। कोरांव की युवती सविता को मंगलवार को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर की सलाह पर हॉस्पिटल में एक्सरे कराया गया। जिसमें सरकारी फीस चालीस रुपए खर्च हुए। इसके बाद बुधवार को जूनियर डॉक्टर ने परिजनों को दोबारा सविता का एक्सरे कराने की राय दे डाली। जूनियर ने कहा कि प्राइवेट एक्सरे कराने के बाद ही मर्ज का सही पता लगाया जा सकेगा। परिजनों ने बताया कि उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे में प्राइवेट में एक्सरे कैसे कराएं। दिनभर वह सहायता के लिए कैंपस में भटकते रहे।