-संस्कृत यूनिवर्सिटी में नियुक्ति का शासन के अपर सचिव से रजिस्ट्रार ने की थी कम्प्लेन

-गवर्नर हाउस के निर्देश पर संस्कृत कॉलेजेज में नियुक्तियों पर रोक

VARANASI

संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। यदुनाथ दुबे के कार्यकाल में संस्कृत कॉलेजेज में हुई करीब 200 टीचर्स की नियुक्तियां जांच के जद में है। रजिस्ट्रार ने इसकी कम्प्लेन उच्च शिक्षा के अपर सचिव व चांसलर से भी की थी। इसे देखते हुए गवर्नर हाउस ने करीब दो महीने पहले ही संस्कृत कॉलेजेज में नियुक्तियों के अनुमोदन पर रोक लगा दी थी। अब इन नियुक्तियों की जांच जल्द स्टार्ट होने की संभावना जताई गयी है।

चांसलर से मनमानी की कम्प्लेन

प्रदेश के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट में स्थित संस्कृत कॉलेजेज में मनमाने तरीके से टीचर्स की नियुक्तियां की गई है। इस संबंध में रजिस्ट्रार प्रभाष द्विवेदी ने शासन को लिखे लेटर में कहा है कि नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद व रिश्वतखोरी की कम्प्लेन मिली हैं। साक्ष्य के तौर पर रजिस्ट्रार को इस संबंध में ऑडियो टेप भी मिला है। इसमें यूनिवर्सिटी द्वारा विशेषज्ञ नामित कराने के लिए पांच लाख रुपये दिए जाने की बात कही गई है। इस क्रम में अपने चहेतों की नियुक्ति कराने के लिए कुछ खास टीचर्स को भी विषय विशेषज्ञ के रूप नामित किया गया। इतना ही नहीं नियुक्ति का विज्ञापन भी ऐसे न्यूज पेपर में प्रकाशित कराया गया, जिसकी प्रसार संख्या काफी कम है। शासन के प्रतिनिधि के बिना ही कई कॉलेजेज में टीचर्स की नियुक्ति कर ली गई। नियुक्तियों में रिजर्वेशन के नियमों की भी अनदेखी की गई। कुल मिलाकर नियुक्तियों में मानकों की अनदेखी की जा रही है। लिहाजा धारा आठ (1) के तहत उन्होंने इन नियुक्तियों की जांच कराने का अनुरोध किया था।

यूनिवर्सिटी में हुए अप्वाइंटमेंट की कम्प्लेन को शासन ने गंभीरता से लिया है। जांच को लेकर पत्रावली बढ़ा भी दी है। नियुक्तियों की जांच कमिश्नर कर सकते हैं। शासन से इस बात के संकेत भी मिले हैं।

प्रभाष द्विवेदी, रजिस्ट्रार