-शताब्दीनगर योजना में लटका किसानों को प्रतिकर भुगतान मामला

-किसानों के कब्जे में एमडीए की 600 एकड़ जमीन, फंसे आवंटी

Mohit Sharma

Meerut। एमडीए और किसानों के बीच मुआवजे को लेकर चल रहे कोल्ड वार में आवंटियों को बड़ा झटका लगा है। एमडीए की शताब्दीनगर योजना में आशियाने का सपना देख रहे आवंटियों को अपने घरौंदों के लिए अभी और लंबा इंतजार करना पडे़गा। एमडीए द्वारा किसानों को मुआवजा भुगतान से इंकार करने पर किसानों ने जमीन से कब्जा छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है। जिससे विकास की बाट जोह रही योजना पर एक बार फिर ग्रहण लग गया है।

क्या है मामला

शताब्दीनगर आवासीय योजना के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण ने साल 1989 में किसानों से 1600 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण के समय से अब तक किसान अपनी भूमि का तीन बार मुआवजा भी उठा चुके हैं बावजूद इसके उन्होंने आज तक भूमि से अपना कब्जा नहीं छोड़ा। अब किसान नई भू-अधिनियम नीति के अनुसार मुआवजा भुगतान की मांग कर रहे थे। आज की तारीख में यह मुआवजा राशि प्रति गज तकरीबन 5800 रुपए बनती है।

एमडीए ने नकारी मांग

सालों से चली आ रही किसानों की मांग को लेकर तत्कालीन डीएम पंकज यादव ने एमडीए और किसानों की त्रिपक्षीय बैठक बुलाई थी। बैठक में डीएम की अध्यक्षता में किसानों की मांग को सही ठहराते हुए बढ़ी हुई अतिरिक्त मुआवजा राशि देना तय हुआ था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने डीएम को मुआवजा राशि बढ़ाने में डीएम को अक्षम बताते हुए संबंध समझौते को निराधार माना। जिस पर एमडीए ने किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने से हाथ खड़े कर दिए। इस पर किसानों ने जमीन को कब्जा मुक्त करने से साफ इंकार कर दिया।

क्या है हालात

गांव-- 7 (जमीन)

किसानों की संख्या -- 2369

कुल अर्जित भूमि - 1620 एकड़

कब्जे में भूमि - 600 एकड़

विकास में खर्च राशि - 500 करोड़

किसानों को दी राशि - 200 करोड़

प्रतिकर के रूप में दी राशि- 337 करोड

200 करोड़ का लिया था कर्ज

एमडीए ने 200 करोड़ रुपए का कर्ज उठा कर शताब्दीनगर के किसानों का मुआवजा भुगतान किया था। बावजूद इसके किसानों ने करीब 600 एकड़ जमीन से कब्जा नहीं छोड़ा और पूर्व की तरीके से जमीन पर खेती करते रहे। योजना को पंख लगाने के लिए एमडीए ने करोड़ों रुपए के टेंडर भी जारी किए, लेकिन किसानों ने वहां कोई काम शुरू नहीं करने दिया।

4955 आवंटी फंसे

शताब्दीनगर योजना में एमडीए ने 9781 प्लाटों का आवंटन कर दिया, जिसमे से 4955 आवंटियों को आज तक जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया। ऐसे में एमडीए के ये आवंटी प्लाटों पर कब्जे की आस में प्राधिकरण कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इनमें से अधिकांश आवंटी तो वो हैं, जिन्होंने बैंक से लोन या भारी दर भर ब्याज पर पैसा उठाकर प्लॉट की किस्तें भरी हैं।

अदालत के निर्णय के बाद किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देना संभावित नहीं है। ऐसे में मुआवजा संबंधी प्रकरण में कोर्ट द्वारा ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। एक अक्टूबर को किसानों की बैठक बुलाई गई है।

-मांगेराम चौहान, तहसीलदार एमडीए