पहली बार शासन ने फिटनेस रिपोर्ट भी की है तलब

डॉक्टर्स का पैनल टीमें करेंगी आवेदकों को एग्जामिन

ALLAHABAD: असलहा लाइसेंस लेने के इच्छुक हैं तो अपना मेंटल स्टेटस भी चेक करा लीजिए। कोई कमी निकली तो लाइसेंस मिलना मुश्किल होगा। असलहा लाइसेंस आवेदन पर लगी रोक हटाने के बाद शासन ने पहली बार आवेदकों से फिटनेस रिपोर्ट भी तलब की है। जिसका मकसद लाइसेंस लेने वाले का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी लेना भी है। आवेदकों को बकायदा हॉस्पिटल में जाकर अपना पूरा चेकअप कराकर रिपोर्ट देनी होगी।

दो तरह से होगा दिमागी टेस्ट

आवेदकों की दिमागी जांच दो प्रकार से की जाएगी। कॉल्विन हॉस्पिटल के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के कंसल्टेंट डॉ। राकेश पासवान कहते हैं कि इसके लिए पहले आवेदक का मेंटल एग्जामिनेशनल स्टेटस यानी एमईएस चेक करेंगे और इसके बाद अगर कोई संशय रह जाता है तो प्रोजेक्टिव टेस्ट लिया जाएगा। इसके अलग-अलग प्रकार के टूल्स होते हैं जिसके जरिए मरीज का मेंटल स्टेटस का अंदाजा लगा लिया जाता है। बता दें कि अभी तक तमाम भर्तियों के लिए आवेदकों की मानसिक जांच की जाती थी और असलहा लाइसेंस में पहली सरकार ने यह कदम उठाया है।

अब तक ले चुके 800 फार्म

रोक हटाए जाने के बाद कलेक्ट्रेट परिसर से लगभग 800 असलहा आवेदन फार्म लोग ले चुके हैं। यह फार्म असलहा विभाग सहित स्टांप वेंडर्स के पास उपलब्ध है। माना जा रहा है कि दिवाली तक यह संख्या 1500 के आंकड़े को पार कर जाएगी। हालांकि अभी तक शासन की ओर से किसी हॉस्पिटल में असलहा फिटनेस की जांच को लेकर कोई आदेश नही पहुंचा है फिर भी आवेदक अपनी सुविधानुसार हॉस्पिटल्स में फिटनेस टेस्ट करा सकते हैं।

मेडिकल टेस्ट

ऊंचाई

वजन

ब्लड प्रेशर

विरूपण

मानसिक स्थिति स्थिर पाई गया या नही?

जांच में किसी प्रकार के नशे के प्रभाव में मिला या नही?

बढ़ते अपराधों ने किया मजबूर

हाल ही में लाइसेंस असलहों से होने वाली हत्या और सुसाइड की घटनाओं ने शासन ने यह कदम उठाने पर मजबूर किया। बताया जाता है कि लाइसेंसी असलहों का दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कारगर कदम सिद्ध होगा। जो डॉक्टर फिटनेस रिपोर्ट जारी करेगा उसकी डिटेल भी शासन लेगा। अगर जांच रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी पाई गई तो डॉक्टर के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

यह बहुत जरूरी था। इससे अक्षम लोगों को लाइसेंसी असलहे का लाभ नही मिलेगा। मेरी राय में जिन विभागों में असलहों का उपयोग होता है वहां पर भी मानसिक जांच की व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए। यह टेस्ट कई चरणों में किया जाता है।

डॉ। राकेश पासवान,

मनोचिकित्सक, काल्विन हॉस्पिटल