जेपीएससी ने निकाली वैकेंसी, 15 नवंबर तक पूरा होगा रिक्रूटमेंट प्रॉसेस

झारखंड में चिकित्सीय व्यवस्था सुधारने की कवायद

RANCHI:झारखंड को बहुत जल्द 654 नए डॉक्टर मिलने वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन को अलग-अलग डिपार्टमेंट के 654 डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए कहा है। इसके बाद जेपीएससी ने नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकाल दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य स्थापना दिवस 15 नवंबर से पूर्व डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

28 तक करें अप्लाई

जेपीएससी द्वारा 654 डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए एप्लीकेशन भेजने की लास्ट डेट 28 सितंबर है। इसमें सभी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति होनी है। 7 सितंबर से ही ऑनलाइन एप्लीकेशन जमा हो रहा है।

किस विभाग में कितनी होनी है नियुक्ति

स्पेशलिस्ट डॉक्टर पोस्ट

ऑप्थेलोमोलॉजिस्ट 34

पैथोलॉजिस्ट 4

साइकेट्रिस्ट 22

फिजिशियन 220

ई एन टी स्पेशलिस्ट 4

रेडियोलॉजिस्ट 16

सर्जन 34

ऑर्थोपेडिशियन 30

एनेस्थेसिस्ट 36

पैडियाट्रिशियन 222

गाइनोकोलॉजिस्ट 32

टोटल पोस्ट 654

जरूरत 3200 डॉक्टर की, राज्य में हैं सिर्फ 1400

राज्य बनने के बाद से झारखंड में डॉक्टरों की भारी कमी हुई है। झारखंड के सभी अस्पतालों और तीनों मेडिकल कॉलेजों में मिलाकर करीब 3200 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन अभी एनआरएचएम को मिलाकर टोटल 1400 डॉक्टर ही राज्य में काम कर रहे हैं। तय संख्या से आधे से भी कम डॉक्टर होने के कारण राज्य भर में परेशानी बढ़ गई है।

मानक से 5 गुना अधिक आबादी पर एक डॉक्टर

विश्व स्वास्थ संगठन(डब्लूएचओ) द्वारा तय किया गया है कि 3500 की आबादी पर एक डॉक्टर होना जरूरी है। लेकिन झारखंड में एक अनुमान के अनुसार, 20 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर है। राज्य के सभी जिले के सदर अपतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। एनआरएचएम के डॉक्टर सदर अस्पताल में सेवा दे रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या भी बहुत कम है।

.राज्यों में डॉक्टर की क्यों है कमी।

रूरल एरिया में जाने के डर से नौकरी छोड़ रहे डॉक्टर

झारखंड गठन के बाद कई बार डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है। लेकिन नौकरी लगने के बाद जब डॉक्टरों को ग्रामीण एरिया में भेजा जाता है, तो वे ग्रामीण एरिया में जाना पसंद नहीं कर हैं। ऐसे में वे नौकरी ही छोड़ दे रहे हैं। 2012 में भी जेपीएससी द्वारा डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन जब पोस्टिंग हुई, तो बहुत सारे डॉक्टरों ने ज्वाइन ही नहीं किया।

झारखंड आना नहीं चाह रहे डॉक्टर

झारखंड में नौकरी करने के लिए बाहर के डॉक्टर आना नहीं चाह रहे हैं। इससे राज्य में मेडिकल कॉलेज से लेकर स्वास्थ्य केंद्र तक में डॉक्टरों की भारी कमी हो गई है। राज्य के मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले जूनियर डॉक्टर भी दूसरे राज्यों का रूख कर रहे हैं। जबकि राज्य में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी है। झारखंड में तीन मेडिकल कॉलेज हैं, इनमें पीजी की पढ़ाई रिम्स और एमजीएम में ही होती है। राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में 190 एमबीबीएस की सीटे हैं। यहां एमबीबीएस करने के बाद छात्र पीजी करने के लिए दूसरे राज्यों में चले जाते है और वहीं नौकरी करते हैं, झारखंड वापस नहीं लौटना चाहते। 190 छात्रों में अधिकतम 30 एमबीबीएस के छात्र ही हैं, जो राज्य में नौकरी कर रहे हैं।