क्त्रड्डठ्ठष्द्धद्ब : कल्पना के इंसाफ की लड़ाई को राज्य महिला आयोग का साथ नहीं मिल रहा है। बीते शनिवार को कल्पना ने आत्मदाह कर लिया था, पर महिला आयोग ने न तो इस घटना की कोई सुध ली है और न ही पीडि़ता के परिजनों से मिलने की जहमत उठाई। एक महिला ने खुद को आग की लपटों में झोंक दिया, फिर भी महिला आयोग की नींद नहीं खुल रही है। तो आखिर किसके इंसाफ के लिए है राज्य महिला आयोग, यह बड़ा सवाल बन गया है।

पेंडिंग केस निपटा रहे हैं

कल्पना आत्मदाह मामले पर राज्य महिला आयोग क्या कार्रवाई कर रही है, इस बाबत पूछे जाने पर आयोग की अध्यक्षा महुआ माजी ने कहा कि उन्हें अखबारों के माध्यम से इसकी जानकारी मिली है। अगर पीडि़ता के परिवारवाले फरियाद लेकर आते हैं तो आयोग जरूर कार्रवाई करेगी। फिलहाल आयोग में कई केस पेंडिंग है, उसे निपटा रहे हैं। महुआ माजी ने यह भी कहा कि कल्पना के परिजन उसके पास अबतक नहीं आए हैं। ऐसे में अगर आयोग अगर अपने स्तर पर कदम उठाती है तो पुलिस की ओर से हस्तक्षेप करने की बात कही जाती है। वैसे एक-दो दिन में आयोग की टीम कल्पना के घर जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेगी।

तीन महीने कहां था आयोग?

विदित हो कि राज्य महिला आयोग में पिछले 18 नवंबर से ही केसेज की सुनवाई ठप है। पेंडिंग केसेज की संख्या काफी बढ़ गई है। आयोग की अध्यक्षा महुआ माजी विधानसभा चुनाव में रांची सीट से जेएमएम की उम्मीदवार थीं। चुनाव में उनकी व्यस्तता के कारण करीब दो महीने तक आयोग के कामकाज पर व्यापक असर पड़ा। ऐसे में आयोग की ओर से यह कहा गया कि चुनाव व पुलिस फोर्स की कमी के कारण पिटिशनर्स को नोटिस नहीं भेजा जा सका। अब चुनाव खत्म हो चुके हैं और नई सरकार बन चुकी है, फिर भी जनवरी में आयोग में एक भी केस की हियरिंग नहीं हो सकी है, जबकि हर दिन नए-नए मामले पहुंच रहे हैं।