World TB day special

-हर साल लगातार बढ़ रहे हैं टीबी के पेशेंट्स की संख्या

-2013 की तुलना में 2014 में 728 पेशेंट ज्यादा खोजे गए

-नए पॉजिटिव बलगम वाले 265 व अन्य की संख्या 81 से ज्यादा

DEHRADUN : आज व‌र्ल्ड टीबी-डे (ट्यूबर क्लोसिस) यानी क्षय रोग दिवस है। जब भी यह दिन आता है, दुनियाभर में इस संक्रमित रोग के निवारण के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं और किए जा रहे हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी हर साल इस डिजीज के पेशेंट्स की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। जानकार अवेयरनेस होने के साथ तमाम हॉस्पिटल्स में मेडिसीन की उपलब्ध होने के साथ ही जड़ से मिटाने की बात कर रहे हैं।

728 नए पेशेंट खोजे गए

अब अकेले उत्तराखंड के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां हर साल टीबी के नए पेशेंट्स की संख्या में ग्रोथ जारी है। 2013 की तुलना में 2014 में करीब 728 नए पेशेंट खोजे गए। वहीं पॉजिटिव बलगम की संख्या में 2014 में 265 ज्यादा रही है। ऐसे ही फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों में टीबी रोगियों की संख्या में भी 81 की तादात ज्यादा रही। अंदाजा लगा सकते हैं कि हर साल टीबी के रोगी बढ़ रहे हैं।

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क्या है टीबी

टीबी (ट्यूबर क्लोसिस) यानी क्षय रोग। एक कीटाणुजनित संक्रामक रोग है, जो स्पेशल फेफड़ों व शहरी के बाकी अंगों को संक्रमित करता है। सही समय पर ट्रीटमेंट न होने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

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हर रोज 5000 हजार लोग ग्रसित

व‌र्ल्ड के कुल टीबी रोगियों का 1/5 केवल भारत में हैं। बताया गया है कि रोजाना इस बीमारी से पांच हजार लोग ग्रसित हो रहे हैं। हर डेढ़ मिनट में एक व्यक्ति क्षय रोग के कारण मौत के मुंह में समा रहा है। यह भी बताया गया है कि एक बलगम पॉजिटिव पेशेंट हर साल 10-15 लोगां को टीवी से संक्रमित कर रहा है।

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टीबी के लक्षण

-दो सप्ताह या अधिक अवधि से लगातार खांसी, वजन घटना।

-छाती में दर्द, थकान, सांस में तकलीफ या फूलना।

-बुखार (सांयकाल में अधिक), बलगम, खांसी में खून आना, भूख न लगना, रात में पसीना आना।

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फेफड़ों के अलावा बाकी अंगों में टीवी के लक्षण

-गांठ या गिल्टी का बढ़ना।

-जोड़ों में दर्द या सूजन आना।

-सिर दर्द, बुखार, गर्दन अकड़ना, मानसिक भ्रम।

-वेट कम होना, रात में बुखार आना, पसीना आना।

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पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण प्रोग्राम (आरएनटीसीपी)

वर्ष---कुल खोजे गए रोगी---नए बलगम धनात्मक रोगी

2013--13700---5168

2014--14428---5433

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-एनटीसीपी प्रोग्राम के तहत उत्तराखंड में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस रोगियों के निदान के लिए पीएमडीटी प्रोग्राम चलाया जा रहा है।

-इसके अंतर्गत एसटीडीसी 107 चंदर नगर दून में इंटरमीडिएट रेफर लैब स्थापित है।

-हिमालयन इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट व मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में डीआरटीबी स्थापित है।

-पीएमडीटी सभी डिस्ट्रिक्ट में शुरू हो चुका है।

-दिसंबर 2014 तक आईआरएल लैब व सभी जिलों में 4751 सैंपल जांच किए गए।

-दिसंबर 2014 तक दून में 202 सैंपल जांच हुए, जिसमें एमडीआर 27, नैनीताल में 938 सैंपल लिए गए। जिनमें से एमडीआर 152 आए।

-दिसंबर में डॉट्स प्लस के अंतर्गत 583 एमडीआर रोगियों का उपचार किया जा रहा है।

RNTCP के अंतर्गत राज्य के पेशेंट्स पर एक नजर

जिले---कुल खोजे गए रोगी--नए बलगम धनात्मक रोगी---अन्य अंगों के टीबी रोगी

अल्मोड़ा--7भ्क्--ब्09--क्ब्9

बागेश्वर--फ्भ्0---क्फ्9--म्क्

चमोली--म्ख्7--ख्0फ्--99

चंपावत--ख्भ्फ्--क्भ्8--फ्क्

देहरादून--ख्788--7ब्ख्--म्ब्भ्

पौड़ी--8फ्7--फ्ब्म्--क्भ्ख्

हरिद्वार---ख्भ्ख्क्--क्0फ्0--ब्8ख्

नैनीताल--क्8ब्भ्--7क्ब्--फ्क्8

पिथौरागढ़---भ्क्म्--ख्भ्ख्--भ्0

रुद्रप्रयाग--फ्79--क्म्ख्--भ्9

टिहरी--7भ्ब्--ख्9म्--क्फ्9

उधमसिंहनगर--ख्ख्भ्ब्--788--ख्भ्ख्

उत्तरकाशी---भ्भ्फ्--क्9ब्--क्ब्7

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कुल--क्ब्ब्ख्8--भ्ब्फ्फ्--क्भ्89

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सबसे ज्यादा पेशेंट्स दून में

ख्0क्ब् के टीबी पेशेंट्स के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पूरे क्फ् जिलों में सबसे ज्यादा संख्या देहरादून में ख्,788 रही। उसके बाद ख्,भ्ख्क् के साथ हरिद्वार, ख्,ख्भ्ब् के साथ उधमसिंह नगर और क्,8ब्भ् के साथ नैनीताल चौथे स्थान पर रहा।

सबसे कम चंपावत में

सबसे कम टीबी के पेशेंट्स ख्भ्फ् चंपावत, फ्भ्0 के साथ दूसरे नंबर पर बागेश्वर और फ्79 के साथ रुद्रप्रयाग तीसरे स्थान पर रहा। कुल मिलाकर पहाड़ के जिले टीबी के लिहाज से बेहद सुरक्षित रहे हैं।

आज निकलेगी रैली

व‌र्ल्ड टीबी-डे पर स्टेट टीबी सेल के तत्वाधान में ट्यूजडे को गांधी पार्क से अवेयरनेस रैली का आयोजन किया जाएगा। जिसमें तमाम स्कूलों केच्बच्चों के साथ ही एनसीसी, स्काउट एंड गाइड के स्टूडेंट्स शामिल होंगे। रैली सुबह साढ़े नौ बजे गांधी पार्क से शुरु होते हुए तमाम स्थानों तक पहुंचेगी। बताया गया कि इसके बार नगर निगम के पास स्थित एक होटल में कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा।

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टीबी संक्रामक रोग है। समाज में समस्या के रूप में उभर रही है। सभी नागरिकों से अपील है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में डॉट्स में हेल्प करें। सभी स्वयं सेवी संगठनों, समाज सेवियों व अन्य संस्थाओं से अपील है कि वे राज्य को टीबी मुक्त बनाने में सहयोगी बनें।

-हरीश रावत, सीएम।

टीबी से घबराने की जरूरत नहीं है। इसका इलाज संभव है। लेकिन अधिक खांसी होने पर सरकारी हॉस्पिटल में खांसी व बलगम की जांच कराएं।

-डा। जीएस जोशी, डीजी हेल्थ।