-प्लास्टिक के यूज से बढ़ता जा रहा है खतरा, पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है पॉलिथीन

-पर्यावरण बचाने के लिए जुडि़ए आई नेक्स्ट की मुहिम 'द टिकिंग प्लास्टिक बॉम्ब से और प्लास्टिक को कहिए बाय

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KANPUR: प्लास्टिक का यूज बढ़ने के साथ ही हमारा पर्यावरण भी खतरे में पड़ता जा रहा है। क्योंकि पर्यावरण को अगर कोई सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है तो वो हैं पॉलिथीन। सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद इस खतरनाक चीज का प्रयोग अपने चरम पर पहुंच चुका है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कानपुर और आसपास के एरिया में प्रतिदिन करीब 800 करोड़ रुपए का सालाना प्लास्टिक का कारोबार हो रहा है। ख्ख् अप्रैल को 'व‌र्ल्ड अर्थडे' है। ऐसे में हम कानपुराइट्स को पॉलिथीन के यूज के बहिष्कार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से आज से एक महाअभियान की शुरुआत कर रहे हैं। ये महाअभियान व‌र्ल्ड अर्थडे तक चलेगा। आई नेक्स्ट का पूरा प्रयास है कि पर्यावरण के हर दुश्मन और उससे होने वाले हर खतरे से हम आपको रूबरू ही नहीं कराएंगे बल्कि आपको अवेयर भी करेंगे तो आप भी जुडि़ए आई नेक्स्ट के साथ इस मुहिम से और बचाइए अपने पर्यावरण्ा को

हर जगह 'जानलेवा' चीज का यूज

हरी-हरी ताजी सब्जियों को खरीद कर ले जाने के लिए लोग खुलेआम पॉलिथीन का यूज कर रहे थे। स्वरूप नगर में रहने वाली नीलू मल्होत्रा ने आई नेक्स्ट रिपोर्टर के सामने फूलबाग सब्जीमंडी स्थित सब्जी की दुकान से हरी पालक, ताजी भिंडी और शिमला मिर्च खरीदी। उन्होंने हरी सब्जियां खरीदीं जोकि स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं, लेकिन ये कहां की समझदारी है कि लाभदायक सब्जियों को 'हानिकारक चीज' में रखकर अपने घर तक ले जाया जाए।

'पॉलिथीन नष्ट नहीं होती है'

ये तो सिर्फ बानगीभर है। सुबह से लेकर रात तक रोजमर्रा और जरुरत की चीजों को लोग खरीदकर पॉलिथीन में ही घर ले जाते हैं। फिर इन पॅालिथीन को डस्टबीन में फेंक दिया जाता है। जिसके बाद कूड़ा उठाने वाला शख्स उसको ले जाकर जला देता है। अगर वो नहीं जलाता है तो भी पॉलिथीन बिल्कुल वैसी की वैसी ही रहती है। केमिकल एक्सपर्ट डॉ। राजेंद्र पाठक बताते हैं कि पॉलिथीन कितनी खतरनाक होती है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पॉलिथीन को अगर आप जमीन खोदकर वहां दफन कर देते हैं तो उतनी जमीन बंजर हो जाएगी। ऐसे ही अगर पॉलिथीन को जलाया जाएगा तो उससे निकलने वाली खतरनाक गैसें जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, कॉर्बन मोनो ऑक्साइड आपको सांस लेने में दिक्कत पैदा करती हैं। अगर ये खतरनाक गैसें सांस के माध्यम से आपकी बॉडी में जाएंगी तो आपको दमा समेत कई जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। हैरानी इस बात की है कि ऐसी स्थिति के बाद भी हम पॉलिथीन का यूज करते हैं। जोकि किसी की भी कीमत पर नहीं करना चाहिए। इसके यूज को रोकने के लिए अवेयरनेस की जरुरत है।

सैकड़ों एकड़ जमीन हो चुकी है बंजर

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्लास्टिक की वजह से पनकी समेत सचेंडी, रुमा, वाजिदपुर की जमीन पॉलिथिन की वजह से बंजर हो चुकी है। करीब ब्भ्7 एकड़ जमीन पूरी तरह से बंजर हो चुकी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या आज अच्छा बनाने के लिए अपने भविष्य के साथ इस कदर खिलवाड़ करना सही है। पर्यावरणविद् विकास दीक्षित का कहना है कि अगर समय रहते हम लोगों ने पॉलिथीन के यूज को कम नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब खेती करने के लिए ऊपजाऊ जमीन नहीं मिलेगी। उनके मुताबिक सिर्फ उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन की वजह से हर साल जमीन बंजर होने का आंकड़ा तो बढ़ रहा है साथ ही और भी दूसरे नुकसान हो रहे हैं।

8 किलो है प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत

आल इंडिया प्लास्टिक मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के मुताबिक यूपी में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 8 किलो हैं। यह वैसे तो विदेशों में फ्ख् किलो प्रति व्यक्ति के मुकाबले काफी कम है, लेकिन इसके रिसाइक्लिंग की अच्छी सुविधा नहीं होने की वजह से इसके यहां पर नुकसान ज्यादा हैं। इसके अलावा लोगों में भी अवेयरनेस कम है। टोटल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स निर्माण में प्लास्टिक बैग फ् फीसदी ही हैं। इसके बाद कोर्ट की नई गाइडलाइनों के बाद यह और भी कम हो गया है।

गुटखा की प्लास्टिक पैकिंग बंद हुई

शहर की पान मसाला इंडस्ट्री पहले प्लास्टिक की सबसे बड़ी यूजर थी, लेकिन शासन की सख्ती से कागज और एल्युमिनियम पैकिंग में मसाले की बिक्री शुरू होने के बाद इसे प्लास्टिक सैशे से होने वाली गंदगी और प्रदूषण पर कुछ हद तक लगाम लगी है। ऐसा तब हो सका है जब खुद कोर्ट ने आदेश जारी किया। अब सवाल ये है कि क्या हम और आप अपनी जिंदगी के बारे में भी नहीं सोच सकते हैं।

प्लास्टिक बैग का अत्यधिक प्रयोग आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। इसका अंधाधुंध प्रयोग आने वाली पीढि़यों के लिए खतरनाक है। इस तरह की बातें हमें अक्सर बुद्धिजीवी वर्ग और समाज सेवी संगठनों की ओर से सुनाई देती है, लेकिन उसका असर क्या होता है। जरा यह सोचने की भी जरुरत है। -राकेश कुमार मिश्रा, किदवई नगर

प्लास्टिक बैग के यूज को लेकर वैसे तो लोगों में जागरूकता एक हद तक बढ़ी है, लेकिन प्लास्टिक बैग की यूटिलिटी इसके यूज नहीं करने की आवश्यकता पर भारी पड़ती है।

-विनोद कुशवाहा, गोविंद नगर

प्लास्टिक बैग का सीधा साधा उदाहरण हमें किसी ठेले पर सब्जी खरीदते समय मिल जाता है जब वह ग्राहक के पास कोई कैरी बैग नहीं होने पर पॉलीथिन में सब्जी डाल कर दे देता है और आप आराम से उसे घर लेकर चले जाते हैं।

-विनिता अरोड़ा, साकेत नगर

जो बात हम कानपुराइट्स को ध्यान देनी चाहिए वह है कि जिस जगह पर शहर का पूरा कूड़ा कचरा डंप किया जाता है। पॉलिथिन की वजह से वह पूरा एरिया बंजर हो चुका है। शहर में प्लास्टिक बैग की रीसाइक्लिंग करने वाली फैक्ट्रियां बेहद कम हैं। ऐसे में ज्यादातर प्लास्टिक प्रोडक्टस की रिसाइक्लिंग ही नहीं हो पा रही हैं।

अमित कपूर, आर्यनगर

जरा ध्यान दीजिए

- प्लास्टिक बैग के यूज पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश हुआ बेमानी

- खुलेआम ब्0 माइक्रान से कम के पॉलीथिन बैग्स का शहर में हो रहा प्रयोग

- शहर की 800 करोड़ की प्लास्टिक इंडस्ट्री के कई हैं साइडइफेक्ट्स

- प्लास्टिक बैग का अंधाधुंध प्रयोग बिगाड़ रहा है कानपुराइट्स का कल

शहर की प्लास्टिक इंडस्ट्री एक नजर में

रजिस्टर्ड यूनिटें- म्क्क्

इनवेस्टमेंट- 9म्9ख्.ख्भ् लाख

रोजगार- 7क्ब्फ् को

प्लास्टिक प्रोडक्ट्स - आटो पार्टस, प्लास्टिक फर्नीचर, इंजेक्शन, पैकेजिंग मैटेरियल, डोमेस्टिक प्रोडक्ट्स, फिल्म रोल, बैग्स

सलाना कारोबार- 800 करोड़

प्लास्टिक कलस्टर में रजिस्टर्ड यूनिटें

-क्00

औसत इनवेस्टमेंट- ख्0 लाख करोड़

पॉलिथिन के गैर जरुरी यूज से बचना चाहिए। मैं जब भी मार्केट जाती हूं तो घर से ही कपड़े का बैग लेकर जाती हूं। जब बहुत जरुरी होता है तभी पॉलीथिन बैग लेती हूं।

- रितिका तिवारी

आज कल तो हर चीज में पॉलिथिन यूज होती है। यहां तक कि बाहर जूस पीते टाइम भी कांच के गिलास की बजाय प्लास्टिक गिलास में जूस मिलता है। ऐसे में कहां तक इसका यूज बंद किया जाए।

- समीर शुक्ला

पॉलीथिन की वजह से काफी कचरा होता है और यह डिस्पोजेबल भी नहीं होती है, लेकिन इसकी यूटिलिटी की वजह से ही उसका इतना यूज है जोकि कम नहीं हो सकती।

- हेमंत मोहन

इसका यूज तो पॉल्यूशन को बढ़ाता ही है, लेकिन बैन होने के बाद भी पॉलीथिन की बिक्री होती है और लोग यूज भी खूब करते हैं।

- शोभित सिंह

मैं तो पॉलीथिन के यूज के खिलाफ हूं। इसके उपयोग को हतोत्साहित करना चाहिए। नहीं तो आज की सुविधा कल का अभिशाप बन जाएगी।

- विनीत कुमार