कैंसर से पीड़ित स्टीव जॉब्स ने हाल ही में लीवर ट्रांसप्लांट करवाया था। उन्होंने कहा है कि वो अब कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की ज़िम्मेदारी नहीं संभाल सकते। अमरीका की सिलीकॉन वैली में एक किवदंती बन चुके जॉब्स अब एप्पल के चेयरमैन होंगे।

'सुनहरा भविष्य'

पचपन साल के स्टीव जॉब्स इस वर्ष 17 जनवरी से 'अज्ञात बीमारी' के कारण मेडिकल छुट्टी पर थे। एप्पल कंपनी के बोर्ड को लिखे एक छोटे से पत्र में स्टीव जॉब्स ने कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि अगर कभी ऐसा वक्त आता है जब मुझे लगेगा कि मैं एप्पल के प्रमुख की तौर पर अपने कर्त्तव्यों का वहन नहीं कर सकता, मैं सबसे पहले आप लोगों को बताऊंगा। दुर्भाग्य से वो समय आ गया है। मैं एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद से इस्तीफ़ा देता हूं."

स्टीव जॉब्स ने अपने त्यागपत्र में आगे लिखा है कि एप्पल के सुनहरे दिन अभी भविष्य में आना बाक़ी हैं और वे चेयरमैन की तौर पर कंपनी की कामयाबी में योगदान देने का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में एप्पल में अपने साथ काम करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद दिया है।

एप्पल के बोर्ड सदस्य आर्ट लेविनसन ने कंपनी को स्टीव जॉब्स के योगदान पर कहा, "स्टीव की असाधारण दृष्टि और नेतृत्व ने एप्पल की रक्षा की है और इसे दुनिया की सबसे बहुमूल्य टेक्नोलॉजी कंपनी बनाया है."

बेहद कामयाब

विश्लेषकों का कहना है कि स्टीव जॉब्स का ये क़दम अप्रत्याशित नहीं था इसलिए इसका एप्पल पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा। बीजीसी फ़ाइनेंशियल के विश्लेषक कॉलिन गिलीज़ ने कहा , "स्टीव जॉब्स अब भी कंपनी को अपनी देते रहेंगे.लेकिन टिम कुक कुछ अरसे से मुख्य कार्यकारी की भूमिका निभाते आ रहे थे। स्टीव जॉब्स की विज़न और रूपरेखा अब भी मौजूद रहेगी."

आई-पोड, आई-फ़ोन और हाल ही में आई-पैड बनाने वाली कंपनी की कामयाबी के पीछे स्टीव जॉब्स का हाथ रहा है। ये उन्हीं की बदौलत है कि एप्पल कंपनी के उत्पाद दुनिया भर में हाथों-हाथ बिकते हैं और लोगों को इनका हमेशा इंतज़ार रहता है।

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