- सिटी के साहबगंज मंडी समेत टीपी नगर के मुनाफाखोर मिलावट से नहीं आ रहे बाज

GORAKHPUR: शारदीय नवरात्र पर बिक रहे सिंघाड़े और कुट्टू काआटा खरीदने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सावधान हो जाइए। क्योंकि मुनाफाखोरों ने मिलावाट का बाजार फैला रखा है। साथ ही पुरानी खाद्य सामग्री को भी नई पैकिंग में बेचा जा रहा है। सावधानी न बरतने पर पैकिंग वाले अन्य फलाहार भी सेहत बिगाड़ सकते हैं। त्योहार के इस सीजन में खाद्य प्रशासन विभाग की ओर से सैंपलिंग न शुरू होने से व्यापारी बेखौफ हैं।

नवरात्रि में बढ़ जाती है ज्यादा डिमांड

सिटी के साहबगंज मंडी से व्रत में इस्तेमाल होने वाले इन आईट्म्स की सबबसे ज्यादा डिमांड हो गई है। इसके साथ साबूदाना, मुंगफली, देशी घी जैसे सामग्री की भी मांग बढ़ जाती है, लेकिन सिंघाड़ा और कूट्टू के आटा में खतरनाक खेल हो रहा है। मुनाफे केलिए आटा में आरारोट और चावल को पीस कर मिलाया जा रहा है। शुद्ध सिंघाड़ा और कूट्टू का आटा 180 रुपए किलो बिक रहा है। इसकी आड़ में मिलावटखोर आरारोट और पीसा चावल मिला आटा ग्राहकों को बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। देशी घी में मिलावट का खेल बड़े पैमाने पर हो रहा है। कई छोटी-छोटी कंपनियों के पन्नी और डिब्बे में 100 से 200 ग्राम की पैकिंग में देशी घी बाजार में उपलब्ध है। इन गुमनाम कंपनियों की पैकिंग में देशी घी वाली खुशबू भी नहीं रहती। जबरदस्त गर्मी के बावजूद यह देशी घी जमा रहता है। जबकि, शुद्ध देशी घी गर्मी में अपने आप पिघ्ाल जाता है।

कैसे करें पहचान

-पैकेट बंद सिंघाड़ा या कुट्टू का आटा खरीदते समय पैकेट के सील की ठीक ढंग से परखें

-सिंघाड़ा और कुट्टू का शुद्ध आटा पीलापन लिए होता है

-मिलावट वाला सिंघाड़ा और कुट्टू का आटा सफेद होता है

-खराब और मिलावटी आटा गूंथते समय लसलसा हो जाता है, उसमें से अजीब गंध आती है।

वर्जन

नवरात्र में मिलावटी आटे के इस्तेमाल से पेट में कई तरह की तकलीफ हो सकती है। कब्ज बढ़ सकता है। लीवर भी प्रभावित हो सकता है। पुरानी पैकिंग के फफूंदयुक्त आटे के सेवन से दस्त की समस्या हो सकती है।

डॉ। सुंधाशु शंकर, फिजिशियन व एमडी