ग्रेजुएशन करते ही कर ली नौकरी

गोरखपुर निवासी आयुर्वेदाचार्य नाथधर त्रिपाठी के बेटे गोपाल मणि ने बताया कि कविताएं लिखने का शौक उनमें बचपन से ही थाशुरुआत में वह अपनी रफ कॉपी पर कविताएं लिखा करते थे। 1975 में बीए करने के बाद उन्होंने यूपी पुलिस ज्वाइन कर लीकॉन्सटेबल की पोस्ट पर भर्ती हुए त्रिपाठी स्टेट के कई डिस्ट्रिक्ट में तैनात रहे इस दौरान उनकी शादी कमला देवी से हुईपरिवार बढ़ा और दो बेटे भी उनकी जिंदगी में आ गयेलेकिन इस दौरान उन्होंने अपने लिखने और पढऩे के शौक को थमने नहीं दियाइसी का नतीजा रहा कि पुलिस ज्वाइन करने के करीब 16 साल बाद उन्होंने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से हिंदी लिट्रेचर से एमए कर लियाइसी दौरान उनका प्रमोशन हेड कॉन्सटेबल पद पर हो गया

बच्चों को करते रहे प्रोत्साहित

हेड कॉन्सटेबल गोपाल मणि ने बताया कि कम तनख्वाह होने के बावजूद उन्होंने दोनों बेटों की पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ीलगातार प्रेरणा और प्रोत्साहन का ही नतीजा रहा कि बड़ा बेटा संजीव कुमार त्रिपाठी सन् 2000 में आईएएस में सेलेक्ट हो गयावहीं, छोटा बेटा मनोज कुमार त्रिपाठी महाराष्ट्र के एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर बन गया

बेटों को भी है पिता पर गर्व

समाज में धारणा बन चुकी है कि जब कोई शख्स किसी बड़े पद पर आसीन हो जाये तो उसे निचली पोस्ट पर काम करने वालों से बात तक करने में शर्म आती है, ऐसे समय में संजीव और मनोज को अपने पिता और उनकी नौकरी पर गर्व हैगोपाल बताते हैं कि बड़े पद पर पहुंचने के बाद भी उनके बेटों के व्यवहार में कोई भी बदलाव नहीं आया और वे अब भी सबके साथ पूरे अदब और सम्मान से पेश आते हैंगोपाल मणि आज भी किराए पर रहते हैं और साइकिल से ही चलते हैं.

भाई हैं चीफ सेक्रेटरी

बातचीत के दौरान गोपाल मणि त्रिपाठी ने बताया कि उनके भाई सतीश चंद्र त्रिपाठी महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी हैं

रिटायरमेंट के बाद राइटिंग को बनायेंगे पेशा

गोपाल मणि त्रिपाठी के रिटायरमेंट में अब सिर्फ दो साल बाकी हैंउन्होंने बताया कि अभी तो ड्यूटी के बाद मिले समय में वह लेखन के शौक को पूरा करते हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद वह पेशेवर तरीके से इसे अपनाएंगे

अब तक पब्लिश बुक्स

पा लो अपनी मंजिल (काव्य)

हमारे पावन पर्व, त्योहार और जयंतियां

विश्व बंधुत्व एवं मानवतावाद (गद्य)

भारत मां के चरणों में (खंड काव्य)

श्री गणेश (भक्ति गीत)

क्या कहते हैं अधिकारी

हजरतगंज इंस्पेक्टर अशोक कुमार वर्मा कहते हैं कि त्रिपाठी जी अपनी ड्यूटी पर हमेशा पंक्चुअल रहते हैंउनकी फैमिली बैकग्राउंड को वह अपनी ड्यूटी पर कभी हावी नहीं होने देतेचौकी इंचार्ज स्टेडियम उदय प्रताप सिंह कहते हैं कि त्रिपाठी जी अपने ऑफिसर्स को पूरा सम्मान देते हैं और सहकर्मियों को पूरा सहयोग करते हैंटाइम की पंक्चुअलिटी में तो उनके सामने नये लड़के भी फेल हो जाते हैं

 

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