PATNA: डुमरांव घोटाले में आईपीएस अनुसूया साहू पर कार्रवाई को लेकर अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़ा कर रही है। दूसरी तरफ एक जांच के बाद उसी मामले में डीएसपी से जांच कराना बड़ा सवाल है। विभाग की बात करें तो एक दो नहीं ऐसे कई सवाल हैं जो पुलिस महकमे में अफसरों की जुबान पर है। और ये तब तक शांत नहीं होंगे जब तक मामला साफ नहीं हो जाता।

- एक नजर में मामला

प्रशिक्षण केंद्र के लिए खरीदारी के नाम पर घोटाले की पोल उस समय खुली जब डीजी प्रशिक्षण के एस द्विवेदी ने दौरा किया। तीन स्तर से जांच हुई। डीजी ट्रेनिंग ने महालेखाकर के साथ एक टीम डीएसपी और दूसरी टीम सीनियर आईपीएस की बनाकर पड़ताल कराई। हर रिपोर्ट घोटाले की पुष्टि कर रही थी। वरिष्ठ आईपीएस मंसूर अहमद की टीम ने जो रिपोर्ट दी वह चौंकाने वाली थी। इसमें घोटाले की पुष्टि के लिए साक्ष्य भी दिया गया। महालेखाकार और डीएसपी की रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई जो आईपीएस अफसर की जांच रिपोर्ट में थी। डीजी प्रशिक्षण ने जांच की इस रिपोर्ट को डीजीपी को भेज दिया।

- दोबारा जांच क्यों?

पुलिस सूत्रों की मानें तो डीजी प्रशिक्षण की रिपोर्ट शासन स्तर से फिर निगरानी विभाग के पास आ गई है। अब निगरानी के डीएसपी आर के पोद्दार को जांच मिली है। सूत्र बताते हैं कि वह बीमार हैं। उनका बाइपास सर्जरी हुआ है। ऐसे में कोई भी अफसर इस मामले में अपनी जवाबदेही बताने को तैयार नहीं है।

- पुलिस विभाग में चर्चा में है यह सवाल

- डीजी प्रशिक्षण की जांच पर क्यों नहीं भरोसा।

- सीनियर आईपीएस की जांच में पुष्टि के बाद डीएसपी से जांच क्यों।

- एक ही मामले की इतनी जांच के पीछे क्या है जिम्मेदारों की मंशा ।

- गृह विभाग ने जांच रिपोर्ट पर क्यों नहीं दिया कार्रवाई का आदेश।

- जिम्मेदार अफसर क्यों नहीं करना चाहते बात।

अनुसूया साहू के समय में की गई खरीददारी की जांच पूर्व में डीजी प्रशिक्षण के निर्देश पर हुई थी। मुझसे भी रिपोर्ट मांगी गई थी। अब इस मामले की जांच निगरानी के एक डीएसपी से कराई जा रही है।

- राजेंद्र प्रसाद, कमांडेंट बीएमपी ब्

प्राचार्य डुमरांव सैन्य पुलिस प्रशिक्षण केंद्र