Case 1

एमबीए कर चुके प्रगति नगर के रहने वाले 31 वर्षीय संतोष गुप्ता (नेम चेंज्ड) 20 साल की एज में ही टोबैको एडिक्ट हो गए. चेन स्मोकिंग की वजह से अलंकार 27 साल की एज में ही कैंसर की चपेट में आ गए. यही नहीं बीमारी की वजह से अलंकार को जॉब से भी हाथ धोना पड़ा. लेकिन अलंकार ने अपनी विल पावर और पेरेंट्स के सपोर्ट के चलते स्मोकिंग से निजात पा ली. ढाई साल तक मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली और टाटा इंस्टीस्ट्यूट मुम्बई में ट्रीटमेंट कराने के बाद अलंकार आज की डेट में फिट हैं. फिलहाल अलंकार बिजनेस कर रहे हैं.

Case 2

राजेंद्र नगर के रहने वाले तुषार वर्मा (नेम चेंज्ड) एलएलबी कर रहे हैं. तुषार जब 15 साल के थे, तब से स्मोकिंग करने लगे. उन्होंने फ्रेंड्स के कहने पर गुटखा और सिगरेट का इनटेक शुरू किया. ये शौक कब नशे में तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला. पर डे 10-12 सिगरेट पी जाता था. पेरेंट्स को जब इसका पता चला तो उन्होंने प्यार से समझाया और उनका ट्रीटमेंट करवाया. फिलहाल उनकी स्मोकिंग की आदत छूट चुकी है. साथ ही गुटखा भी खाना भी बंद हो गया.

सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं मानते

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल, हॉस्पिटल, रेलवे जैसे पब्लिक प्लेसेज पर स्मोकिंग बैन कर रखी है. मार्च 2011 में प्लास्टिक पाउच में गुटखा व पान मसाला जैसे उत्पादों को बेचने पर भी प्रतिबंध है. यूपी गवर्नमेंट ने अप्रैल 2013 में स्टेट में गुटखे की बिक्री पर रोक लगा दी थी पर ये आदेश कारगर साबित होते नहीं दिख रहे.

डेली 100 बोरी गुटखे की खपत

टोबैको प्रोडक्ट्स पर बरेलियंस पर डे लाखों खर्च करते हैं. कुतुबखाना और श्यामगंज मार्केट में तंबाकू के 35 होलसेलर हैं. यहां पर डे दो लाख रुपए से ज्यादा का गुटखा व सिगरेट का टर्नओवर होता है. होलसेलर रामअवतार ने बताया कि बरेली में डेली एवरेज 100 बोरी गुटखे की खपत होती है. एक बोरी में 235 पैकेट गुटखा होता है. इस हिसाब से 23,500 पैकेट गुटखे की खपत पर डे शहर में होती है. वहीं सिगरेट की 3500 पैकेट यानि 35 हजार सिगरेट डेली कंज्यूम होती हैं.

4 हजार chemical मौजूद

तंबाकू के धुएं में 4 हजार हानिकारक केमिकल होते हैं. इनमें से कुछ कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं. डॉक्टर के अकॉर्डिंग तंबाकू के धुएं में मौजूद टार, अमोनियम, बेंजीन, फॉर्मेलडिहाइड, हाइड्रोजन सायनाइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे 43 केमिकल की वजह से कैंसर होता है. वहीं इसमें पाया जाने वाला निकोटीन इसे लत में बदल देता है. डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग तंबाकू में पाया जाने वाला निकोटीन स्मोकिंग को लत में बदल देता है, जिसे छोडऩा अल्कोहल, कोकीन और हीरोइन जैसे नशे की आदतों के मुकाबले कठिन हो जाता है.

ले सकते हैं tablet की help

टोबैको की लत से छुटकारा दिलाने में एंटी निकोटीन टैबलेट काफी मददगार होती है. टोबैको यूजर्स को साइकेट्रिस्ट की सलाह पर इन टैबलेट का यूज करना चाहिए. इसके अलावा विल पावर और पेरेंट्स का सपोर्ट भी इस लत को छुड़वाने में हेल्पफुल होता है.

इन बीमारियों को दावत

-कैंसर

-ब्रॉकाइटिस

-हाई कोलेस्ट्रॉल

-पेप्टिक अल्सर

-ऑस्टियोपोरोसिस

-नींद से जुड़ी समस्या थायरॉइड

-हार्ट से रिलेटेड प्रॉब्लम

'मेरे यहां जितने भी केस कैंसर के आते हैं, उनमें से सबसे अधिक थ्रोट कैंसर से पीडि़त होते हैं. इस तरह के करीब 50 परसेंट मामले होते हैं, जिसका कारण तंबाकू ही होता है. '

- डॉ. आरके चित्तलांगिया, कैंसर स्पेशलिस्ट

'तंबाकू का एडिक्शन यंग जेनरेशन को ज्यादा है. औसतन 60 परसेंट युवा टोबैको का इनटेक कर रहे हैं. महिलाओं व बच्चों की संख्या भी अच्छी-खासी है. हर साल 2 करोड़ लोग तंबाकू की वजह से कैंसर की चपेट में आ जाते हैं.'

- देवेंद्र डंग, हेल्थ कंसलटेंट

'बरेली में तंबाकू का होलसेल मार्केट कुतुबखाना और श्यामगंज है. इसके अलावा अन्य एरिया मेंं भी तंबाकू की शॉप हैं. बरेली में तंबाकू का डेली 2 लाख रुपए का बिजनेस होता है.'

- हरीश कुमार, होल सेलर, तंबाकू