और आप कहते हैं नारी शक्ति है

-महिलाएं ही नहीं बच्चियों में पाई जाने लगी है खून की कमी

-स्कूल गोइंग ग‌र्ल्स के हेल्थ चेकअप में सामने आया था चौंकाने वाला आंकड़ा

-गांव में पूरा खाना न मिल पाना तो शहर में डाइटिंग है इसका कारण

ALLAHABAD: नारी शक्ति का प्रतीक है। इसी के चलते नवरात्रि के नौ दिनों तक उसकी पूजा की जाती है। समापन के दिन कन्या पूजन किया जाता है ताकि देवी की कृपा पूरे परिवार पर बनी रही। लेकिन, क्या कभी यह सोचा है कि उनके शरीर में इतना खून भी नहीं है कि खुद से लड़ सकें? यह सच है उन रिपो‌र्ट्स का जो गवर्नमेंट के पास हैं। जी हां, 80 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। हर सेगमेंट में इसका अलग-अलग कारण है। सरकारी स्तर पर महिलाओं को एनिमिक होने से बचाने के प्रयास भले ही हो रहे हों लेकिन, कड़वा सच यह भी है कि आज भी महिलाएं खून की कमी से जान गंवाती हैं। क्या अब भी आप कहेंगे, नारी शक्ति की प्रतीक है।

चौंकाने वाली है हेल्थ रिपोर्ट

ग‌र्ल्स हाईस्कूल में पिछले महीने एक निजी संस्था की ओर से हेल्थ चेकअप कैंप आयोजित किया गया था। अधिकतम क्म् साल की लड़कियों के बीच आयोजित हुए इस कैंप के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि क्8 फीसदी बच्चियां खून की कमी से जूझ रही हैं। खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में रिनाउंड परिवारों से बिलांग करने वाले परिवारों की लड़कियों की यह दशा? किसी को भी हैरत में डाल देने के लिए पर्याप्त है। एक उदाहरण यह है तो दूसरा यह कि ग्रामीण एरिया की 90 फीसदी महिलाओं में खून की कमी होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान कई बार महिलाओं की मौत का कारण भी खून की कमी ही बन जाता है।

लापरवाही और अनियमित खानपान

घर में महिला या कन्या को देवी का दर्जा भले ही दिया जाता हो। लेकिन, हमारे समाज में एक परपंरा है। इसके मुताबिक पुरुष सदस्यों के भोजन कर लेने के बाद ही महिला भोजन करेगी। शहरों में तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन, देहात की स्थिति यह है कि कई बार इस चक्कर में महिलाएं को रूखा-सूखा ही खाने को मिलता है। पूरे पेट खाना मिलना उनके नसीब में नहीं होता। इसी के चलते खेतों में काम करने वाली महिलाएं खाली पेट ही निकल जाती हैं। दोपहर बाद खाना मिल भी जाए तो वह उनके शरीर को लगता नहीं है।

शौक भी है बड़ा कारण

डॉ। श्रद्धा द्विवेदी बताती हैं कि महिलाओं के एनिमिक होने का बड़ा कारण अब डाइटिंग सामने आने लगा है। हर हाल में जीरो फिगर की चाहत में डाइटिंग के नाम पर वह खाना पीना छोड़ देती हैं। इससे उनकी स्थिति खराब हो जाती है। उनका कहना है कि महिलाओं के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्टेटस क्ख् फीसदी होना चाहिए। आज की स्थिति यह है कि यह आंकड़ा दस पर आकर अटक गया है। हॉस्पिटल आने वाली प्रेग्नेंट महिलाओं की स्थिति और खराब है। शत प्रतिशत के आसपास में खून की कमी पाई जाती है।

महिलाओं की स्थिति पर एक नजर

-80 फीसदी महिलाओं में पाई जाती है खून की कमी

-क्8 फीसदी स्कूल गोइंग ग‌र्ल्स में भी पाई जाने लगी है खून की कमी

-क्ख् फीसदी होना चाहिए हीमोग्लोबिन का स्टेटस

-औसत आठ से नौ फीसदी ही पाया जाता है महिलाओं में

-प्रेग्नेंसी के दौरान लगभग शत प्रतिशत महिलाओं में पाई जाती है खून की कमी

-कम उम्र में शादी और प्रीमेच्योर डिलीवरी की स्थिति में होती है महिलाओं की मौत

-खून की कमी होने पर ब्लीडिंग ज्यादा होती है

कैसे बचें खून की कमी से

-काम पर जाने से पहले नाश्ता भरपूर करें

-दिन भर में खाने में हरी सब्जियां, गुड़, केला, सेब, मूली, अखरोट, बादाम और दूध में कोई एक सप्लीमेंट अनिवार्य रूप से शामिल करें

-आयरन और कैल्शियम की गोलियों को खून की कमी होने पर नियमित रूप से लें

-समय पर भोजन करें, खाली पेट रहने से बचें

-डाइटिंग के नाम पर खाना-पीना बंद न करें

(जैसा डॉ। श्रद्धा द्विवेदी ने बताया)