सपनों को साकार करना कोई अफ़गानिस्तान की टीम से सीखे। जिस तरह से इस टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हालिया दिनों में प्रदर्शन किया है वो क्रिकेट पंडितों के लिए भी शोध का विषय है।

इस टीम ने शारजाह मैच से पहले एक बात तो साफ़ कर दी है कि पाकिस्तान की टीम के लिए जीत का रास्ता आसान नहीं होगा। अफ़गानिस्तान ने क्रिकेट की सीख अपने पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान से ही ली है। क्रिकेट की इस कहानी की शुरूआत 1979 से होती है, जब सोवियत संघ ने अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप किया था।

अफ़गानिस्तान में क्रिकेट की शुरूआत

उसके बाद रूसी क़दम से निराश कई अफ़गानियों ने पाकिस्तान का रुख़ किया। पाकिस्तान में इन अफ़गान शरणार्थियों ने वहीं इस खेल की बारीकियों को समझना और सीखना शुरू कर दिया। यही वजह है कि आज क्रिकेट अफ़गानिस्तान का नंबर एक खेल बन गया है।

अफ़गानिस्तान की क्रिकेट टीम पहली बार चर्चा में तब आई जब इस टीम साल 2011 के विश्व कप के क्वालीफ़ाइंग मुक़ाबलों में पांचवा स्थान हासिल किया। इसी वजह से आईसीसी ने इस टीम को वनडे मैच खेलने की अनुमति दी।

उसके बाद से इस टीम ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा है। वर्ल्ड टी20 में क्वालीफ़ाई करने के बाद इस टीम को वेस्ट इंडीज़ में आयोजित टी20 वर्ल्ड कप में शिरकत करने का मौका मिला।

यही नहीं अफ़गान टीम ने उसी साल चीन में हुए एशियन खेलों में रजत पदक हासिल कर दुनिया को बता दिया कि वो वाक़ई में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की टीम है।

और सबसे दिलचस्प बात ये थी कि सेमीफ़ाइनल मैच में पाकिस्तान की टीम को शिकस्त देकर पदक अपने नाम किया था। अफ़गानिस्तान आईसीसी के 59 एसोसिएट सदस्यों में से एक है और इंटर-कॉन्टिनेंटल कप पर भी इन्हीं का कब्ज़ा है।

'बात हार या जीत की नहीं'

आईसीसी अफ़गानिस्तान में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए हर साल क़रीब सात लाख डॉलर ख़र्च कर रहा है। और आज टीम जिन ऊंचाईंयो को छू रही है उसे देखकर ये कहा जा सकता है कि आईसीसी की कोशिश सही रास्ते पर है।

शुक्रवार को होने वाले इस मैच में अफ़गानिस्तान की टीम की अगुवाई करेंगे नवरोज़ मंगल और उनकी टीम में करीम सादिक़, मोहम्मद नबी, मोहम्मद शहज़ाद और तेज़ गेंदबाज़ हामिद हसन सरीख़े खिलाड़ी हैं जो मैच को कभी भी पलटने का दम रखते हैं।

पाकिस्तान के कोच मोहसिन ख़ान का कहना है कि वो अफ़गानिस्तान को हल्के में नहीं ले रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी टीम इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट में तीन-शून्य की जीत की निरंतरता का कायम रख पाएगी।

अफ़गानिस्तान को साल 2009 में वनडे मैच खेलने का अधिकार मिला था। अब तक खेले गए 18 मैचों में से 11 में उन्हें जीत हासिल हुई है। बहुत से क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि इस खेल को हार और जीत की नज़र से देखना ही नहीं चाहिए।

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी आमिर सोहेल मानते हैं कि अफ़गानिस्तान के लिए पूरी दूनिया के सामने अपना जौहर दिखाने का ये ज़बर्दस्त अवसर है। उनके मुताबिक़ जीत और हार की तो बात ही नहीं होनी चाहिए।

दोनों टीमों के अंतिम 11 खिलाड़ी इनमें से चुने जाएंगे

पाकिस्तान - मिस्बाह-उल-हक़ (कप्तान), अबदुर्रहमान, अदनान अकमल, ऐज़ाज़ चीमा, असद शाफ़िक़, अज़हर अली, हम्माद आज़म, इमरान फ़रहत, जुनैद ख़ान, मोहम्मद हफ़ीज़, सैय्यद अजमल, शाहिद अफ़रीदी, शोएब मलिक, उमर अकमल, उमर गुल, वहाब रियाज़ और युनूस ख़ान

अफ़गानिस्तान - नवरोज़ मंगल (कप्तान), दौलत ज़दरान, गुलबुदीन नायब, हम्ज़ा होतक, इज़तुल्ला दौलतज़ई, जावेद अहमदी, करीम सादिक़, मीरवायस अशरफ़, मोहम्मद नबी, मोहम्मद शहज़ाद, नूर अली ज़दरान, समीउल्ला शेनवारी, शबीर नूरी और शपूर ज़दरान

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